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शॉर्ट न्यूज़ : 18 अप्रैल , 2024

शॉर्ट न्यूज़ : 18 अप्रैल , 2024


वीरानम झील

पार्किंसंस रोग

एफ.आई.आई. को ग्रीन बांड में निवेश की अनुमति

महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए पहल (iCET)

गैया-बीएच3 (Gaia-BH3)


वीरानम झील

  • हालियाँ खबरों के मुताबिक, बढ़ते तापमान की वजह से चेन्नई निवासियों के प्राथमिक जल स्रोतों में से एक वीरनम झील सूख चुकी है।
  • चेन्नई मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड (CMWSSB) के आंकड़ों के अनुसार, 15 अप्रैल, 2024 को वीरनम झील में जल भंडारण शून्य मिलियन क्यूबिक फीट (MCFT) दर्ज किया गया था।
  • पिछले साल इसी तारीख को झील में 687.40 MCFT पानी था, जबकि इसकी कुल क्षमता 1,465 MCFT है।

LAKE

वीरानम झील के बारें में:

  • अवस्थिति: यह झील तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में स्थित है।
  • जल स्रोत : इस वीरानम झील को वाडावरु नदी के माध्यम से कोल्लीदम नदी से पानी मिलता है।
    • वदावरु नदी वीरनम झील और कोल्लीदम नदी को जोड़ती है।
  • निर्माण : राजादित्य चोल, जो परांतक प्रथम की पहली संतान थे, ने चोल काल के दौरान 907 और 955 ईस्वी के बीच इस झील का निर्माण करवाया था।
    • 14 किमी की लंबाई के साथ, वीरानम दुनिया की सबसे लंबी कृत्रिम झीलों में से एक है। 
    • इसे प्राचीन लोगों ने 10वीं शताब्दी में केवल कच्चे हाथ के औजारों का उपयोग करके बनाया था।
    • राजादित्य चोल ने अपने पिता के सम्मान में उनकी उपाधि के नाम पर इस जल निकाय को ‘वीरनारायणन’ नाम दिया था।
    • समय के साथ इसका नाम बदलकर ‘वीरानम’ कर दिया गया।
  • ऐतिहासिक प्रमाण : लेखक कल्कि के प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास ‘पोन्नियिन सेलवन’ में इस झील का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। 
    • पोन्नियिन सेलवन में झील की भव्यता और जिस तरह से इसमें कई नदियाँ बहती हैं, उसका विस्तृत विवरण शामिल है।

पार्किंसंस रोग

संदर्भ

हाल ही में वैज्ञानिकों ने पार्किंसंस से जुड़े एक नए आनुवंशिक संस्करण की खोज की है।

पार्किंसंस का नया आनुवंशिक संस्करण:

  • लिंकेज विश्लेषण का उपयोग करते हुए पार्किंसंस रोग के लिए “RAB32 Ser71Arg” नामक एक नए आनुवंशिक उत्परिवर्तन की पहचान हुई है।
  • यह उत्परिवर्तन तीन परिवारों में पार्किंसनिज़्म से जुड़ा था और कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पोलैंड, तुर्की, ट्यूनीशिया, यू.एस. और यू.के. सहित कई देशों के 13 अन्य लोगों में पाया गया है।
  • यह पारिवारिक पार्किंसनिज़्म के कई रूपों की विकासवादी उत्पत्ति पर प्रकाश डालता है, जिससे बीमारी को बेहतर ढंग से समझने और इलाज करने के द्वार खुलते हैं।

PARKINSON

पार्किंसंस रोग के बारे में

  • पार्किंसंस रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव गतिविधि विकार है जो समय के साथ लगातार बढ़ता रहता है।
  • यह रोग एक मस्तिष्क की स्थिति है जो चलने-फिरने, मानसिक स्वास्थ्य, नींद, दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है।

कारक

  • पार्किंसंस रोग का कारण अज्ञात है लेकिन जिन लोगों के परिवार में इस बीमारी का इतिहास है उनमें जोखिम अधिक होता है।
  • वायु प्रदूषण, कीटनाशकों और विलायकों के संपर्क में आने से जोखिम बढ़ सकता है।

