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शॉर्ट न्यूज़: 02 अप्रैल, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 02 अप्रैल, 2022


फास्टर प्रणाली 

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था


फास्टर प्रणाली 

चर्चा में क्यों

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना ने ‘फास्टर’ नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। ‘फास्टर’ का पूर्ण रूप ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का त्वरित एवं सुरक्षित प्रसारण' (Fast and Secured Transmission of Electronic Records : FASTER) है।

फास्टर प्रणाली

  • यह प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश, स्थगन आदेश, जमानत आदेश और कार्यवाही आदि के रिकॉर्ड की ई-प्रमाणित प्रतियों को एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को संप्रेषित करने के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
  • यह प्रणाली त्वरित और सुगम न्याय व्यवस्था की स्थापना में सहायक होगी। न्यायालय के आदेशों की समय पर डिलीवरी से अनावश्यक गिरफ्तारी और हिरासत को भी रोका जा सकेगा।
  • न्यायालय के आदेशों के सुचारू प्रसारण तथा अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन के अधिकार के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
  • हालाँकि, इंटरनेट कनेक्शन की समस्या इसके लिये एक चुनौती साबित हो सकती है।

फास्टर सेल 

  • इस प्रणाली के लिये देश भर में कुल 1,887 ई-मेल आई.डी. (e-mail IDs) बनाए गए हैं और सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में एक ‘फास्टर सेल’ की स्थापना की गई है। फास्टर प्रणाली को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से रजिस्ट्री द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह सेल, न्यायालय द्वारा पारित जमानत एवं रिहाई से संबंधित कार्यवाही या आदेशों के डिजिटल हस्ताक्षरित रिकॉर्ड को संबंधित नोडल अधिकारियों को ई-मेल के माध्यम से प्रेषित करेगा।
  • मुख्य न्यायाधीश के अनुसार, निकट भविष्य में इस परियोजना के दूसरे चरण में सर्वोच्च न्यायालय इस प्रणाली के माध्यम से सभी रिकॉर्ड को पूरी तरह से प्रेषित करने में सक्षम होगा, जिसमें हार्ड कॉपी को भी साझा करने की आवश्यकता होती है।

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था

चर्चा में क्यों

सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज (CDS) और भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) के शोधकर्ताओं ने भारत की ‘अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था’ पर एक अध्ययन किया है। इसे एक शोधपत्र ‘इकोनॉमी ऑफ इंडिया: इट्स साइज एंड स्ट्रक्चर’ में प्रकाशित किया गया है। 

अध्ययन के प्रमुख बिंदु

  • इसके अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 36,794 करोड़ रूपए (लगभग $5 बिलियन) के आँकड़े पर पहुँच गई है।
  • सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के प्रतिशत के रूप में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का अनुमानित आकार वर्ष 2011-12 की तुलना में 0.26% से घटकर वर्ष 2020-21 में 0.19% हो गया है। 
  • अंतरिक्ष कार्यक्रम और उसके घटकों के लिये वार्षिक बजट का मूल्यांकन करते हुए अध्ययन में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के प्रमुख भागीदारों को दर्शाया गया है, जोकि निम्नवत् हैं-
    • अंतरिक्ष अनुप्रयोग (Space Applications)- 73.57% 
    • अंतरिक्ष संचालन (Space Operations)- 22.31% 
    • अंतरिक्ष विनिर्माण (Space Manufacturing)- 4.12% 
  • भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था काफी विकसित हो गई है, जो वर्ष 2011-12 से 2020-21 के बीच औसत रूप से सकल घरेलू उत्पाद का 0.23% हो गई है। 
  • अध्ययन में यह भी पाया गया कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में अंतरिक्ष बजट वर्ष 2000-01 की तुलना में 0.09% से घटकर वर्ष 2011-12 में 0.05% हो गया और तब से लगभग उसी स्तर पर बना हुआ है।
  • गौरतलब है कि जी.डी.पी. के संबंध में भारत का खर्च चीन, जर्मनी, इटली और जापान से अधिक है, किंतु अमेरिका और रूस से कम है।
  • यह अध्ययन अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के अनुरूप है। इससे निजी निवेश में वृद्धि और वैश्विक निजी अंतरिक्ष उद्योग के साथ बेहतर एकीकरण के द्वारा अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि होने की संभावना है।


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