शॉर्ट न्यूज़: 25 अप्रैल, 2022
नरसिंहपेट्टई नागस्वरम
एड्स नियंत्रण उपायों को जारी रखने की मंजूरी
बिहार भूमि दाखिल खारिज संशोधन विधेयक, 2021
नरसिंहपेट्टई नागस्वरम
चर्चा में क्यों
हाल ही में, तमिलनाडु के तंजावुर ज़िले के नरसिंहपेट्टई में बने संगीत वाद्ययंत्र ‘नागस्वरम’ को भौगोलिक संकेतक (जी.आई.) प्रदान किया गया। इससे कारीगरों को भारत सरकार से सहायता तथा अन्य लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी तथा व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
नागस्वरम
- यह दक्षिण भारत का एक दोहरी रीड (Reed) वाला वायु वाद्य यंत्र है। इसका उपयोग तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में पारंपरिक शास्त्रीय वाद्य यंत्र के रूप में किया जाता है। यह ‘अचा मारम’ पेड़ से बना है, जिसे इसकी मज़बूती के लिये जाना जाता है।
- इसके सामने का भाग ‘अनुसू’ वागई लकड़ी का बना होता है तथा ‘सीवली’ या रीड एक प्रकार की घास से बनाई जाती है, जो कावेरी और कोलिडम के तट पर उगती है।
- यह विश्व के सबसे तेज़ गैर-पीतल ध्वनिक यंत्रों में से एक है। यह आंशिक रूप से उत्तर भारतीय शहनाई के समान एक वायु वाद्य यंत्र है।
- नागस्वरम वादक ‘परी’ नागस्वरम बनने से पूर्व छोटे ‘तिमिरी’ नागस्वरम का उपयोग करते थे। इस पर ‘सुधा मध्यमा’ नहीं बजाया जा सकता था। इसीलिये राजारथिनम पिल्लई ने सुधा मध्यमा बनाने में सक्षम एक उपकरण डिज़ाइन करने का फैसला किया, जिस पर संगीतकार इसे सहजता से बजा सकें।
- इसे दक्षिण भारतीय संस्कृति में बहुत शुभ माना जाता है तथा यह दक्षिण भारतीय परंपरा के लगभग सभी हिंदू विवाहों और मंदिरों में बजाया जाने वाला एक प्रमुख संगीत वाद्ययंत्र है।
भौगोलिक संकेतक के बारे में
- जी.आई. टैग किसी कृषि, प्राकृतिक अथवा विनिर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प तथा औद्योगिक वस्तु) को प्रदान किया जाता है, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है या जिसे किसी निश्चित क्षेत्र में ही उगाया या निर्मित किया जाता है। जी.आई. टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण हेतु पेरिस कन्वेंशन के अंतर्गत बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPRs) के घटक के रूप में शामिल किया जाता है।
- माल भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में पंजीकरण और जी.आई. टैग वस्तुओं को सुरक्षा प्रदान करता है। भारत के लिये भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री चेन्नई में स्थित है।
एड्स नियंत्रण उपायों को जारी रखने की मंजूरी
चर्चा में क्यों
हाल ही में, केंद्र ने राष्ट्रीय एड्स एवं एस.टी.डी. नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) के पाँचवें चरण को जारी रखने की मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस कार्यक्रम को 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये जारी रखने की स्वीकृति दी गई है।
- इसे पूरी तरह सरकार द्वारा वित्त पोषित केंद्रीय योजना के रूप में जारी रखा जाएगा, जिसके तहत 15,471.94 करोड़ रूपए का आवंटन किया गया है।
उद्देश्य
- इसके तहत व्यापक रोकथाम,जाँच एवं उपचार सेवाओं के जरिये सतत विकास लक्ष्य 3 को हासिल करना है, जिसके अंतर्गत वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के तौर पर एच.आई.वी./एड्स वैश्विक महामारी को खत्म करने का लक्ष्य शामिल है।
- यह कार्यक्रम सेवाओं की व्यापकता के साथ सबसे अधिक जोखिम वाली आबादी, युवाओं और गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान देना जारी रखेगाऔर बिना किसी भेदभाव के समानता एवं समावेशीकरण को बढ़ावा देगा।
राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम
- वर्ष 1992 में भारत ने पहला राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया था। इसका चौथा चरण 31 मार्च, 2021 को संपन्न हुआ।
- कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया था और परियोजना को लागू करने के लिये एक स्वायत्त राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना की गई थी।
- पहले चरण में जागरूकता पैदा करने, एच.आई.वी. महामारी की निगरानी के लिये निगरानी प्रणाली की स्थापना, उच्च जोखिम समूह आबादी के लिये सुरक्षित रक्त और निवारक सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- योजना के तहत विभिन्न प्रयासों के कारण भारत में एच.आई.वी. प्रसार में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गई है। वर्तमान में वयस्क एच.आई.वी. प्रसार 0.22% है।
बिहार भूमि दाखिल खारिज संशोधन विधेयक, 2021
चर्चा में क्यों
हाल ही में, बिहार ने राज्य में बढ़ते जमीनी विवाद से निपटने और लंबित भूमि सुधारों को लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं।
प्रमुख बिंदु
- बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने गाँवों के लिये एक गतिशील मानचित्र की अवधारणा को पेश किया है, जो भूमि के स्वामित्व में परिवर्तन होने पर अद्यतन हो जाएगा। इस कदम का उद्देश्य कानूनी विवादों को कम करना है।
- सुधारों की दिशा में ही राज्य विधानसभा ने हाल ही में ‘बिहार भूमि दाखिल खारिज (संशोधन) विधेयक 2021’ पारित किया, जिसने भूमि संबंधी मानचित्रों के दाखिल खारिज को अनिवार्य बना दिया है।
- इस संशोधन के तहत किसी भी दाखिल खारिज के फलस्वरूप तीन परिवर्तन होंगे-
-
- पहला, पाठ्य अभिलेखों में परिवर्तन।
- दूसरा, भूमि पार्सल में परिवर्तन।
- तीसरा, सर्वेक्षण मानचित्र का संशोधन।
- विदित है कि पहले केवल पाठ्य अभिलेखों में ही परिवर्तन किया जाता था।
लाभ
- उपलब्ध खसरा नक्शे (जिन्हें डिजिटल किया गया है) 100 वर्ष पहले तैयार किये गए थे। हालाँकि इन खसरा नक्शों को कानूनी मान्यता प्राप्त थी, किंतु ये मौजूदा जमीनी हकीकत को नहीं दर्शाते थे।
- वर्तमान गतिशील नक़्शे से कोई भी व्यक्ति गाँव के नक्शे की अद्यतन स्थिति देख सकता है और यह पता लगा सकता है कि संबंधित भूखंड किस व्यक्ति से संबंधित है।
- गौरतलब है कि हवाई फोटोग्राफी का उपयोग कर अभी तक राज्य के 20 जिलों में विशेष सर्वेक्षण संपन्न हुआ है।
- हवाई फोटोग्राफी में छवि 10 सेमी. सटीकता के साथ होती है, जिससे छोटे भूखंडों की विशेषताओं को आसानी से पहचाना जा सकता है।