संदर्भ
भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर पहले से ही अत्यंत निम्न है। कोविड-19 जनित लॉकडाउन के कारण इसमें और भी गिरावट आई है। महिलाओं के कार्यस्थल में सुधार, सुरक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था आदि के द्वारा महिलाओं को कार्यबल में वापस लाकर श्रमबल में उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है।
महिला श्रम बल भागीदारी की स्थिति
- भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (CMIE) के अनुसार, सितंबर-दिसंबर 2021 की अवधि के दौरान महिला श्रम बल भागीदारी दर 9.4 प्रतिशत थी। यह दर वर्ष 2016 में पहली बार महिला श्रम बल भागीदारी से संबंधित डाटा के संकलन के बाद से सबसे कम है।
- भारत में श्रम बल में महिलाओं की निम्न भागीदारी का प्रमुख कारण कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव और सुरक्षा का आभाव है, किंतु अनौपचारिक एवं असंगठित क्षेत्र में इस मुद्दे पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र
- भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (Centre for Monitoring Indian Economy : CMIE) एक स्वतंत्र गैर-सरकारी संस्थान है, जो एक आर्थिक थिंक-टैंक होने के साथ-साथ व्यावसायिक सूचना देने वाली कंपनी के रूप में कार्य करती है।
- सी.एम.आई.ई. यह जानकारी डाटाबेस और शोध रिपोर्ट के रूप में सदस्यता-आधारित व्यवसाय मॉडल के माध्यम से प्रदान करता है। इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।
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असंगठित क्षेत्र की स्थिति
- भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हैं। कृषि क्षेत्र में अनौपचारिक रोजगार का स्तर उच्चतम है, इसके बाद विनिर्माण (Manufacturing), व्यापार और निर्माण (Construction) क्षेत्र का स्थान आता है।
- यदि ग्रामीण-शहरी अंतराल की तुलना की जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों के कुल रोज़गार में अनौपचारिक क्षेत्र का हिस्सा 96% है। इसमें से 98% पुरुष अनौपचारिक रोजगार की तुलना में महिला अनौपचारिक रोजगार 95% था।
- शहरी भारत में 79% नौकरियां अनौपचारिक प्रकृति की थी। शहरी भारत की कुल महिला श्रमिकों में से 82% और कुल पुरुष श्रमिकों में से 78% अनौपचारिक क्षेत्र के रोजगार में संलग्न थे।
- आँकड़ों के विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिला श्रमिकों के अनौपचारिक क्षेत्र में संलग्न होने की संभावना अधिक है।
कानून प्रवर्तन की समस्याएँ
- ‘महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनयम, 2013’, ‘दंड विधि संशोधन अधिनियम, 2013’ और ‘घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005’ जैसे कानूनों को पूर्ण प्रतिबद्धता से लागू करने की आवश्यकता है।
- इसके लिये एक प्रभावी निकाय ‘महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनयम, 2013’ के तहत ‘स्थानीय शिकायत समिति’ की संरचना हो सकती है, किंतु वर्तमान में ऐसे निकाय लगभग गैर-कार्यात्मक स्थिति में हैं।
संबंधित उपाय
- महामारी के बाद समावेशी विकास की प्राप्ति के उद्देश्य से अनौपचारिक क्षेत्र में महिलाओं के लिये कार्यस्थलों को सुरक्षित बनाने के प्रयासों को तीव्र करने की आवश्यकता है।
- कुछ ऐसे उपाय हैं, जिन्हें शीघ्र लागू किया जा सकता है-
- अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को लिंग आधारित हिंसा के प्रति संवेदनशील बनाना और इससे निपटने वाले कानूनों के बारे में उन्हें सरल भाषा में जानकारी देना।
- स्थानीय शिकायत समितियों को अधिक कार्यात्मक बनाना।
- कार्यस्थलों पर ऐसे मामलों से निपटने के लिये स्थानीय श्रम ठेकेदारों को संवेदनशील बनाना।
- इन उपायों को स्थानीय महिला अधिकार संगठनों के तकनीकी सहयोग से लागू किया जा सकता है। सरकार को वर्तमान कानूनों के कार्यान्वयन में सुधार करने और कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा के लिये बजटीय प्रावधानों को बढ़ाने की भी आवश्यकता है।