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शॉर्ट न्यूज़: 05 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)

शॉर्ट न्यूज़: 05 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)


अल्लूरी सीताराम राजू

ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण

भौगोलिक संकेतक

भूस्खलन (Landslide)


अल्लूरी सीताराम राजू

चर्चा में क्यों?

अमृत महोत्सव के तहत महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की प्रतिमा का अनावरण पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा आंध प्रदेश के भीमावरम शहर में किया जायेगा। 

अल्लूरी सीताराम राजू के बारे में -

  • अल्लूरी सीताराम राजू एक भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक सशस्त्र अभियान चलाया। 
  • उनका जन्म 1897 में विशाखापटनम में हुआ था। उनका असली नाम श्रीरामराजू था।  
  • सीताराम राजू वर्ष 1882 के मद्रास वन अधिनियम के खिलाफ ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गए। 
  • महज 27 साल की उम्र में वह सीमित संसाधनों के साथ सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देने और अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी को प्रेरित करने में कामयाब रहे। 
  • अंग्रेजों के प्रति बढ़ते असंतोष ने 1922 के रम्पा विद्रोह (Rampa Rebellion) को जन्म दिया, जिसमें अल्लूरी सीताराम राजू ने एक नेतृत्वकर्त्ता के रूप में एक प्रमुख भूमिका निभाई। 
  • 1922 से 1924 के बीच हुए इस विद्रोह में अल्लूरी ने ब्रिटिशर्स के खिलाफ विद्रोह करने के लिए विशाखापट्टनम और पूर्वी गोदावरी जिलों के आदिवासी लोगों को संगठित किया।
  • स्थानीयों ने उन्हें ‘मान्यम वीरुडू’ (जंगलों का नायक) उपनाम दे दिया था।

ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग

  • ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑक्सिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग (बीईओएसपी) जिसे ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग के रूप में भी जाना जाता है, पूछताछ का एक न्यूरो मनोवैज्ञानिक तरीका है जिसमें अपराध में आरोपी की भागीदारी की जांच उनके मस्तिष्क की प्रतिक्रिया का अध्ययन करके की जाती है।
  • BEOSP परीक्षण इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जो मानव मस्तिष्क के विद्युत व्यवहार का अध्ययन करने के लिए आयोजित किया जाता है।
  • इस टेस्ट के तहत सबसे पहले आरोपियों की सहमति ली जाती है और फिर उन्हें दर्जनों इलेक्ट्रोड्स से जुड़ी कैप पहनाई जाती है। 
  • इसके बाद आरोपियों को अपराध से संबंधित दृश्य दिखाए जाते हैं या ऑडियो क्लिप चलाए जाते हैं ताकि उनके दिमाग में न्यूरॉन्स का कोई ट्रिगर होने से उत्पन्न ब्रेनवेव के निर्माण का पता लगाया जा सके। 
  • अपराध में अभियुक्त की भागीदारी का निर्धारण करने के लिए परीक्षण के परिणामों का अध्ययन किया जाता है। 
  • केवल परीक्षा परिणाम को साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, परीक्षण के दौरान खोजी गई किसी भी जानकारी या सामग्री को सबूत का हिस्सा बनाया जा सकता है (सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य मामला, 2010 में सुप्रीम कोर्ट का  फैसला)।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र के अमरावती में एक केमिस्ट की हत्या मामले की जांच शनिवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण(एनआईए) को सौंप दी। 

राष्ट्रीय जांच अभिकरण (NIA)के बारे में-

  • NIA, राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम 2008 के तहत स्थापित, गृह मामलों के मंत्रालय के अधीन काम करता है।
  • यह निम्नलिखित मामलों में अपराधों की जाँच और अभियोग चलाने की केंद्रीय एजेंसी है:
    • भारत की संप्रभुता, सुरक्षा एवं अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध को प्रभावित करने वाले अपराध।
    • परमाणु और परमाणु प्रतिष्ठानों के विरुद्ध अपराध।
    • उच्च गुणवत्तायुक्त नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, अभिसमयों (Conventions) और संयुक्त राष्ट्र, इसकी एजेंसियों ​​तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रस्तावों का कार्यान्वयन करती है।
  • इसका उद्देश्य भारत में आतंकवाद का मुकाबला करना भी है।
  • यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में तथा शाखाएँ हैदराबाद, गुवाहाटी, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता, रायपुर और जम्मू में हैं।

क्षेत्राधिकार:

  • एक राज्य सरकार केंद्र सरकार से मामले की जांच एनआईए को सौंपने का अनुरोध कर सकती है, बशर्ते मामला एनआईए अधिनियम की अनुसूची में निहित अपराधों के लिए दर्ज किया गया हो।
  • केंद्र सरकार एनआईए को भारत में कहीं भी किसी भी अनुसूचित अपराध की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दे सकती है।
  • गैर कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) तथा कुछ सूचीबद्ध अपराधों के तहत अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने के लिये एजेंसी को केंद्र सरकार की मंज़ूरी लेनी होती है।
  • इसे राज्यों से कोई विशेष अनुमति प्राप्त किये बिना राज्यों में आतंक-संबंधी घटनाओं की जाँच करने का अधिकार है। 

संयोजन:

  • एनआईए के अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय राजस्व सेवा से लिए जाते हैं।

विशेष एनआईए अदालतें:

  • केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न विशेष न्यायालयों को अधिसूचित किया गया है।
  • इन अदालतों के अधिकार क्षेत्र के बारे में कोई भी प्रश्न केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है।
  • इनकी अध्यक्षता उस क्षेत्र में अधिकार क्षेत्र वाले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय को मामलों को एक विशेष अदालत से राज्य के भीतर या बाहर किसी अन्य विशेष अदालत में स्थानांतरित करने का भी अधिकार दिया गया है।

भौगोलिक संकेतक

चर्चा में क्यों?