प्रभाव

  • पार्किंसंस रोग के परिणामस्वरूप विकलांगता की उच्च दर और देखभाल की आवश्यकता होती है।
  • इससे पीड़ित कई लोगों में डेमेंसिया भी विकसित हो जाता है।
  • पिछले 25 वर्षों में का पार्किंसंस प्रसार दोगुना हो गया है। 
  • वर्ष 2019 में वैश्विक अनुमानों से पता चला कि 8.5 मिलियन से अधिक व्यक्ति पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं। 
  • वर्तमान अनुमान बताते हैं कि, वर्ष 2019 में, इस रोग के परिणामस्वरूप 329,000 मौतें हुईं, जो वर्ष 2000 के बाद से 100% से अधिक की वृद्धि है।
  • अकेले अमेरिका में, दस लाख से अधिक लोग पार्किंसंस से पीड़ित हैं, और नए मामले तथा कुल संख्या लगातार बढ़ रही है।

                                                                                पार्किंसंस प्लस सिंड्रोम

  • पार्किंसंस प्लस सिंड्रोम, जिसे "एटिपिकल पार्किंसंस" भी कहा जाता है, ऐसी बीमारियाँ हैं जो व्यक्ति के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र कोशिकाओं पर हमला करती हैं।
  • पार्किंसंस प्लस सिंड्रोम "क्लासिक" पार्किंसंस रोग की तुलना में अधिक गंभीर और इलाज के लिए कठिन है।

इसके चार मुख्य प्रकार हैं:

प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी (PSP)

  • यह सबसे आम पार्किंसंस प्लस सिंड्रोम है।
  • इससे पार्किंसंस रोग के समान ही पीड़ित व्यक्ति की गति और मांसपेशियाँ प्रभावित होती हैं, जैसे कठोरता व चलने या संतुलन में समस्याएं आदि।

लेवी बॉडीज़ के साथ डेमेंसिया (Dementia With Lewy Bodies) 

  • यह अल्जाइमर रोग के बाद डेमेंसिया का दूसरा सबसे आम रूप है।
  • इससे पीड़ित व्यक्ति भ्रमित हो सकता है अथवा उसमें मतिभ्रम पैदा हो सकता है। 

मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी (Multiple System Atrophy) 

  • यह पीड़ित व्यक्ति के रक्तचाप और पाचन तंत्र प्रणालियों को नियंत्रित करने वाले स्वायत्त तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। 
  • इससे पीड़ित व्यक्ति में पार्किंसंस के लक्षण जैसे कंपकंपी, कठोरता, संतुलन और बोलने में समस्याएं आदि को देखा जा सकता है।

कॉर्टिकोबासल अध:पतन ( Corticobasal Degeneration)

  • यह चार मुख्य प्रकारों में सबसे दुर्लभ है। 
  • यह सेरेब्रल कॉर्टेक्स में मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है।
  • यह गति को नियंत्रित करने वाले मस्तिष्क के हिस्से ‘बेसल गैन्ग्लिया’ (Basal Ganglia) को भी प्रभावित करता है।
  • इसके लक्षण पार्किंसंस रोग के लक्षणों के ही समान होते हैं।

एफ.आई.आई. को ग्रीन बांड में निवेश की अनुमति

संदर्भ 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) को देश के सॉवरेन ग्रीन बांड (SGrBs) में निवेश की अनुमति दी है।

ग्रीन बांड के बारे में 

  • ग्रीन बांड किसी भी संप्रभु इकाई, अंतर-सरकारी समूहों या गठबंधनों एवं निगमों द्वारा जारी किए गए ऐसे बांड होते हैं, जिनसे प्राप्त आय का उपयोग पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय परियोजनाओं के लिए किया जाता है। 
  • इनका उपयोग हरित परियोजनाओं, जैसे- नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, ऊर्जा दक्षता, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, स्थायी जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन, प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण तथा हरित भवनों के वित्तीयन के लिए किया जाता है। 

