शॉर्ट न्यूज़: 14 दिसंबर, 2021
विनायक दामोदर सावरकर
सरकारी स्वामित्व वाले संविदाकारक मॉडल
ग्रामीण युवाओं में रोज़गार सृजन सम्बंधी योजनाएँ
विनायक दामोदर सावरकर
संदर्भ
हाल ही में आयोजित इंदौर साहित्योत्सव के दौरान ‘वीर सावरकर: द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ पुस्तक के लेखक सूचना आयुक्त श्री उदय माहुरकर की राय के अनुसार, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ भारत में सावरकर युग की शुरुआत हो चुकी है।
सावरकर : एक नज़र में
- राष्ट्रवाद और सामाजिक सुधार के प्रणेता वी. डी. सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में हुआ था। वे रूढ़िवादी हिंदू विचारों (जैसे- गौ-पूजा) का खंडन तथा तार्किक विचारों का समर्थन करते थे।
- इन्होंने राष्ट्रवादी व क्रांतिकारी विचारों के प्रसार हेतु वर्ष 1899 में गणेश सावरकर के साथ एक युवा संगठन ‘मित्र मेला’ की स्थापना की। साथ ही, ‘अभिनव भारत समाज’ तथा ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना में भी इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
- इन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास (दि हिस्ट्री ऑफ़ दि वॉर ऑफ़ इंडियन इंडिपेंडेंस)’, ‘एन आर्म्ड रिवोल्ट अगेंस्ट द मॉर्ले-मिंटो रिफॉर्म’ और ‘हिंदुत्व’ नामक पुस्तकों की रचना की।
- वे वर्ष 1937 से 1943 के तक हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे। कांग्रेस की प्रांतीय सरकारों द्वारा अक्तूबर 1939 में सामूहिक रूप से त्यागपत्र दिये जाने के पश्चात् इनके नेतृत्व में हिंदू महासभा ने मुस्लिम लीग के सहयोग से सिंध, बंगाल तथा पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांतों में सरकार बनाने का फैसला किया।
- सावरकर ने कथित तौर पर जिन्ना के ‘द्वि-राष्ट्र सिद्धांत’ का समर्थन किया।
सरकारी स्वामित्व वाले संविदाकारक मॉडल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने 'सरकार के स्वामित्व वाले संविदा पर संचालित मॉडल’ (Government Owned Contractor Operated: GOCO) की लेखा परीक्षा रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- भारतीय सेना ने वर्ष 2020 में आधार कार्यशालाओं तथा आयुध डिपो की परिचालन क्षमता में सुधार के लिये उद्योग भागीदारों की पहचान करने के उद्देश्य से ‘गोको मॉडल’ की शुरूआत की थी।
- इसकी शुरुआत युद्धक क्षमता बढ़ाने तथा रक्षा व्यय को संतुलित करने के लिये ‘डी.बी. शेखटकर’ की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश के आधार पर की गई थी।
उद्देश्य
- इस मॉडल का उद्देश्य कार्यशालाओं के आधुनिकीकरण के साथ-साथ सेना के कर्मियों को रखरखाव के कार्य से मुक्त करना था।
- गोको मॉडल के आधार पर कुछ आर्मी बेस वर्कशॉप का निगमीकरण करने की भी सिफारिश की गई थी।
- कैग के अनुसार, भारतीय सेना की इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने की मूल समय-सीमा दिसंबर 2019 में समाप्त हो गई है।