मयूरभंज का सुपरफूड 'एंट चटनी'  भौगोलिक संकेत (जीआई) रजिस्ट्री के लिए प्रायसरत है।

भौगोलिक संकेतक के बारे में -

  • एक भौगोलिक संकेत (GI) टैग किसी विशेष क्षेत्र / राज्य / देश के उत्पाद निर्माता या व्यवसायियों के समूह को अच्छी गुणवत्ता के कृषि, औद्योगिक, प्राकृतिक वस्तुओं को बनाने के लिए दिया जाता है।
  • इस तरह का नाम गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है जो निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र में उसके मूल तथ्य के कारण होता है।
  • कुछ उदाहरण हैं – शैंपेन, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी साड़ी, कांचीपुरम सिल्क साड़ी, नागपुर के संतरे, बीकानेर की भुजिया इत्यादि।
  • जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है। 
  • वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।      
  • एक संरक्षित भौगोलिक संकेत धारक, किसी और व्यक्ति को उसी तकनीक से इसी उत्पाद को बनाने से नहीं रोक सकता है, लेकिन नक़ल करने वाला व्यक्ति उसी संकेत का उपयोग नहीं कर सकता है।
  • GI टैग के माध्यम से उत्पादन प्रक्रिया में नयापन लाने वाले लोगों को इस बात की सुरक्षा प्रदान की जाती है कि उनके उत्पाद की नक़ल कोई और व्यक्ति या संस्था नहीं करेगी।

इसके दो मुख्य उद्येश्य हैं-

  • GI टैग किसी क्षेत्र के उत्पाद की उत्पत्ति को पहचानने के लिए एक संकेत या प्रतीक है।
  • इस GI टैग की मदद से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित वस्तुओं की अच्छी गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।

भूस्खलन (Landslide)

चर्चा में क्यों?

मणिपुर के नोनी जिले के तुपुल के पास स्थित मखुआम गांव में अभूतपूर्व भारी भूस्खलन के कारण हुई भीषण तबाही हुई।

भूस्‍खलन के बारे में -

  • चट्टानों, मिट्टी और वनस्‍पतियों का किसी ढलान पर नीचे की ओर खिसकना ही भूस्‍खलन है।
  • भूस्खलन को सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के बृहत संचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • यह एक प्रकार का वृहद् पैमाने पर अपक्षय है, जिससे गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव में मिट्टी और चट्टान समूह खिसककर ढाल से नीचे गिरते हैं।

कारक:

 ढलान संचलन तब होता है जब नीचे की ओर (मुख्य रूप से गुरुत्वाकर्षण के कारण) कार्य करने वाले बल ढलान निर्मित करने वाली पृथ्वी जनित सामग्री से अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं।

भूस्खलन के कारण:

भूस्खलन के कारण प्राकृतिक और मानवजनित दोनों हैं:

प्राकृतिक कारण:

  • पर्वतीय क्षेत्रों में भारी वर्षा या हिमपात भूस्खलन का कारण बनता है।
  • भूकंप जैसे विवर्तनिक बल भी भूस्खलन का कारण बनते हैं।
  • गुरुत्वाकर्षण बल के नेतृत्व में खड़ी ढलानें भी भूस्खलन का कारण बनती हैं।

मानवीय गतिविधियाँ:

  • पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की कटाई से मिट्टी ढीली हो जाती है जिससे भूस्खलन होता है।
  • नाजुक क्षेत्रों में अवैज्ञानिक भूमि उपयोग और निर्माण गतिविधियाँ, खुदाई।
  • स्थानांतरण की खेती।

भूस्खलन सुभेद्यता क्षेत्र:

भेद्यता के आधार पर भारत में तीन भूस्खलन क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

  • अति उच्च सुभेद्यता क्षेत्र
  • उच्च सुभेद्यता क्षेत्र
  • मध्यम से निम्न संवेदनशील क्षेत्र

अति उच्च सुभेद्यता क्षेत्र:

  • हिमालय और अंडमान और निकोबार के स्थिर और अस्थिर क्षेत्र।
  • पश्चिमी घाट और नीलगिरि और उत्तर-पूर्वी राज्यों के तेज ढलान वाले क्षेत्रों के साथ उच्च वर्षा।

उच्च सुभेद्यता क्षेत्र:

  • असम के मैदानी इलाकों को छोड़कर पूर्वोत्तर राज्य भूस्खलन के उच्च जोखिम वाले क्षेत्र हैं।

मध्यम से निम्न संवेदनशील क्षेत्र:

  • हिमाचल प्रदेश में ट्रांस हिमालय लद्दाख स्पीति घाटी जैसे कम वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्र।
  • अरावली के कम वर्षा वाले क्षेत्र।
  • पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट के वर्षा छाया क्षेत्र।
  • खनन के कारण भूस्खलन, छोटानागपुर क्षेत्र, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक, गोवा, केरल में आम हैं।

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