ग्रीन बांड के उदाहरण

  • विश्व बैंक ग्रीन बांड का एक प्रमुख जारीकर्ता है। 2008 के बाद से, इसने 28 मुद्राओं में 220 से अधिक बांड के माध्यम से लगभग 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर ग्रीन बांड जारी किए हैं।
    • इन निधियों का उपयोग दुनिया भर में विभिन्न हरित परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए किया जा रहा है, मुख्यतः नवीकरणीय ऊर्जा और दक्षता, स्वच्छ परिवहन और कृषि एवं भूमि उपयोग में।
  • आर.बी.आई. ने भी पिछले साल जनवरी और फरवरी में दो किश्तों में 2028 और 2033 में परिपक्वता अवधि के साथ 16,000 करोड़ के एसजीआरबी जारी किए थे।

हरित परिवर्तन में सहायक 

  • एफ.आई.आई. को भारत की हरित परियोजनाओं में निवेश करने की अनुमति देने से देश के 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए उपलब्ध पूंजी पूल में वृद्धि होगी।
    • इससे देश की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% तक कम करने और भारत की 50% ऊर्जा गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से सुनिश्चित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद होगी।
  • इसके अलावा, इन हरित सरकारी-प्रतिभूतियों (जी-सेक) को वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) के तहत वर्गीकृत किया गया है। 
    • एस.एल.आर. रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई एक तरलता दर है जिसे वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों को उधार देने से पहले अपने पास रखना होता है।
  • ग्रीन बांड पर पारंपरिक सरकारी प्रतिभूतियों की तुलना में कम ब्याज मिलता है। बैंक द्वारा उनमें निवेश करने पर छोड़ी गई राशि को 'ग्रीनियम' कहा जाता है। 
    • दुनिया भर में केंद्रीय बैंक और सरकारें वित्तीय संस्थानों को हरित भविष्य की ओर तेजी से बदलाव के लिए ग्रीनियम अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
  • जलवायु वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि हरित सरकारी प्रतिभूतियों में एफ.आई.आई. को अनुमति देने से भारत को लाभ होगा। एफ.आई.आई. निवेशक भी भारत जैसे विकसित देशों में पर्याप्त नियामक समर्थन के चलते हरित निवेश के अपने पूल में विविधता लाना चाहते हैं।
    • साथ ही भारत द्वारा 2022 में प्रस्तुत सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क ने ग्रीनवाशिंग आशंकाओं को भी सफलतापूर्वक संबोधित किया है।

सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क 

  • ग्रीन टैक्सोनॉमी अंतराल को कम करने के लिए वित्त मंत्रालय ने 9 नवंबर, 2022 को भारत का पहला सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क जारी किया था। 
    • वस्तुतः 2022-23 के केंद्रीय बजट में अपतटीय पवन, ग्रिड-स्केल सौर ऊर्जा उत्पादन, या बैटरी संचालित इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को प्रोत्साहित करने जैसी सरकारी परियोजनाओं के वित्तपोषण में तेजी लाने के लिए सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करने की घोषणा की गई थी।
    • लेकिन आरबीआई ने परियोजनाओं की ग्रीनवॉशिंग का प्रयास रोकने  के संदर्भ में ग्रीन बांड के हरित वर्गीकरण अथवा निवेश के पर्यावरण या उत्सर्जन प्रमाण-पत्रों का आकलन करने के संदर्भ में कोई विनियमन तैयार नहीं किया था। 
  • सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क में शामिल है- 
    • सौर/पवन/बायोमास/जलविद्युत ऊर्जा परियोजनाओं (25 मेगावाट से कम) में निवेश जो ऊर्जा उत्पादन और भंडारण को एकीकृत करता है;
    • सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था में सुधार (उदाहरण के लिए एलईडी के साथ प्रतिस्थापन);
    • नई निम्न-कार्बन इमारतों के निर्माण के साथ-साथ मौजूदा इमारतों में ऊर्जा-दक्षता वाले रेट्रोफिट का समर्थन करना;
    • बिजली ग्रिड घाटे को कम करने की परियोजनाएँ;
    • सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, ईवी अपनाने के लिए सब्सिडी और चार्जिंग बुनियादी ढांचे का निर्माण। 
  • अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार संघ (ICMA) के हरित सिद्धांतों के साथ तुलना करते हुए नॉर्वे स्थित सत्यापनकर्ता सिसरो (Cicero) ने भारत के सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क को "सुशासन" के स्कोर के साथ "हरित माध्यम" का दर्जा दिया है।

