‘थेय्यम’, नृत्य के रूप में की जाने वाली पूजा की एक विधि है। इसका प्रदर्शन ‘कलियट्टम उत्सव’ के दौरान भी किया जाता है।
यह दक्षिण भारत, विशेषकर केरल और कर्नाटक के मंदिरों में संपन्न की जाने वाली नृत्य प्रार्थना पर आधारित हजारों वर्ष पुरानी एक लोकप्रिय परंपरा है।
कलियट्टम उत्सव के दौरान ‘थेय्यम’ प्रायः पुरुषों द्वारा किया जाता है। विभिन्न स्थानों के आधार पर इसके विविध प्रकार हैं। यह उत्सव देवी भद्रकाली को समर्पित है।
थेय्यम में प्राचीन दंतकथाओं पर आधारित देवी-देवताओं, योद्धाओं, आदिवासी देवताओं और मुस्लिम पात्रों की पूजा के माध्यम से आदिवासी एवं आदिम धर्म के पहलुओं को शामिल किया गया है।
इस दौरान कलाकार अत्यधिक श्रृंगार करते है तथा राजसी वस्त्र एवं आभूषण धारण करते हैं।