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सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए वैक्सीन अभियान

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, सर्वाइकल कैंसर, एचपीवी टीकाकरण

संदर्भ-

भारत में महिलाओं में दूसरे सबसे आम कैंसर, सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए सरकार 9-14 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों के लिए ‘ह्यूमन पैपिलोमावायरस’ (एचपीवी) टीकाकरण अभियान शुरू करने जा रही है।

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मुख्य बिंदु- 

  • यह टीकाकरण अभियान तीन वर्षों में तीन चरणों में चलायी जाएगी।
  • पहला अभियान वर्ष, 2024 की दूसरी तिमाही से शुरू होने की संभावना है।
  • अभियान तब शुरू होगा जब सरकार के पास पहले चरण के लिए जरूरी वैक्सीन की 6.5-7 करोड़ खुराक का स्टॉक हो जाएगा।
  • सर्वाइकल कैंसर के अलावा यह टीका एचपीवी उपभेदों से भी सुरक्षा प्रदान करता है जो गुदा, योनि और ऑरोफरीनक्स के कैंसर का कारण बनते हैं। 
  • यह एचपीवी के उन उपभेदों से भी बचाता है, जो जननांग मस्सों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • वर्तमान में दो खुराक वाली एचपीवी वैक्सीन बाजार में लगभग 2,000 रुपये प्रति खुराक मिलती है।
  • अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी मर्क द्वारा निर्मित एचपीवी वैक्सीन ‘गार्डासिल’ भारत में 10,850 रुपये में उपलब्ध है। 
  • टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल होने के बाद यह मुफ्त में उपलब्ध होगा।
  • 9 से 14 वर्ष की आयु के बीच के एक तिहाई बच्चों (लड़कियों) को हर साल तीन वर्षों में टीका लगाया जाएगा। 
  • टीकाकरण अभियान स्कूलों और मौजूदा टीकाकरण केंद्रों के माध्यम से चलाया जाएगा।
  • एचपीवी वैक्सीन इस बीमारी को रोकने का एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है, क्योंकि यह सर्वाइकल कैंसर के लगभग 70 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार वायरस से दो प्रकारों से रक्षा कर सकता है।

भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामले-

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  • विश्व में सर्वाइकल कैंसर के कुल मामलों का लगभग लगभग पांचवां हिस्सा भारत में है।
  • भारत में सर्वाइकल कैंसर के प्रत्येक वर्ष लगभग 1.25 लाख मामले और इससे लगभग 75,000 मौतें दर्ज की जाती हैं।
  • कुछ उच्च जोखिम वाले एचपीवी उपभेदों के साथ लगातार संक्रमण से लगभग 85 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर होते हैं। 
  • कम से कम 14 एचपीवी प्रकारों की पहचान ऑन्कोजेनिक (कैंसर पैदा करने की क्षमता) के रूप में की गई है। 
  • इनमें से एचपीवी प्रकार 16 और 18 को सबसे अधिक ऑन्कोजेनिक माना जाता है, जो वैश्विक स्तर पर सभी गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लगभग 70 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं।
  • पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन ‘सेरवावैक’ पहले से ही व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है।
  • वर्तमान में कंपनी सरकारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने विनिर्माण को बढ़ाने की प्रक्रिया में है। 
  • ‘सेरवावैक’ (Cervavac) चार एचपीवी उपभेदों - 16, 18, 6 और 11 से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने सिफारिश की है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) 9-15 वर्ष के आयु वर्ग में एचपीवी वैक्सीन की एकल खुराक की प्रभावकारिता पर परीक्षण करे।
  • विश्व स्तर पर उपलब्ध एचपीवी टीकों में से कोई भी एकल-खुराक कार्यक्रम की अनुशंसा नहीं करता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए एकल-खुराक कार्यक्रम को अपनाया जा सकता है।

सर्वाइकल कैंसर क्या है-

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  • सर्वाइकल कैंसर को गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह तब होता है, जब गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं प्रीकैंसर्स कोशिकाओं में बदलने लगती हैं। 
  • सभी कैंसर पूर्व कोशिकाएं कैंसर में परिवर्तित नहीं होती हैं, लेकिन समस्याग्रस्त कोशिकाओं को ढूंढना और उनमें परिवर्तन होने से पहले उनका इलाज करना महत्वपूर्ण है।
  • गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के दो मुख्य प्रकार हैं-
    1.  स्कैमस सेल कार्सिनोमा 
    2. एडेनोकार्सिनोमा
  • लगभग 80-90 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर स्कैमस सेल कार्सिनोमा होते हैं, जबकि 10-20 प्रतिशत एडेनोकार्सिनोमा होते हैं।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण -

  • योनि से रक्तस्राव खासकर मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति और संभोग के बाद
  • मासिक धर्म सामान्य से अधिक गाढ़ा और लंबे समय तक होता है
  • मूत्र त्याग में दर्द और कठिनाई होना
  • मूत्र त्याग के समय खून आना 
  • बार-बार दस्त लगना
  • थकान
  • वजन और भूख में कमी
  • सुस्ती और पीठदर्द
  • पैरों में सूजन
  • बार-बार पेल्विक और पेट में दर्द होना

सर्वाइकल कैंसर के कारण-

  • एचपीवी के कारण होने वाले अधिकांश गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर यौन संचारित होते हैं। 
  • यह वायरस यौन संपर्क - गुदा, मौखिक या योनि के माध्यम से फैलता है और कैंसर का कारण बन सकता है।
  • एक अध्ययन के अनुसार, अधिकांश लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी एचपीवी हो जाता है।
  • उन्हें इसका एहसास नहीं होता है, क्योंकि उनका शरीर संक्रमण से लड़ता रहता है। 
  • यदि शरीर संक्रमण से नहीं लड़ता पाता है, तो यह गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में बदलने का कारण बन सकता है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न- 

प्रश्न-बाजार में उपलब्ध सर्वाइकल कैंसर  से संबंधित एचपीवी वैक्सीन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. एचपीवी वैक्सीन ‘गार्डासिल’ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
  2. क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन ‘सेरवावैक’ अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी मर्क द्वारा निर्मित होती है।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए। 

(a) केवल 1 

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर- (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- सर्वाइकल कैंसर के कारणों को स्पष्ट कीजिए इसके उपचार की विधियाँ बताएं

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