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शॉर्ट न्यूज़: 28 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)

शॉर्ट न्यूज़: 28 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)


बायोमास को-फायरिंग

लाइट-मेंटल अल्बाट्रॉस

राईट टू हैल्थ

काला सागर

म्यांमार नरसंहार: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का फैसला


बायोमास को-फायरिंग

चर्चा में क्यों ?

  • 24 जुलाई 2022 तक 55335 मेगावाट की संचयी क्षमता के साथ देश में 35 ताप विद्युत संयंत्रों में लगभग 80525 मीट्रिक टन बायोमास का सह-फायरिंग किया गया है। 
  • सह-फायरिंग बायोमास संयंत्रों की संख्या लगभग एक वर्ष की अवधि में चौगुनी हो गई है। 
  • इन सभी के परिणामस्वरूप ताप विद्युत उत्पादन में CO2 पदचिह्न में 1 लाख मीट्रिक टन की कमी आई है।
  • केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने फरवरी 2022 में केंद्रीय बज़ट पेश करते हुए देश के प्रत्येक ताप विद्युत संयंत्र में 5-10% को-फायरिंग अनिवार्य कर दी थी।

    बायोमास :

    • बायोमास पौधे या पशु अपशिष्ट है जिसे विद्युत या ऊष्मा उत्पन्न करने के लिये ईधन के रूप में जलाया जाता है।
    • देश में कुल प्राथमिक ऊर्जा उपयोग का लगभग 32% अभी भी बायोमास से ही प्राप्त होता है तथा देश की 70% से अधिक आबादी अपनी ऊर्जा आवश्यता हेतु इस पर निर्भर है।
    • विद्युत उत्पादन के लिये उपयोग की जाने वाली बायोमास सामग्री में चावल की भूसी, पुआल, कपास के डंठल, नारियल के गोले, सोया भूसी, डी-ऑयल केक, कॉफी अपशिष्ट, जूट अपशिष्ट, मूंँगफली के छिलके आदि शामिल हैं।
    • बायोमास पेलट एक लोकप्रिय प्रकार का बायोमास ईंधन है, जो आमतौर पर लकड़ी के अवशेष, कृषि बायोमास, वाणिज्यिक घास और वानिकी अवशेषों से बनाया जाता है। 

      बायोमास को-फायरिंग: 

      • बायोमास को-फायरिंग कोयला थर्मल संयंत्रों में बायोमास के साथ ईंधन के एक हिस्से को प्रतिस्थापित करने की विधि है। 
      • कोयले को जलाने के लिये डिज़ाइन किये गए बॉयलरों में कोयले और बायोमास का एक साथ दहन किया जाता है। 
      • इस उद्देश्य हेतु मौजूदा कोयला विद्युत संयंत्र का आंशिक रूप से पुनर्निर्माण और पुनर्संयोजित किया जाना है। 
      • को-फायरिंग एक कुशल और स्वच्छ तरीके से बायोमास को बिजली में बदलने और बिजली संयंत्र के  ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने का एक विकल्प है।

      बायोमास को-फायरिंग का महत्व :

      • आयातित कोयले की तेजी से बढ़ती कीमतों की तुलना में, बायोमास पैलेट बहुत कम कीमतों पर उपलब्ध हैं। 
      • हरित बिजली उत्पादन 
      • पराली जलाने की चुनौतियों का समाधान 
      • किसानो का आय सृजन  
      • कार्बन फुटप्रिंट में कमी

      समर्थ (SAMARTH) :

      • ताप विद्युत संयंत्रों में कृषि अवशेषों के उपयोग पर सतत कृषि मिशन
      • किसानों की आय में वृद्धि करते हुए पराली जलाने को कम करने और ताप विद्युत संयंत्रों के कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए, सरकार ने थर्मल पावर प्लांटों में बायोमास के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन की स्थापना की है।

      लाइट-मेंटल अल्बाट्रॉस

      चर्चामें क्यों ?