सॉवरेन ग्रीन बांड (SGrB) के निर्गमन की विशेषताएं 

  • जारी करने का तरीका: एसजीआरबी को समान मूल्य नीलामी के माध्यम से जारी किया जाता है।
  • पुनर्खरीद संबंधी लेनदेन (रेपो) के लिए पात्रता: रिज़र्व बैंक के नियमों और शर्तों के अनुसार, एसजीआरबी पुनर्खरीद संबंधी लेनदेन (रेपो) के लिए पात्र होंते हैं।
  • वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) के लिए पात्रता: एसजीआरबी को एसएलआर उद्देश्यों के लिए पात्र निवेश के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • व्यापार संबंधी योग्यता: एसजीआरबी द्वितीयक बाजार (स्टॉक मार्केट) में ट्रेडिंग के लिए पात्र होते हैं।
  • अनिवासियों द्वारा निवेश: एसजीआरबी को अनिवासियों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के तहत निर्दिष्ट प्रतिभूतियों के रूप में नामित किया गया है।

विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors)

  • एफ.आई.आई. ऐसे संगठन या संस्थाएं हैं जो अपने देश के अलावा किसी अन्य देश के वित्तीय बाजारों में मौद्रिक निवेश करती हैं।
    • इन निवेशकों में पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, बैंक और विदेशों के अन्य बड़े वित्तीय संस्थान शामिल हो सकते हैं।
  • एफ.आई.आई. अपने निवेश के माध्यम से तरलता प्रदान करके, ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ाकर और स्टॉक की कीमतों को प्रभावित करके किसी देश के वित्तीय बाजारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ये अपनी निवेश रणनीतियों और बाजार दृष्टिकोण के आधार पर स्टॉक, बॉन्ड और डेरिवेटिव सहित कई वित्तीय साधनों में निवेश करते हैं।
  • एफ.आई.आई. से धन का प्रवाह स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूप से प्रभावित कर सकता है। 
    • यह वहां के बाजार की स्थितियों, सरकारी नीतियों और वैश्विक आर्थिक रुझानों जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है।
  • भारत में एफ.आई.आई. के निवेश को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा विनियमित किया जाता है, जबकि ऐसे निवेश की सीमा रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित की जाती है।

महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए पहल (iCET)

संदर्भ 

इज़राइल और ईरान के बढ़ते तनाव के कारण, अमेरिकी एन.एस.ए. ने महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर भारत-अमेरिका पहल की दिल्ली में होने वाली वार्षिक समीक्षा रद्द कर दी।

iCET क्या है 

  • महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल (iCET) कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, अर्धचालक और वायरलेस दूरसंचार सहित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग के लिए भारत और अमेरिका द्वारा सहमत एक रूपरेखा है। 
  • इसकी घोषणा पहली बार भारत के पीएम और अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2022 में टोक्यो में क्वाड बैठक के मौके पर की थी। 
    • इसे भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और प्रौद्योगिकी एवं रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2023 में लॉन्च किया गया था।

पहल की प्राथमिकता और प्रगति 

  • यह पहल भारत और अमेरिका को आपूर्ति श्रृंखला बनाने और वस्तुओं के सह-उत्पादन एवं सह-विकास का समर्थन करने के लिए एक विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में स्थापित करने पर केंद्रित है।
  • iCET में शामिल प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सामान्य मानक विकसित करना;
    • रक्षा स्टार्टअप्स को जोड़ने के लिए 'इनोवेशन ब्रिज' का विकास;
    • अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का समर्थन करना;
    • मानव अंतरिक्ष उड़ान पर सहयोग को मजबूत करना;
    • 5जी और 6जी में विकास पर सहयोग को आगे बढ़ाना
    • भारत में OpenRAN नेटवर्क प्रौद्योगिकी को अपनाना।
  • iCET के लॉन्च के बाद से भारत और अमेरिका ने सहयोग के लिए पहचाने गए कई प्रमुख क्षेत्रों में "महत्वपूर्ण प्रगति" की है।
    • दोनों देशों ने क्वांटम समन्वय तंत्र स्थापित कर लिया है। 
    •  OpenRAN नेटवर्क प्रौद्योगिकी, 5जी और 6जी में सहयोग बढ़ाने के लिए दूरसंचार पर एक सार्वजनिक-निजी संवाद (पीडीडी) शुरू किया गया है। 
    • सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक नई पहल के रूप में भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र (INDUS-X) को 21 जून 2023 को वाशिंगटन डी.सी., यूएसए में लॉन्च किया गया।

