शॉर्ट न्यूज़: 16 अप्रैल, 2022
माधवपुर मेला
आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान
माधवपुर मेला
चर्चा में क्यों
हाल ही में, राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने गुजरात में माधवपुर मेले का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस धार्मिक-सांस्कृतिक मेले का आयोजन प्रतिवर्ष पोरबंदर तट पर स्थित माधवपुर गाँव में किया जाता है। इसे माधवपुर घेड के नाम से भी जाना जाता है।
- यहाँ माधवरायजी (भगवान कृष्ण) और उनकी पत्नी रुक्मिणी का मंदिर हैं जिसका निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था।
- यह मेला चैत्र राम नवमी से प्रारंभ होकर त्रयोदशी तिथि पर समाप्त होता है। पाँच दिन तक चलने वाले इस मेले में भगवान कृष्ण और रुक्मिणी की मूर्तियों के साथ माधवपुर में 'समैया' को प्रदर्शित करने वाला जुलूस निकाला जाता है जो वर-वधू को घर में स्वागत करने की रस्म को इंगित करता है।
पौराणिक मान्यता
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मेला लगभग 4,000 वर्ष पूर्व रुक्मिणी के साथ भगवान कृष्ण के विवाह के स्मृति में एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- इसके अनुसार, भगवान कृष्ण ने पोरबंदर के पास द्वारका में अपना राज्य स्थापित किया था। राजा भीमक (वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्र) की बेटी रुक्मिणी, कृष्ण से विवाह करना चाहती थी, जबकि उनका भाई रुक्मिणी का विवाह कृष्ण के चचेरे भाई शिशुपाल से करना चाहता था।
- इसलिये कृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर गुजरात के माधवपुर गांव में उनके साथ विवाह कर लिया। अत: यह मेला पूर्वोत्तर भारत के लोगों के लिये भी एक आस्था का विषय और पूर्व व पश्चिम के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है।
आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान
चर्चा में क्यों
हाल ही में, विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में भारत और दक्षिण एशिया के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान व्यक्त किया गया है।
भारत की स्थिति
- विश्व बैंक के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष (FY 2022-23) में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 8% तक रहने का अनुमान है, जबकि अगले वित्त वर्ष (FY 2023-24) में वृद्धि दर 7.1% तक रह सकती है।
- इसके अतिरिक्त, अभी-अभी बीते वित्तीय वर्ष (FY 2021-22) के अंतिम अनुमान में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.3% रहने की संभावना है, जबकि इससे पूर्व के वित्तीय वर्ष (FY 2020-21) में कोविड-19 महामारी के कारण 6.6% का संकुचन देखा गया था।
दक्षिण-एशिया की स्थिति
- रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण दक्षिण एशिया के लिये चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.6% (पूर्व अनुमान से 1% कम) तथा अगले वित्त वर्ष में 6.3% रहने का अनुमान है।
- यह क्षेत्र पहले से ही असमान वृद्धि, वस्तुओं की बढ़ती कीमतें, आपूर्ति में बाधाएँ और वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियां का सामना कर रहा है। युद्ध के कारण मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे में वृद्धि तथा चालू खाता शेष में गिरावट देखी जा रही है।
- इन चुनौतियों को देखते हुए, सरकारों को हरित, लचीले और समावेशी विकास को ध्यान में रखते हुए बाह्य आघातों का मुकाबला करने व कमजोर वर्गों की रक्षा के लिये मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियों के सावधानीपूर्वक प्रबंधन की आवश्यकता है।