(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3 : केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय) |
संदर्भ
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey : PLFS) 2021-22 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate : LFPR ) मात्र 27.2 % तथा शहरी क्षेत्रों में मात्र 18.8 % है।
महिला श्रम बल भागीदारी में कमी के कारण
वेतन में लैंगिक अंतराल
- प्राय: महिलाओं को वेतन में लैंगिक अंतराल का सामना करना पड़ता है।
- महिलाएँ समान भूमिकाओं के लिए अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन पाती हैं।
- यू.एन. वूमेन के अनुसार भारत में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में बहुत ही कम कमाती हैं।
- वर्ष 2018-19 में लैंगिक वेतन अंतराल लगभग 28 %था और महामारी के कारण इसमें 7 % की वृद्धि हुई।
- समान आर्थिक अवसर सुनिश्चित करने और लिंग आधारित बेरोजगारी को कम करने के लिए वेतन असमानताओं को संबोधित करना महत्वपूर्ण है।
व्यावसायिक अलगाव
- कम वेतन और कम उन्नति के अवसरों वाले कुछ उद्योगों और व्यवसायों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अधिक होता है।
- वर्तमान रुझानों में इसमें कृषि का स्त्रीकरण शामिल है।
- सभी क्षेत्रों में विविधता को प्रोत्साहित करना और व्यावसायिक रूढ़िवादिता को चुनौती देना अधिक समावेशी रोजगार में योगदान कर सकता है।
वर्क-लाइफ (कार्य-जीवन) संतुलन
- काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों को संतुलित करना महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
- यह उनके करियर विकल्पों एवं अवसरों को प्रभावित कर सकता है।
- लचीली कार्य व्यवस्था, मातृत्व अवकाश और किफायती शिशु देखभाल का समर्थन करने वाली नीतियाँ कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ा सकती हैं।
शिक्षा तक असमान पहुँच
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक असमान पहुँच महिलाओं की अछे वेतन वाली नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल हासिल करने की क्षमता को सीमित करती है।
- रोजगार की बाधाओं को दूर करने के लिए एस.टी.ई.एम. क्षेत्रों में लड़कियों और महिलाओं के लिए शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देना आवश्यक है।
भेदभाव और पूर्वाग्रह
- नियुक्ति प्रथाओं में लिंग-आधारित भेदभाव और पूर्वाग्रह महिलाओं की नौकरी के अवसरों तक पहुँच को सीमित करते हैं।
- जागरूकता बढ़ाना, निष्पक्ष भर्ती प्रथाओं को लागू करना और विविधता एवं समावेशन को बढ़ावा देकर इन चुनौतियों से निपटा जा है।
डिजिटल लैंगिक विभाजन
- महिलाओं को डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक पहुँचने और उनका उपयोग करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी प्रभावित होती है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में तीन में से केवल एक महिला ने कभी इंटरनेट का उपयोग किया है।
- जबकि आधे से अधिक (57%) पुरुषों ने इंटरनेट का उपयोग किया है।
- महिलाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और बुनियादी ढाँचे के विकास के माध्यम से डिजिटल लिंग विभाजन को अंतराल को समाप्त करना महत्वपूर्ण है।
कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न
- कार्यस्थल पर उत्पीड़न एवं हिंसा महिलाओं को रोजगार खोजने या उसमे बने रहने से रोक सकती है।
- महिलाओं की आर्थिक भागीदारी के लिए उत्पीड़न के खिलाफ मजबूत नीतियों के साथ सुरक्षित एवं समावेशी कार्य वातावरण बनाना आवश्यक है।
कौशल विकास एवं रोज़गार सहसंबंध
कौशल विकास रोज़गार बाजार की उभरती मांगों को पूरा करने के लिए व्यक्तियों की क्षमताओं को बढ़ाकर रोजगार परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कौशल विकास और रोजगार के बीच संबंध बहुआयामी है :
रोजगार योग्यता में सुधार
- प्रासंगिक कौशल प्राप्त करने से व्यक्ति की रोजगार क्षमता बढ़ती है।
- नियोक्ता नौकरी की आवश्यकताओं के अनुरूप सही कौशल वाले उम्मीदवारों की तलाश करते हैं।
- ऐसे में रोजगार के अवसरों को सुरक्षित करने के लिए कौशल विकास आवश्यक हो जाता है।
कौशल अंतराल को संबोधित करना
- कौशल विकास कार्यबल के पास मौजूद कौशल एवं नियोक्ताओं द्वारा मांगे गए कौशल के बीच अंतराल को पाटने में मदद करता है।
- कौशल सेट असंगत होने से उत्पन्न होने वाली संरचनात्मक बेरोजगारी को संबोधित करना महत्वपूर्ण है।
तकनीकी परिवर्तनों के प्रति अनुकूलन
- तेजी से तकनीकी प्रगति के युग में व्यक्तियों को नए उपकरणों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता है।
- निरंतर कौशल विकास श्रमिकों को उद्योग के रुझानों से अवगत रहने और रोज़गार बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने में सक्षम बनाता है।
उद्यमिता के अवसर
- कौशल विकास न केवल व्यक्तियों को पारंपरिक रोजगार के लिए तैयार करता है बल्कि उनकी उद्यमशीलता को आगे बढ़ाने के लिए भी सशक्त बनाता है।
