शॉर्ट न्यूज़: 24 अगस्त, 2022
भारत-वियतनाम रक्षा समझौता
भारत की रेटिंग में सुधार
भारत-वियतनाम रक्षा समझौता
चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारत और वियतनाम ने लॉजिस्टिक्स समर्थन पर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये। दोनों ने वर्ष 2030 की दिशा में रक्षा साझेदारी पर ‘संयुक्त विजन स्टेटमेंट’ पर हस्ताक्षर किये जो मौजूदा रक्षा सहयोग के दायरे और पैमाने को विस्तृत बनाएगा।
प्रमुख बिंदु
- यह पहला ऐसा बड़ा समझौता है जिस पर वियतनाम ने किसी भी देश के साथ हस्ताक्षर किया है।
- भारत द्वारा वियतनाम को दी गई 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा ऋण सहायता को शीघ्र अंतिम रूप देने पर दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की।
- भारत ने वियतनामी सशस्त्र बलों के क्षमता निर्माण के लिए ‘वायु सेना अधिकारी प्रशिक्षण स्कूल’ में भाषा और आई.टी. लैब की स्थापना के लिये दो सिमुलेटर और मौद्रिक अनुदान देने की घोषणा की।
- भारत और वियतनाम 2016 से एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं और रक्षा सहयोग इस साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ है।
क्या होता है लॉजिस्टिक समझौता
- यह एक प्रशासनिक व्यवस्था हैं जो ईंधन के आदान-प्रदान के लिये सैन्य सुविधाओं तक पहुंच की सुविधा और आपसी समझौते पर प्रावधान तथा लॉजिस्टिक्स समर्थन को सरल बनाता है।
- भारत ने वर्ष 2016 में अमेरिका के साथ लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) के साथ शुरुआत करते हुए सभी क्वाड देशों एवं फ्रांस, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया सहित कई देशों के साथ लॉजिस्टिक्स समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
रणनीतिक महत्व
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिये एक महत्वपूर्ण।
- वियतनाम भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक विजन में एक महत्वपूर्ण भागीदार।
- दोनों देश 2000 वर्षों की सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों का समृद्ध इतिहास साझा करते हैं।
भारत की रेटिंग में सुधार
चर्चा में क्यों
जून माह में ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने भारत के सॉवरेन रेटिंग परिदृश्य को 'नकारात्मक' से 'स्थिर' कर दिया है।
सुधार के प्रमुख क्षेत्र
- वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से निकट अवधि में प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत ने तुलनात्मक रूप से विकास की मजबूत उम्मीद जगाई है।
- भारत को 'बीबीबी' (BBB) रेटिंग प्रदान की गई है जो वित्तीय प्रतिबद्धताओं के भुगतान के लिये पर्याप्त क्षमता के साथ डिफ़ॉल्ट जोखिम में कमी को दर्शाती है।
- फिच ने अनुसार, भारत का सामान्य सरकारी राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद के 10.5% पर स्थिर रहेगा जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 10.7% था।
- साथ ही, वित्त वर्ष 2023-24 और 2026-27 के बीच भारत की विकास दर लगभग 7% रहने का अनुमान है जो सरकार के बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने, सुधार के एजेंडे, वित्तीय क्षेत्र में दबाव कम करने एवं क्रमिक वृद्धि को बनाए रखेगा।
- भारत के उच्च सार्वजनिक ऋण के बावजूद घरेलू स्तर पर घाटे को वित्तपोषित करने की क्षमता तुलनात्मक रूप से बेहतर है।
चुनौतियाँ
- फिच ने चेतावनी दी है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिये भारत के राजकोषीय समेकन लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल हो सकता है।
- साथ ही, केंद्र का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में जी.डी.पी. के 6.4% बजट लक्ष्य से 6.8% तक हो सकता है।
- बजट में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2026 तक जी.डी.पी. घाटे का लक्ष्य का 4.5% रखा है किंतु इसे प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- फिच ने मुद्रास्फीति प्रभाव के कारण वित्त वर्ष 2022-23 के लिये देश के सकल घरेलू उत्पाद के विकास अनुमान को 8.5% से घटाकर 7.8% कर दिया है।
- देश के सार्वजनिक वित्त में लगातार घाटे से व्यापक ऋण-अनुपात कमजोर बना हुई है।