      • रामेश्वरम और मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के द्वीप अपने अद्वितीय समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जाने जाते हैं और भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर एक 'महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र' है।
      • यह क्षेत्र चर्चा में है, क्योंकि एशिया में पहली बार लाइट-मेंटल अल्बाट्रॉस (फोबेट्रिया पैल्पब्रेट) देखा गया, जो अंटार्कटिक समुद्रों की मूल निवासी प्रजाति थी।
      • रामेश्वरम द्वीप, तमिलनाडु, से लाइट-मेंटेड अल्बाट्रॉस फोबेट्रिया पलपेब्रेटा का पहला एशियाई रिकॉर्ड, जर्नल ऑफ थ्रेटन टैक्सा में प्रकाशित हुआ है।
      • यह खोज शोधकर्ताओं को प्रसिद्ध और स्थापित मार्गों से अलग पक्षियों के प्रवास की तलाश करने का निर्देश देती है। 
      • चूंकि पक्षी की निकटतम दर्ज की गई साइट रामेश्वरम से लगभग 5,000 किमी दूर है, वायुमंडलीय दबाव में बदलाव अल्बाट्रॉस के भारतीय तट पर उतरने के कारणों में से एक हो सकता है।

      मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) :

      • मन्नार की खाड़ी पूर्वी भारत और पश्चिमी श्रीलंका के बीच हिंद महासागर का एक प्रवेश-द्वार है। 
      • यह रामेश्वरम (द्वीप), एड्म ब्रिज और मन्नार द्वीप से घिरा है।
      • यह खाड़ी 80-170 मील (130-275 किमी.) चौड़ी और 100 मील (160 किमी.) लंबी है। इसमें कई नदियाँ मिलती हैं जिसमें तांब्रपर्णी (भारत) और अरुवी (श्रीलंका) शामिल हैं।
      • तूतीकोरिन का बंदरगाह समुद्री तट पर है। 
      • यह खाड़ी मोतियों के भंडार और शंख के लिये विख्यात है।

      समुद्री राष्ट्रीय उद्यान (Marine National Park):

      • समुद्री राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत की गई थी। 
      • समुद्री राष्ट्रीय उद्यान, मन्नार की खाड़ी में जामनगर तट पर 42 द्वीप हैं।

      • प्रमुख पारिस्थितिकी तंत्र -
        • प्रवाल भित्तियाँ, मैंग्रोव, मडफ्लैट्स, क्रीक्स, एस्चुरीज़, रेतीले स्ट्रैंड्स, सलाइन ग्रासलैंड्स, दलदली इलाके और चट्टानी तट।

        राईट टू हैल्थ

        • सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य के अधिकार का अर्थ है कि सभी को बिना किसी वित्तीय कठिनाई के स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच होनी चाहिए, जब और जहां उन्हें उनकी आवश्यकता हो
        • स्वास्थ्य के अधिकार में स्वतंत्रता और इसे प्राप्त करने का हक दोनों शामिल हैं।
        • स्वास्थ्य के अधिकार का अर्थ यह भी है कि हर किसी को अपने स्वास्थ्य और शरीर को नियंत्रित करने का अधिकार होना चाहिए, जिसमें हिंसा और भेदभाव से मुक्त यौन और प्रजनन संबंधी जानकारी और सेवाओं तक पहुंच शामिल है।
        • हर किसी को निजता का अधिकार है और किसी को भी बिना सूचित सहमति के चिकित्सीय प्रयोग, जबरन चिकित्सा परीक्षण या उपचार नहीं दिया जाना चाहिए।
        • “राईट टू हैल्थ” यानी हर नागरिक के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की होगी।

        स्वास्थ्य के अधिकार से संबंधित प्रावधान:

        • अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय: भारत संयुक्त राष्ट्र द्वारा सार्वभौमिक अधिकारों की घोषणा (1948) के अनुच्छेद-25 का हस्ताक्षरकर्त्ता है जो भोजन, कपड़े, आवास, चिकित्सा देखभाल और अन्य आवश्यक सामाजिक सेवाओं के माध्यम से मनुष्यों को स्वास्थ्य कल्याण के लिये पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार देता है। 
        • मूल अधिकार: भारत के संविधान का अनुच्छेद-21 में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी दी गई है, वहीं संविधान में स्वास्थ्य का अधिकार “गरिमायुक्त जीवन के अधिकार” के अंर्तगत रखा गया है। 
        • राज्य नीति के निदेशक तत्त्व: राज्य सरकार को भी संविधान के अनुच्छेद 38, 39, 42, 43 और 47 ने स्वास्थ्य के अधिकार की प्रभावपूर्ण पहुंच सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

        न्यायिक उद्घोषणा: 

        • पश्चिम बंगाल खेत मज़दूर समिति मामले’ (1996) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि एक कल्याणकारी राज्य में सरकार का प्राथमिक कर्तव्य लोगों के कल्याण को सुरक्षित करना है और इसके अलावा यह भी सरकार का दायित्व है कि वह लोगों को पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करे।
        • ‘परमानंद कटारा बनाम भारत संघ’ वाद (1989) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि प्रत्येक डॉक्टर चाहे वह सरकारी अस्पताल में हो या निजी अस्पताल में, अपने पेशेवर दायित्वों के तहत जीवन की रक्षा के लिये उत्तरदायी है।

        काला सागर

        चर्चा में क्यों ?