- यह नवाचार, रचनात्मकता और स्वयं के रोजगार के अवसर सृजित करने की क्षमता को बढ़ावा देता है।
उद्योग की प्रासंगिकता
- उद्योगों के सहयोग से तैयार किए गए कौशल शिक्षा कार्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति रोज़गार बाजार की वर्तमान जरूरतों पर सीधे लागू होने वाले कौशल प्राप्त करें।
- यह संरेखण कार्यबल एकीकरण की दक्षता को बढ़ाता है।
कैरियर पथों में लचीलापन
- एक विविध कौशल सेट व्यक्तियों को विभिन्न कैरियर पथों के बीच चयन और परिवर्तन में लचीलापन प्रदान करता है।
- यह अनुकूलनशीलता ऐसे माहौल में महत्वपूर्ण है जहाँ रोज़गार की भूमिकाएं तेजी से विकसित हो रही हैं।
बढ़ी हुई उत्पादकता
- अच्छी तरह से प्रशिक्षित और कुशल श्रमिक अधिक उत्पादक होते हैं।
- नियोक्ताओं को कुशल कार्यबल से लाभ होता है जो कौशल विकास एवं कार्यस्थल उत्पादकता के बीच सकारात्मक सहसंबंध को बढ़ावा देकर संगठन के लक्ष्यों में प्रभावी तरीके से योगदान कर सकता है।
वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता
- कुशल और अनुकूलनीय कार्यबल वाले देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिक प्रतिस्पर्धी हैं।
- राष्ट्रीय स्तर पर कौशल विकास में निवेश आर्थिक विकास में योगदान देता है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को आकर्षित करता है।
बेरोजगारी दूर करने के लिए उपाय
कौशल विकास कार्यक्रम
कार्यबल को रोज़गार बाजार की उभरती मांगों के साथ संरेखित करने, रोजगार क्षमता बढ़ाने और कौशल विसंगतियों को कम करने के लिए व्यापक कौशल विकास पहल में निवेश करना।
शिक्षा सुधार
- यह सुनिश्चित करना कि शिक्षा पाठ्यक्रम छात्रों को वर्तमान और भविष्य के रोज़गार बाजारों के लिए प्रासंगिक व्यावहारिक कौशल और ज्ञान से लैस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- जिससे शिक्षा से रोजगार तक अधिक निर्बाध संक्रमण को बढ़ावा मिल सके।
उद्यमिता संवर्धन
- प्रोत्साहन, परामर्श कार्यक्रमों और वित्तीय सहायता के माध्यम से उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करें।
- यह विशेषकर युवाओं में रोजगार सृजन और नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित कर सकता है।
श्रम बाजार सूचना प्रणाली
- रोज़गार के अवसरों, बाजार के रुझान और आवश्यक कौशल के बारे में समय पर एवं सटीक जानकारी प्रसारित करने के लिए मजबूत प्रणाली स्थापित करें।
- जिससे नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं के बीच सूचनात्मक अंतराल कम हो।
बुनियादी ढाँचा विकास
- निर्माण और परिवहन से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा पहल तक रोजगार पैदा करने वाली बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश करें।
- ये परियोजनाएं तत्काल रोजगार सृजित करने के साथ ही दीर्घकालिक आर्थिक विकास में भी योगदान देती हैं।
ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना
- ऐसी नीतियां लागू करना जो ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में विविधता लाएँ, कृषि उत्पादकता बढ़ाएं और गैर-कृषि रोजगार के अवसर सृजित करें।
- इससे ग्रामीण बेरोजगारी की चुनौतियों को कम किया जा सकता है।
लचीली श्रम नीतियाँ
ऐसी श्रम नीतियों का विकास करना जो व्यवसायों के लिए आवश्यक लचीलेपन के साथ श्रमिकों के अधिकारों को संतुलित करने के साथ ही रोजगार सृजन के लिए अनुकूल माहौल को बढ़ावा देती हैं।
समावेशी आर्थिक विकास
ऐसे आर्थिक विकास को बढ़ावा देना जो समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित करने के साथ ही आय असमानता को कम करता है और रोजगार के अवसरों तक अधिक न्यायसंगत पहुँच प्रदान करता है।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी
- व्यवसाय वृद्धि एवं रोजगार सृजन के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग करना।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी से रोजगार संबंधी चुनौतियों का नवोन्मेषी समाधान निकाला जा सकता है।
प्रौद्योगिकी एवं नवाचार
- नए उद्योग और रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का लाभ उठाना।
- अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने वाली पहल आर्थिक विविधीकरण को बढ़ावा दे सकती है।
सामाजिक सुरक्षा जाल
बेरोजगारी की अवधि के दौरान व्यक्तियों का समर्थन करने के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल कार्यक्रमों को लागू एवं मजबूत करना ताकि यह नौकरी छूटने का प्रभाव कम हो।
वैश्विक सहयोग
वैश्विक बाजारों में प्रवेश करने, आर्थिक लचीलेपन को बढ़ावा देने और घरेलू रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं साझेदारी को बढ़ावा देना।
सरकार द्वारा नीतिगत पहल
- भारत ने बेरोजगारी की जटिल चुनौती से निपटने के लिए कई नीतिगत पहल लागू की हैं। जिसमें मुख्य रूप से शामिल हैं :
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005
