शॉर्ट न्यूज़: 29 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)
मनी लॉन्ड्रिंग
राजकोषीय संघवाद
वन अधिकार अधिनियम, 2006
प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन क्षमता
सफेद प्याज को मिला जीआई टैग
मनी लॉन्ड्रिंग
चर्चा मे क्यों ?
- पीएमएलए अधिनियम 2002 की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को दी गई चुनौती को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा-
- धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मिले अधिकारों का समर्थन करते हुए कहा कि धारा-19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार मनमानी नहीं है।
- धारा-5 के तहत धनशोधन में संलिप्त लोगों की संपति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है।
- हर मामले में ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) अनिवार्य नहीं है।
- यदि ईडी गिरफ्तारी के समय उसके आधार का खुलासा करता है तो यह पर्याप्त है।
नोट :
- ईडी की ईसीआईआर पुलिस की प्राथमिकी के बराबर होती है।
मनी लॉन्ड्रिंग क्या होती है?
- मनी लॉन्ड्रिंग से तात्पर्य अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से सफेद धन में परिवर्तित करना है।
- जो व्यक्ति इस प्रकार के धन की हेरा-फेरी करता है, उसे लांडरर (The Launderer) कहा जाता है । विदित हो कि पैसे की लॉन्डरिंग प्रक्रिया में तीन चरण शामिल होते हैं-
- प्लेसमेंट (Placement)
- लेयरिंग (Layering)
- एकीकरण (Integration)
धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 :
- धन शोधन निवारण अधिनियम को 2002 में अधिनियमित किया गया था और इसे 2005 में लागू किया गया।
- मुख्य उद्देश्य
- मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना।
- अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के उपयोग को रोकना।
- मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना।
- मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना।
- अधिनियम के अंतर्गत अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण प्रवर्तन निदेशालय है।
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate):
- प्रवर्तन निदेशालय , भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जाँच एजेंसी है।
- इस निदेशालय की उत्पत्ति 1 मई, 1956 को हुई, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 के तहत विनिमय नियंत्रण कानून के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया।
- वर्ष 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर 'प्रवर्तन निदेशालय' कर दिया गया।
- प्रवर्तन निदेशालय निम्नलिखित कानूनों को लागू करता है:
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002
प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से लांडरर (The launderer) अवैध तरीके से कमाए गए धन के स्रोत को संदिग्ध लेन-देन करके छुपा लेता है।
- धन शोधन निवारण अधिनियम सरकार को इस बात की शक्ति देता है कि वह अवैध रूप से प्राप्त की गई आय से अर्जित संपत्ति को जब्त कर सके।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर : (c)
राजकोषीय संघवाद
चर्चा मे क्यों ?
- जीएसटी काउंसिल के फैसलों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।
- शीर्ष अदालत ने कहा है कि संसद और राज्य विधानसभाओं, दोनों के पास जीएसटी पर कानून बनाने की शक्ति है और परिषद की सिफारिशें केंद्र और राज्यों के बीच एक सहयोगी संवाद का फल है।
भारतीय संघवाद :
संघात्मक व्यवस्था का तात्पर्य ऐसी शासन प्रणाली से है जहाँ पर संविधान द्वारा शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्य सरकार के मध्य किया जाता है एवं दोनों अपने अधिकार क्षेत्रों का प्रयोग स्वतंत्रतापूर्वक करते हैं।
राजकोषीय संघवाद :
- राजकोषीय संघवाद सरकार के स्तरों के बीच वित्तीय संबंधों के विभाजन से संबंधित है।
- स्वतंत्रता के पश्चात केंद्र तथा राज्यों के बीच वित्तीय व राजकोषीय संबंधों की व्याख्या संविधान के भाग-12 के अध्याय (1) में किया गया।
- इस अध्याय में संघ तथा राज्यों के बीच वित्तीय साधनों का भी विभाजन किया गया है।
