शॉर्ट न्यूज़: 14 अप्रैल, 2022
मालाबार विद्रोह
बुखारेस्ट नाइन (बी-9)
मालाबार विद्रोह
चर्चा में क्यों
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् (ICHR) ने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची से मालाबार विद्रोह में शामिल वरियामकुन्नाथु कुन्हाहमद हाजी और अली मुसलियार सहित 382 शहीदों को हटाने की सिफारिश पर अपना निर्णय स्थगित कर दिया है।
विद्रोह के बारे में
- मालाबार विद्रोह, जिसे मप्पिला या मोपला विद्रोह भी कहा जाता है, वर्ष 1921 में केरल के मालाबार में शुरू हुआ।
- इस विद्रोह का तात्कालिक कारण वर्ष 1920 में कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया खिलाफत एवं असहयोग आंदोलन था। इन आंदोलनों से प्रेरित ब्रिटिश-विरोधी भावना को दक्षिण मालाबार के मुस्लिम मप्पिलाओं का प्रोत्साहन मिला।
- यह विद्रोह अंग्रेजों के उन काश्तकारी कानून के विरोध में शुरू हुआ था, जो जमींदारों के पक्ष में था और जिसमें किसानों के लिये पहले की अपेक्षा कहीं अधिक शोषणकारी व्यवस्था थी।
- नए कानून ने उन्हें भूमि और उसकी उपज के सभी गारंटीकृत अधिकारों से वंचित कर वास्तव में उन्हें भूमिहीन बना दिया।
- विदित है कि अधिकांश जमींदार नंबूदिरी ब्राह्मण थे जबकि अधिकांश काश्तकार मप्पिला मुसलमान थे, जिसने विद्रोह को सांप्रदायिक रूप प्रदान किया।
बुखारेस्ट नाइन (बी-9)
चर्चा में क्यों
हाल ही में, बुखारेस्ट नाइन (बी-9) ने उत्तर-अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के पूर्व की ओर ‘विस्तार’ के रूसी दावे को खारिज कर दिया है।
बुखारेस्ट नाइन
- ‘बुखारेस्ट नाइन’ पूर्वी यूरोप में अवस्थित 9 नाटो देशों का एक समूह है, जो शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन का हिस्सा बन गया। इसे संक्षिप्त रूप में बी-9 कहा जाता है।
- इसकी स्थापना 4 नवंबर, 2015 को हुई थी। इसका नाम रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से लिया गया है।
- इसके अंतर्गत 9 देश हैं , जिनमें बुल्गारिया, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया के साथ-साथ तीन बाल्टिक गणराज्य एस्टोनिया, लिथुआनिया तथा लातविया शामिल हैं। गौरतलब है कि बी-9 के सभी सदस्य देश यूरोपीय संघ और नाटो का हिस्सा हैं।
- यह समूह बुखारेस्ट में आयोजित मध्य और पूर्वी यूरोप के राज्यों की उच्च-स्तरीय बैठक में ‘क्लॉस इओहानिस’ (वर्ष 2014 से रोमानिया के राष्ट्रपति) और ‘आंद्रेज डूडा’ (वर्ष 2015 से पोलैंड के राष्ट्रपति) की पहल पर बनाया गया था।
- यह समूह नाटो सदस्य राज्यों की सुरक्षा की एकजुटता और अविभाज्यता के सिद्धांतों के पूर्ण अनुपालन में प्रतिभागी संबद्ध राज्यों के बीच संवाद और परामर्श को गहरा करने के लिये एक मंच प्रदान करता है, जिससे उत्तर-अटलांटिक गठबंधन में चल रही प्रक्रियाओं में उनके विशिष्ट योगदान को स्पष्ट किया जा सके।
- विदित है कि नाटो गठबंधन में इसे ‘पूर्वी पक्ष की आवाज़’ (Voice of Eastern Flank) के रूप में संबोधित किया जाता है।