येलो-बैंड रोग एक जीवाणु संक्रमण है जो प्रवाल को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। इससे संक्रमित प्रवाल भित्ति पर हल्के पीले या सफेद रंग के धब्बे पड़ जाते हैं।
यह प्रवाल के प्रमुख ऊर्जा स्रोत सहजीवी प्रकाश संश्लेषक शैवाल ज़ूजैन्थली को नष्ट कर देते हैं जो प्रवाल की मृत्यु का कारण बनता है।
अत्यधिक मछली पकड़ना, प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन के कारण जल का बढ़ता तापमान प्रवाल को येलो-बैंड रोग के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है।
वर्तमान में इस रोग के संक्रमण के कारण थाईलैंड के सामे सैन द्वीप पर स्थित प्रवाल भित्ति नष्ट हो रही है।