शॉर्ट न्यूज़: 26 अप्रैल, 2022
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण
मासिक धर्म पर अवकाश का मुद्दा
ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर
ट्राई के 25 वर्ष
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण
चर्चा में क्यों
हाल ही में, औषधि कंपनियों के समूह ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (National List of Essential Medicines: NLEM) के तहत सूचीबद्ध अनुसूचित दवाओं (Scheduled Drugs) के लिये 10% वार्षिक वृद्धि की मांग की है।
पृष्ठभूमि
- इस वृद्धि से लगभग 800 दवाओं और उपकरणों पर असर पड़ने की उम्मीद है, जो थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वृद्धि से प्रेरित है।
- भारत में अनुसूचित दवाओं की कीमतों में प्रत्येक वर्ष डब्ल्यू.पी.आई. के अनुरूप दवा नियामक द्वारा वृद्धि की अनुमति दी जाती है और वार्षिक परिवर्तन नियंत्रित होता है। विदित है कि पूर्व में यह वृद्धि 5% से अधिक नहीं की गई है।
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA)
- एन.पी.पी.ए. की स्थापना वर्ष 1997 में ड्रग्स (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 1995-2013 के तहत नियंत्रित थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों को निर्धारित/संशोधित करने एवं दवाओं की कीमत और उपलब्धता को लागू करने के लिये की गई थी।
- यह स्वयं के निर्णयों से उत्पन्न होने वाले सभी कानूनी मामलों से निपटने तथा दवाओं की उपलब्धता की निगरानी करने के साथ-साथ औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश के प्रावधानों को लागू करता है।
एन.एल.ई.एम.
- एन.एल.ई.एम. के तहत सभी दवाएँ मूल्य विनियमन के अधीन हैं। ड्रग्स (मूल्य) नियंत्रण आदेश, 2013 के अनुसार अनुसूचित दवाएँ, जो कि फार्मा बाज़ार का लगभग 15% हैं, डब्लू.पी.आई के अनुरूप इनमें वृद्धि की अनुमति है जबकि शेष 85% को प्रत्येक वर्ष 10% की स्वचालित वृद्धि की अनुमति है।
- एन.एल.ई.एम. में सूचीबद्ध दवाओं की कीमतों में सालाना बढ़ोतरी डब्ल्यू.पी.आई. पर आधारित है।
- एन.एल.ई.एम. बुखार, संक्रमण, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एनीमिया आदि के इलाज के लिये प्रयोग की जाने वाली दवाओं को सूचीबद्ध करता है और इसमें आमतौर पर प्रयोग में आने वाली दवाएँ, जैसे- पैरासिटामॉल, एजिथ्रोमाइसिन आदि शामिल हैं।
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण
चर्चा में क्यों
हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निर्णय के तहत कहा कि वायु सेना, नौसेना और सेना सहित सशस्त्र बलों के सदस्य वेतन, पेंशन, पदोन्नति और अनुशासन से जुड़े मुद्दों पर सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) के निर्णयों को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं।
प्रमुख बिंदु
- केंद्र सरकार का तर्क है कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम के तहत सशस्त्र बलों के सदस्यों को ए.एफ.टी. के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर करने का विकल्प उपलब्ध है।
- जबकि उच्च न्यायालय का मानना है कि बड़ी संख्या में मामलों में शीर्ष अदालत में अपील दायर करना भारत के विभिन्न क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों के सदस्यों के लिये महंगा होने के कारण अप्रभावी साबित हो सकता है, जिस कारण न्यायायिक व्यवधान उत्पन्न होंगे।
- साथ ही, दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोजर मैथ्यू मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 226 ए.एफ.टी. पर उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को प्रतिबंधित नहीं करता है।
- इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को केवल एक न्यायाधिकरण के आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में सीधे अपील करने का प्रावधान करके नज़रंदाज नहीं किया जा सकता है।
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम
- सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम, 2007 का उद्देश्य न्यायाधिकरण की स्थापना कर उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित मामलों की बड़ी संख्या का निपटान कर न्याय प्रदान करना है।
- सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की मुख्य पीठ दिल्ली में है जबकि इसकी 10 अन्य पीठ भारत में अन्य क्षेत्रों में स्थित हैं।
मासिक धर्म पर अवकाश का मुद्दा
चर्चा में क्यों
हाल ही में, स्कूल और कॉलेज जाने वाली छात्राओं और अध्यापिकाओं को एक दिन का अवकाश प्रदान करने के लिये अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में एक निजी विधेयक प्रस्तुत किया गया। हालाँकि, विधानसभा ने प्रस्तावित विधेयक को चर्चा योग्य नहीं माना।
प्रमुख बिंदु
- प्रस्तुत विधेयक में यह तर्क दिया गया था कि महिलाओं को मासिक धर्म के पहले दिन अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया क्योंकि विधानसभा ने ऐसी महिलाओं को राहत या विशेष सुविधाएँ प्रदान करने के अन्य तरीके तलाशने का आश्वासन दिया है।
प्रतिक्रिया
- इस मुद्दे को राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग का मामला बताते हुए और विधानसभा में परिचर्चा के लिये ‘अयोग्य विषय’ मानते हुए इसे वापस ले लिया गया है।
- हालाँकि, राज्य के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसे ‘तार्किक और संबंधित विषय’ माना है। अरुणाचल प्रदेश के न्याशी जनजाति समुदाय का तर्क है कि इस दौरान महिलाओं को घर के कुछ हिस्सों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होती है।
- विदित है इटली और जापान जैसे देश और बिहार एवं केरल जैसे भारतीय राज्य कुछ स्थितियों में मासिक धर्म के पहले दिन अवकाश प्रदान कर रहे हैं।
न्याशी समुदाय
न्याशी को निशी और बांगनी भी कहते हैं। ये पूर्वी भूटान और अरुणाचल प्रदेश के आदिवासी लोग है, जो झूम कृषि (स्लेश-एंड-बर्न), शिकार और मछली पकड़ने का कार्य करते है। यह समुदाय पितृसत्तात्मक होता है।
ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर
चर्चा में क्यों
हाल ही में जारी ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर (Global Entrepreneurship Monitor : GEM) इंडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में भारत की उद्यमशीलता गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है।
- ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर (GEM) एक अंतर्राष्ट्रीय परियोजना है जो वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के उद्यमशीलता परिदृश्य पर जानकारी प्रदान करती है।
- कोविड-19 के दौरान वर्ष 2021 में भारत की उद्यमशीलता गतिविधि का विस्तार हुआ है और 'कुल उद्यमी गतिविधि दर' वर्ष 2020 में 5.3% से बढ़कर वर्ष 2021 में 14.4% तक हो गई है। 'कुल उद्यमी गतिविधि दर' ऐसे वयस्कों का प्रतिशत (18-64 आयु वर्ग) है, जो कोई नया व्यवसाय प्रारंभ कर रहे हैं या उसका संचालन कर रहे हैं।
- इसके अलावा, स्थापित व्यवसाय स्वामित्व दर भी वर्ष 2020 के 5.9% से बढ़कर वर्ष 2021 में 8.5% हो गया।
ट्राई के 25 वर्ष
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) ने ट्राई अधिनियम के 25 वर्ष पुरे होने पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस संगोष्ठी का विषय ‘ट्राई अधिनियम के 25 वर्ष: हितधारकों के लिये मार्ग (दूरसंचार, प्रसारण, आई.टी., ए.ई.आर.ए. और आधार)’ था।
- उल्लेखनीय है कि ट्राई (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक स्वायत्त नियामक प्राधिकरण है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1997 में ट्राई अधिनियम के तहत भारत में दूरसंचार क्षेत्र को विनियमित करने के लिये की गई थी।
- इसका उद्देश्य समान अवसरों को प्रोत्साहित करने के लिये एक उचित एवं पारदर्शी परिवेश उपलब्ध कराना है। साथ ही, इसने दूरसंचार हितधारकों के बीच विवाद समाधान के लिये भी एक तंत्र उपलब्ध कराया है।
- ट्राई के न्यायनिर्णय तथा विवाद दायित्वों को कम करने के लिये दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना वर्ष 2000 में ट्राई अधिनियम में संशोधन के माध्यम से की गई।