गैया-बीएच3 (Gaia-BH3)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के खगोलविदों ने मिल्की वे आकाशगंगा में Gaia-BH3 नामक सबसे विशाल ज्ञात तारकीय ब्लैक होल की पहचान की है।

गैया-बीएच3 के बारें में:

BLACKHOLE

  • गैया बीएच3 ब्लैक होल या "स्लीपिंग जाइंट" का द्रव्यमान हमारे सूर्य से लगभग 33 गुना अधिक है जो अब तक खोजा गया सबसे विशाल तारकीय ब्लैक होल है।
    • इसके पहले हमारी आकाशगंगा में सबसे बड़ा ज्ञात तारकीय ब्लैक होल सिग्नस एक्स-1 था, जो सूर्य के द्रव्यमान का 21 गुना है।
  • यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के गैया मिशन द्वारा देखा गया तीसरा निष्क्रिय ब्लैक होल है।
  • यह ब्लैक होल एक्विला तारामंडल में पृथ्वी से 1,926 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और पृथ्वी का दूसरा सबसे निकटतम ज्ञात तारकीय ब्लैक होल है।
    • पृथ्वी का निकटतम तारकीय ब्लैक होल Gaia BH1 है, जो लगभग 1,500 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से लगभग 10 गुना अधिक है।
  • हमारी आकाशगंगा में सबसे विशाल ब्लैक होल ‘सैजिटेरियस A*’ है, जो आकाशगंगा के केंद्र में स्थित है। 
    • यह एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है और इसका द्रव्यमान सूर्य से लगभग 4 मिलियन गुना है। 

                                                                                ब्लैक होल के प्रकार

तारकीय-द्रव्यमान

  • तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल सूर्य से कहीं अधिक विशाल तारों की मृत्यु से पैदा होते हैं। 
  • तारकीय द्रव्यमान वाले अन्य ब्लैक होल न्यूट्रॉन सितारों की टक्कर से बनते हैं, जैसे कि पहली बार वर्ष 2017 में LIGO और कन्या द्वारा पता लगाया गया था।
  • ये संभवतः ब्रह्मांड में सबसे आम ब्लैक होल हैं, लेकिन इनका पता लगाना तब तक कठिन है जब तक कि उनके पास एक साथी के रूप में कोई साधारण तारा न हो।

मध्यवर्ती-द्रव्यमान

  • इंटरमीडिएट मास ब्लैक होल सबसे रहस्यमय हैं, क्योंकि हमने शायद ही अभी तक उनमें से किसी को देखा है।
  • इनका वजन सूर्य के द्रव्यमान से 100 से 10,000 गुना अधिक है, जो उन्हें तारकीय और सुपरमैसिव ब्लैक होल के बीच रखता है।
  • वर्तमान में उनकी संख्या या उनके विकास के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। 

सुपरमैसिव

  • सुपरमैसिव ब्लैक होल ब्रह्मांड के दानव हैं, जो लगभग हर आकाशगंगा के केंद्र में रहते हैं।
  • इनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 100,000 से लेकर अरबों गुना तक होता है। 
  • आकाशगंगा का ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 4 मिलियन गुना है। 
  • क्वासर और अन्य "सक्रिय" आकाशगंगाओं के रूप में, ये ब्लैक होल इतनी चमक सकते हैं कि इन्हें अरबों प्रकाश-वर्ष दूर से देखा जा सकता है।

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