यह यूरीआर्कियोटा का एक वर्ग है जिसे हेलोफिलिक आर्किया के नाम से भी जाना जाता है। यह नमक से संतृप्त या लगभग संतृप्त जल में पाया जाता है।
हेलोबैक्टीरिया को अब बैक्टीरिया की बजाय आर्किया के रूप में पहचाना जाता है जो सबसे बड़े समूहों में से एक है। ये सूक्ष्मजीव ‘हेलोफाइल समुदाय’ के सदस्य हैं, जिन्हें बढ़ने के लिये उच्च नमक सांद्रता की आवश्यकता होती है।
जल में इनका उच्च घनत्व जल के गुलाबी या लाल रंग का कारण होता है। ऐसा संभवतः यूवी संरक्षण के लिये इसकी कोशिकाओं में उपस्थित उच्च स्तरीय कैरोटीनॉयड वर्णक के कारण होता है।
पुणे स्थित एक संस्थान द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, इन रोगाणुओं की उपस्थिति के कारण महाराष्ट्र में स्थित लोनार झील का रंग गुलाबी हो गया है।