- राजकोषीय दृष्टिकोण से, भारत की संघीय प्रणाली के तीन महत्वपूर्ण घटक हैं:
(1) संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि भारत, राज्यों का एक संघ होगा;
(2) संविधान की सातवीं अनुसूची विभिन्न सूचियों के तहत एक संघ और राज्यों को अतिव्यापी कार्यों के साथ कार्य आवंटित करती है जो अलग सूची में निहित है; और
(3) संविधान के अनुच्छेद 280 में शुद्ध केंद्रीय करों और विभिन्न अन्य अनुदानों के ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज पुनर्वितरण की सिफारिश करने के लिए हर पांच साल में वित्त आयोग का गठन अनिवार्य है।
- संसद को संघ सूची और राज्य विधानमंडल के पास राज्य सूची के विषयों पर कर निर्धारण का विशेष अधिकार है।
- कर निर्धारण की अवशेषीय शक्ति संसद में निहित है, इस उपबंध के तहत संसद ने उपहार कर, संवृद्धि कर और व्यय कर लगाएँ हैं।
- सामान्य विनियमों के अतिरिक्त राज्य विधानमंडल की कर निर्धारण शक्तियों पर कुछ पाबंदियाँ भी लगाई गई हैं- जैसे व्यापार, व्यवसाय और रोज़गार पर प्रति व्यक्ति अधिकतम 2500 रुपए प्रति वर्ष।
- आयात-निर्यात के दौरान खरीद-बिक्री पर कर नहीं लगाया जा सकता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- भारत सरकार अधिनियम 1919 और 1935 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच राजकोषीय संघवाद और राजस्व साझेदारी के सिद्धांतों को औपचारिक रूप दिया गया।
- भारतीय संविधान का भाग-12 राजकोषीय संघवाद को विस्तृत रूप से परिभाषित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर : (d)
वन अधिकार अधिनियम, 2006
- यह अधिनियम पीढ़ियों से जंगलों में निवास कर रहे अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन विस्थापितों के लिए वन भूमि में वन अधिकारों और व्यवसाय को मान्यता देता है।
- इस कानून के अनुसार 13 दिसंबर, 2005 से पूर्व वन भूमि पर रहने वाले अनुसूचित जनजाति के सभी समुदायों को वनों में रहने और आजीविका का अधिकार प्रदान किया गया है।
- वहीं कानून की धारा 2 के अनुसार अन्य परंपरागत वन निवासियों को अधिकार प्राप्त करने के लिये (जो उक्त अवधि से पहले वन क्षेत्र में रह रहे हों) तीन पीढ़ियों (75 साल) से वहाँ रहने के साक्ष्य प्रस्तुत करने के होंगे।
- आजीविका तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए वनों के संरक्षण की व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करता है।
- ग्राम सभा को व्यक्तिगत वन अधिकार या सामुदायिक वन अधिकार या दोनों की प्रकृति एवं सीमा निर्धारित करने हेतु प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार है।
- अधिनियम चार प्रकार के अधिकारों की पहचान करता है: स्वामित्व अधिकार, उपयोग अधिकार तथा राहत और विकास अधिकार।
- स्वामित्व अधिकार
- यह FDST और OTFD को अधिकतम 4 हेक्टेयर भू-क्षेत्र पर आदिवासियों या वनवासियों द्वारा खेती की जाने वाली भूमि पर स्वामित्व का अधिकार देता है।
- यह स्वामित्व केवल उस भूमि के लिये है जिस पर वास्तव में संबंधित परिवार द्वारा खेती की जा रही है, इसके अलावा कोई और नई भूमि प्रदान नहीं की जाएगी।
- उपयोग अधिकार
- वन निवासियों के अधिकारों का विस्तार लघु वनोत्पाद, चराई क्षेत्रों आदि तक है।
- राहत और विकास से संबंधित अधिकार:
- वन संरक्षण के लिये प्रतिबंधों के अधीन अवैध बेदखली या जबरन विस्थापन और बुनियादी सुविधाओं के मामले में पुनर्वास का अधिकार शामिल है।
- वन प्रबंधन अधिकार:
- इसमें किसी भी सामुदायिक वन संसाधन की रक्षा, पुनः उत्थान या संरक्षण या प्रबंधन का अधिकार शामिल है, जिसे वन निवासियों द्वारा स्थायी उपयोग के लिये पारंपरिक रूप से संरक्षित एवं सुरक्षित किया जाता है।
प्रश्न 3. वन अधिकार अधिनियम 2006 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- यह अधिनियम 1 जनवरी 2008 से पूर्व वन भूमि पर रहने वाले अनुसूचित जनजाति के सभी समुदायों को वनों में रहने और आजीविका का अधिकार प्रदान करता है।
- इसे जम्मू और कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू किया गया है।
- यह बांस तथा शहद को लघु वन उपज के रूप में मान्यता देता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन क्षमता
चर्चा मे क्यों ?
