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विदेश में ख़ुफ़िया मिशनों का राजनयिक संबंधों पर प्रभाव

संदर्भ 

अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया एवं पाकिस्तान से भारत की विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ (Research and Analysis Wing : R&AW) पर खालिस्तानी अलगाववादियों व अन्य आतंकवादियों को कथित तौर पर निशाना बनाने और उनकी हत्या करने के मामले सामने आए हैं। 

विभिन्न देशों के आरोप 

अमेरिका 

  • अमेरिका स्थित वाशिंगटन पोस्ट का दावा है कि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि रॉ के एक पूर्व प्रमुख ने एक खालिस्तानी अलगाववादी के खिलाफ हत्या के एक अभियान को मंजूरी दी थी। 
    • उक्त अलगाववादी भारत में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत आतंकी सूची में शामिल है। 
  • इसमें कथित तौर पर रॉ से सेवानिवृत एक सुरक्षा अधिकारी के भी शामिल होने का उल्लेख है। 
    • इसने भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता को इस काम के लिए एक हिटमैन को नियुक्त करने का आदेश दिया था। 

कनाडा

  • रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या की कथित साजिश रचने के आरोप में तीन भारतीय नागरिकों को कनाडा में गिरफ्तार किया है। 
    • कनाडाई सरकार के अनुसार, इस मामले में वे भारत सरकार के अधिकारियों से इनके संबंधों की जांच कर रहे हैं। 
    • कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पूर्व में भारतीय एजेंसियों के साथ संबंध का संकेत दिया था। इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक टकराव पैदा हो गया था।

ऑस्ट्रेलिया 

  • ऑस्ट्रेलिया के सरकारी न्यूज़ एजेंसी ए.बी.सी.के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठन की रिपोर्ट के बाद वर्ष 2020 में रॉ के कार्यकर्ताओं को निष्कासित कर दिया गया था।
    • इस रिपोर्ट के अनुसार, रॉ के कर्मचारी जासूसों का एक समूह संचालित करते थे जो देश में खालिस्तानी अलगाववादियों की गतिविधियों की निगरानी करते थे।

जर्मनी 

वर्ष 2019 में एक जर्मन न्यायालय ने देश में खालिस्तानी एवं कश्मीरी कार्यकर्ताओं की जासूसी करने और एक रॉ अधिकारी को जानकारी भेजने के आरोप में एक भारतीय दंपत्ति को जेल की सजा सुनाई थी।

पकिस्तान 

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने लगातार रॉ एजेंटों पर उनके देश में कई गैर-न्यायिक हत्याओं को अंजाम देने का आरोप लगाया है। 

भारत सरकार की प्रतिक्रिया 

  • भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों का खंडन करते हुए तर्क दिया है कि न्यायेतर हत्याएं करना भारत की सरकारी नीति नहीं हैं। 
    • भारत ने वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को अनुचित एवं निराधार घोषित किया है।
  • भारत ने विभिन्न देशों को प्रतिक्रिया देते हुए उच्च स्तरीय जाँच एवं साक्ष्य आधारित  टिप्पणी करने की चेतावनी दी है। 
  • भारत ने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन व ऑस्ट्रेलिया से मुखर खालिस्तानी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाईन करने को लेकर भी प्रश्न किया है।
    • इन देशों में भारतीय राजनयिक मिशनों पर हमले करने और भारतीय राजनयिकों को धमकी देने का आरोप है। 
  • भारत सरकार ने 1980 के दशक में कनाडा सरकार द्वारा खालिस्तानी कार्यकर्ता तलविंदर सिंह परमार के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार करने का हवाला दिया।
    • परमार ने वर्ष 1985 में एयर इंडिया के विमान 'कनिष्क' पर बमबारी की साजिश रही थी जिसमें कई लोगों की मृत्यु हो गई थी। 

क्या ऐसे ऑपरेशंस से संबंधित कोई कानूनी ढांचा मौजूद हैं? 

