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लक्षद्वीप में गंभीर प्रवाल विरंजन

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान-अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ (जल-स्रोत व हिमावरण सहित) तथा वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव)

संदर्भ 

  • आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार अक्टूबर 2023 से लंबे समय तक चलने वाली समुद्री हीटवेव के कारण लक्षद्वीप सागर में  गंभीर प्रवाल विरंजन की स्थिति देखि जा रही है।

हालिया स्थिति 

  • लक्षद्वीप अक्टूबर 2023 से समुद्री हीटवेव की चपेट में है। ऐसे में जल के तापमान लगातार उच्च बने रहने से विरंजन के कारण अंततः लक्षद्वीप के प्रवाल नष्ट हो सकते हैं।
  • इससे पूर्व लक्षद्वीप सागर में वर्ष 1998, 2010 और 2015 में प्रवाल विरंजन की घटनाएँ  देखी गई हैं।
    • हालाँकि वर्तमान विरंजन का पैमाना पूर्व की तुलना में बहुत अधिक है। 
  • प्रवाल विरंजन से लक्षद्वीप के विविध समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को खतरा है। 

क्या है प्रवाल चट्टानें

  • प्रवाल एक प्रकार के गतिहीन जानवर हैं, जो स्वयं को स्थायी रूप से समुद्र तल से जोड़ लेते हैं। 
  • इन्हें 'कठोर' या 'नरम' के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्री एवं वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार कठोर मूंगों में चूना पत्थर से बने पथरीले कंकाल होते हैं जो मूंगा पॉलीप्स द्वारा निर्मित होते हैं। 
    • पॉलीप्स की मृत्यु के बाद उनके कंकाल नए पॉलीप्स की नींव के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
  • हज़ारों-लाखों वर्षों में ये प्रवाल के कंकाल जटिल प्रवाल चट्टानों का निर्माण करते हैं, जिन्हें समुद्री वर्षावन के रूप में जाना जाता है । 
    • ये हजारों समुद्री प्रजातियों एवं जीवंत पारिस्थितिकी प्रणालियों का घर है।
  • लक्षद्वीप के लगभग सभी द्वीप प्रवाल एटॉल हैं जिनकी मृदा काफी हद तक प्रवाल से बनी है। 
    • इनके चारों ओर प्रवाल चट्टानें हैं।

प्रवाल विरंजन

  • समुद्री जल के तापमान में अत्यधिक वृद्धि से प्रवाल विरंजन की घटना होती है।  
  • ऐसी स्थितियों में प्रवाल अपने ऊतकों में रहने वाले सूक्ष्म शैवाल को बाहर निकाल देते हैं।
  • इन शैवाल के बिना प्रवाल के ऊतक पारदर्शी हो जाते हैं, जिससे  वे सफ़ेद रंग के दिखाई पड़ने लगते हैं। 
    • इसे ही प्रवाल विरंजन कहा जाता है। 
  • बिरंजित प्रवालों की मृत्यु नहीं होती लेकिन इन पर भुखमरी एवं  बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। 
    • विशेषज्ञों के अनुसार शैवाल के बिना प्रवाल लगभग दो सप्ताह तक जीवित रह सकते हैं।

तापमान का प्रभाव 

  • जब समुद्र की सतह का तापमान अधिकतम औसत तापमान से 1 ℃ से अधिक हो जाता है तब प्रवाल तापीय तनाव का अनुभव करते हैं। 
    • यदि उच्च तापमान लंबे समय तक बना रहता है तो तनाव की स्थिति गंभीर हो जाती है।
  • वैज्ञानिक विगत 12 सप्ताह में किसी क्षेत्र में संचित तापीय तनाव को मापने के लिए उस समय अवधि के दौरान ब्लीचिंग सीमा से अधिक तापमान को जोड़कर डिग्री हीटिंग वीक (DHW) संकेतक का उपयोग करते हैं। 
    • इसकी गणना सेल्सियस-सप्ताह में की जाती है।
  • 4 डिग्री सेल्सियस-सप्ताह से ऊपर डी.एचडब्ल्यू. मान प्रवाल विरंजन का कारण बनता है। 
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण अत्यधिक वायुमंडलीय ताप के अलावा समुद्री धाराओं में परिवर्तन से भी समुद्री जल का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है।

बढ़ते तापमान का प्रभाव 

  • हीटवेव तटीय समुदायों, पर्यटन और मत्स्य पालन क्षेत्रों और समुद्री घास के मैदानों सहित महत्वपूर्ण समुद्री आवासों की आजीविका को खतरे में डालती हैं। 
  • प्रवालों के समान केल्प वन भी हीटवेव के कारण प्रकाश संश्लेषण में कमी के साथ  प्रजनन कार्यों में बाधा जैसे हानिकारक प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं।
  • लक्षद्वीप का निर्माण प्रवालचट्टानों से हुआ है और इसलिए द्वीपों की संरचना के लिए इनका स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। 
  • मूंगे की मृत्यु से कार्बनिक पदार्थ का संचय होएं की संभावना है जो बाद में मूंगों के निर्माण को रोक सकता है।
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