        • रूस ने यूक्रेन के काला सागर क्षेत्रों-ओडेसा और माइकोलाइव पर हवाई हमले किए जिससे देश के दक्षिणी तट पर निजी इमारतों और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा।

        काला सागर भौगोलिक स्थिति:

        • काला सागर पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के बीच स्थित है।
        • यह क्रमशः दक्षिण, पूर्व और उत्तर में पोंटिक, काकेशस तथा क्रीमियन पहाड़ों से घिरा हुआ है।
        • काला सागर कर्च जलडमरूमध्य द्वारा आज़ोव सागर से जुड़ा हुआ है।
        • तुर्की जलडमरूमध्य प्रणाली - डारडेनेल्स, बोस्पोरस और मरमारा सागर - भूमध्य तथा काला सागर के बीच एक संक्रमणकालीन क्षेत्र बनाती है।
        • काला सागर के सीमावर्ती देश हैं: रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, तुर्की, बुल्गारिया और रोमानिया
        • काला सागर के जल में ऑक्सीजन की भारी कमी है।।
        • तटीय भौगोलिक स्थिति: काला सागर उत्तर और उत्तर पश्चिम में यूक्रेन, पूर्व में रूस तथा जॉर्जिया, दक्षिण में तुर्की एवं पश्चिम में बुल्गारिया व रोमानिया से घिरा हुआ है।

        समुद्री भौगोलिक स्थिति: यह बोस्पोरस जलडमरूमध्य के माध्यम से मरमारा सागर से तथा डारडेनेल्स जलडमरूमध्य के माध्यम से एजियन सागर से जुड़ा है।


        म्यांमार नरसंहार: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का फैसला

        चर्चा में क्यों ?

        • रोहिंग्या विद्रोही समूह के हमले के बाद म्यांमार की सेना ने 2017 में रखाइन राज्य में एक सफाया अभियान शुरू किया था। 
        • रोहिंग्याओं के साथ इस व्यवहार पर अंतरराष्ट्रीय आक्रोश के बीच, ‘गाम्बिया’ ने नवंबर 2019 में ‘विश्व अदालत’ में मामला दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि म्यांमार द्वारा ‘नरसंहार अभिसमय’ (Genocide Convention) का उल्लंघन किया जा रहा है।

        नोट :

        • अब तक, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया भर में ‘नरसंहार’ के केवल तीन मामलों – कंबोडिया (1970 के दशक के अंत में), रवांडा (1994), और सेरेब्रेनिका, बोस्निया (1995) – को मान्यता दी गई है।

        अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice– ICJ) :

        • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना वर्ष 1945  में संयुक्त राष्ट्र के एक चार्टर द्वारा की गई थी।
        • यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है तथा हेग (नीदरलैंड) के ‘पीस पैलेस’ में स्थित है।
        • यह, संयुक्त युक्त राष्ट्र के छह प्रमुख संस्थानों के विपरीत एकमात्र संस्थान है जो न्यूयॉर्क में स्थित नहीं है।
        • यह राष्ट्रों के बीच कानूनी विवादों का निपटारा करता है और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों तथा विशेष एजेंसियों द्वारा इसके लिए निर्दिष्ट किये गए कानूनी प्रश्नों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार सलाह देता है।

        नरसंहार अभिसमय (Genocide Convention):

        • नरसंहार अभिसमय, 9 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई पहली ‘मानवाधिकार संधि’ थी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किए गए अत्याचारों के बाद ‘ऐसा फिर कभी नहीं’ के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
        • नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सजा पर अभिसमय ( Genocide Convention) अंतरराष्ट्रीय कानून का लेखपत्र (instrument) है जिसे पहली बार ‘नरसंहार के अपराध’ के लिए संहिताबद्ध किया गया था।

        नोट :

        अभिसमय के अनुसार, नरसंहार एक ऐसा अपराध है, जो युद्ध के समय और साथ ही शांति के समय दोनों में हो सकता है।


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