- यह उन ग्रामीण परिवारों को एक वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देता है जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
- अन्य नीतियों और योजनाओं के विपरीत, यह एक कानूनी अधिकार है।
- यह अधिनियम किसी भी ग्रामीण वयस्क को काम मांगने के 15 दिनों के भीतर काम दिलाने की कानूनी रूप से समर्थित गारंटी प्रदान करता है।
- इसके अलावा, मनरेगा लाभार्थियों में से कम से कम एक तिहाई महिलाएँ होनी चाहिए।
दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
आवास एवं शहरी मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित इस योजना का उद्देश्य शहरी गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार एवं कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुँचने में सक्षम बनाकर उनकी गरीबी और भेद्यता को कम करना है।
आजीविका - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
- इसका उद्देश्य ग्रामीण निर्धन परिवारों के लिए कुशल एवं प्रभावी संस्थागत मंच का निर्माण करना है।
- जिससे उन्हें स्थायी आजीविका वृद्धि और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से घरेलू आय बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके।
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना
सामाजिक सुरक्षा लाभ और कोविड-19 महामारी के दौरान रोजगार के नुकसान की बहाली के साथ-साथ नए रोजगार सृजन के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए यह योजना वर्ष 2020 में शुरू की गई थी।
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना
पात्र कर्मचारियों के लिए कर्मचारी पेंशन योजना में योगदान करके नए रोजगार सृजित करने के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करती है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित यह योजना एक प्रमुख क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है।
- इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और बेरोजगार युवाओं की मदद करके गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्व-रोज़गार के अवसर सृजित करना है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
- गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करना।
- इन ऋणों को मुद्रा ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- ये ऋण वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंकों, सूक्ष्म वित्तीय संस्थान और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा दिए जाते हैं।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
- यह राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा कार्यान्वित कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की प्रमुख योजना है।
- यह युवाओं को उद्योग प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण लेने में सक्षम बनाने के लिए एक कौशल प्रमाणन योजना है जो उन्हें बेहतर आजीविका सुरक्षित करने में मदद करेगी।
राष्ट्रीय कैरियर सेवा
यह राष्ट्रीय रोजगार सेवा के परिवर्तन के लिए एक परियोजना है जो रोज़गार मिलान, कैरियर परामर्श, व्यावसायिक मार्गदर्शन, कौशल विकास पाठ्यक्रमों की जानकारी, प्रशिक्षुता, इंटर्नशिप आदि जैसी विभिन्न प्रकार की कैरियर संबंधी सेवाएँ प्रदान करती है।
अन्य पहलें
- इन प्रत्यक्ष उपायों के अलावा कई अन्य नीतिगत उपाय भी अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगारी की स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से संबोधित करते हैं।
- परिवहन एवं शहरी विकास जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश आर्थिक विकास में योगदान देने के साथ ही रोजगार के अवसर भी सृजित करता है।
- विनिर्माण को बढ़ावा देने पर केंद्रित मेक इन इंडिया अभियान का उद्देश्य विभिन्न उद्योगों में निवेश को बढ़ावा देकर, आर्थिक विकास एवं रोजगार में योगदान देना है।
- स्टार्ट-अप इंडिया उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और स्टार्टअप का समर्थन करने के साथ-साथ विशेष रूप से युवाओं के बीच नवाचार एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।
- एन.ई.पी. 2020 के तहत, शिक्षा को बाजार की मांगों के साथ संरेखित करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
आगे की राह
- लिंग-आधारित बाधाओं को पहचानना और उन्हें ख़त्म करना सामाजिक न्याय के साथ ही एक लचीली एवं समावेशी अर्थव्यवस्था के निर्माण का एक बुनियादी पहलू है।
- सरकारें, शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान और व्यवसाय सभी को एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में भूमिका निभाने की आवश्यकता है जो निरंतर कौशल विकास को प्रोत्साहित एवं समर्थन प्रदान करता है।
- ऐसे प्रयासों के माध्यम से कौशल शिक्षा एवं रोजगार के बीच संबंध को मजबूत किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक गतिशील एवं लचीला कार्यबल तैयार हो सकेगा।