  • किसी देश द्वारा अन्य देश की सीमा में आतंकवादियों की लक्षित हत्याओं की रणनीति के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट कानूनी व्यवस्था का अभाव है। हालांकि, ऐसे ऑपरेशन संचालित करने से पूर्व कुछ मानदंडों पर विचार किया जाता है।
  • इन मानदंडों में प्रमुख रूप से 3 बिंदु शामिल हैं :   
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सूची के तहत इन व्यक्तियों को आतंकवादी नामित करना
    • प्रत्यर्पण या कानूनी कार्यवाही में आने वाली कठिनाई 
    • आतंकवादी गतिविधियों में इन व्यक्तियों की संलिप्तता
  • उपरोक्त स्थितियों में क्षति को कम करने के उद्देश्य से इस तरह के ऑपरेशन को निवारक उपाय के रूप में उचित ठहराया जा सकता है। हालाँकि, इसके लिए कोई वैधानिक आधार नहीं है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 में आत्मरक्षा के सिद्धांत का उल्लेख है जिसे लक्षित हत्याओं के लिए कानूनी आधार माना जा सकता है। जब कोई देश लगातार आतंकवादी गतिविधियों जैसे खतरों का सामना करता है और मेजबान देश इन खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने में असमर्थ होता है तो आत्मरक्षा को सर्वोपरि माना जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) को युद्ध विषयक कानून कहा जाता है जो सशस्त्र संघर्षों के दौरान लागू होता है। यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून (IHRL) हर समय प्रासंगिक होते है किंतु सशस्त्र संघर्ष के दौरान IHL इसको प्रतिस्थापित कर सकता है।

कूटनीतिक परिणाम 

  • वर्तमान में पाकिस्तान एवं कनाडा को छोड़कर उन देशों के साथ भारतके संबंध मजबूत बने हुए हैं जहां कथित तौर पर ऐसे ऑपरेशन संचालित हो रहे हैं। 
  • विगत एक दशक में कनाडा के साथ संबंधों में थोड़ी गिरावट देखी गई है और खालिस्तानी मुद्दे पर तनाव के कारण ऐतिहासिक रूप से वर्ष 1973 से 2015 के मध्य किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने कनाडा की द्विपक्षीय यात्रा नहीं की है। 
    • वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जी-20 के लिए कनाडा का दौरा किया था। 
    • हालाँकि, वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा की द्विपक्षीय यात्रा की थी। 
  • जम्मू एवं कश्मीर और पंजाब में पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे के कारण द्विपक्षीय संबंधों में लगभग अपरिवर्तनीय दरार आ गई है।
  • अमेरिका, ब्रिटेन एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भारत के साथ संबंधों को मधुर बनाए रखने के इच्छुक हैं। 
    • ये देश स्वयं निष्पक्ष जाँच करने के साथ ही भारत से भी ऐसा करने का आग्रह करते हैं। 
    • हालाँकि, इन देशों ने बमुश्किल ही सार्वजनिक रूप से मामलों का उल्लेख किया है। 
  • एक विशिष्ट मामले के बाद से अमेरिकी अधिकारियों ने भारत से 3-चरणीय मांग की है : 
    • भारत गुरपतवंत सिंह पन्नू (एक खालिस्तानी अलगाववादी) मामले की पूरी तरह से निष्पक्ष जाँच करे।
    • किसी भी अवैध गतिवधि को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने के साथ ही वह इस तरह के ऑपरेशन दोबारा न करने का संकल्प ले।
    • इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर भारतीय न्यायालयों में कानूनी जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।

आगे की राह 

  • भारत एकमात्र देश नहीं है जिस पर न्यायिक एवं क्षेत्रीय परिधि से बाहर इस तरह के ऑपरेशन संचालित करने के आरोप हैं। 
  • अमेरिका एवं इज़राइल जैसे देश ऐसे ऑपरेशन संचालित करने और वांछित लोगों की हत्या के लिए आत्मरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर का हवाला देते हैं। 
  • ख़ुफ़िया एजेंसियों के संबंध में अधिक अनौपचारिक नियम लागू होते हैं : 
    • ऐसे ऑपरेशन मित्र देशों में नहीं किए जाने चाहिए। 
    • संचालकों व राजनयिक मिशनों के बीच कोई संबंध नहीं होना चाहिए। 
    • ख़ुफ़िया एजेंटों को पकड़ा नहीं जाना चाहिए।
  • विभिन्न देशों द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों के सबंध में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। ऐसे में देशों द्वारा इस पर कोई त्वरित निर्णय लेने से द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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