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय परिवार नियोजन शिखर सम्मेलन 2022 में परिवार नियोजन 2030 विजन डॉक्यूमेंट जारी किया।
मुख्य बिन्दु :
- सर्वेक्षण के अनुसार भारत ने प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता हासिल कर ली है, जिसमें 31 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने 2.1 या उससे कम की कुल प्रजनन दर हासिल की है।
- भारत 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश है।
- भारत ने FP 2030 साझेदारी का एक सदस्य होने के नाते, अपनी प्रतिबद्धताओं के हिस्से के रूप में परिवार नियोजन में 3 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश किया है।
- वर्ष 2016 में मिशन परिवार विकास (एमपीवी) जैसे कार्यक्रमों ने राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम को और गति दी है।
- इस योजना के तहत, नई पहल किट, सास बहू सम्मेलन, सारथी वैन के वितरण जैसी नवीन रणनीतियां समुदाय तक पहुंचने, परिवार नियोजन, स्वस्थ जन्म अंतर और छोटे परिवारों के महत्व पर संवाद शुरू करने में मदद कर रही हैं।
- चिकित्सा सुविधाओं और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के कारण पिछले कुछ वर्षों में प्रजनन क्षमता और मातृ मृत्यु दर में प्रभावशाली गिरावट देखी है।
टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) :
- कुल प्रजनन दर एक महिला से उसके प्रजनन वर्षों (15-49 वर्ष) में पैदा हुए बच्चों की औसत संख्या है।
- किसी देश की जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय स्थिरता को निर्धारित करने में कुल प्रजनन दर एक महत्वपूर्ण कारक है।
पुनर्स्थापन स्तर प्रजनन क्षमता :
- प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन क्षमता प्रजनन का वह स्तर है जिस पर जनसंख्या एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अपने आप को बिल्कुल बदल लेती है यानी प्रजनन क्षमता का वह स्तर जो जनसंख्या को पीढ़ी दर पीढ़ी समान रखने के लिए आवश्यक होता है।विकसित देशों में, प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता को प्रति महिला औसतन 2.1 बच्चों की आवश्यकता के रूप में लिया जा सकता है।
रिप्लेसमेंट लेवल फर्टिलिटी रेट 2 क्यों नहीं?
- 2.1 का टीएफआर महिला और उसके साथी के प्रतिस्थापन को सुनिश्चित करता है।
- शिशु मृत्यु दर का मुकाबला करने के लिए प्रति महिला औसतन 0.1 बच्चों को शामिल किया गया है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
- प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन दर से शून्य जनसंख्या वृद्धि की ओर तभी बढ़ा जा सकता है जब मृत्यु दर स्थिर हो तथा प्रवास का कोई प्रभाव न पड़े।
- भारत राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू करने वाला विश्व का पहला देश है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर : (c)
सफेद प्याज को मिला जीआई टैग
- अलीबाग (महाराष्ट्र) अपने पारंपरिक तरीके और भू-जलवायु परिस्थितियों का उपयोग करके अद्वितीय स्वाद और आकार वाले सफेद प्याज उगाने के लिए के लिए जाना जाता है।
- भारत में, भौगोलिक संकेत पंजीकरण माल के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 द्वारा प्रशासित किया जाता है।
भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण कब तक वैध है?
- भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिए वैध होता है।
- इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिए नवीकृत किया जा सकता है।