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जलवायु परिवर्तन का यूरोप की कृषि पर प्रभाव 

प्रारम्भिक परीक्षा –कृषि, जैतून तथा अंगूर की कृषि
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1और 3

संदर्भ

  • जलवायु परिवर्तन के कारण यूरोप के स्पेन एवं इटली में जैतून तेल और वाइन के उत्पादन में कमी आ रही है। 
  • जलवायु परिवर्तन के कारण यूरोप में अत्यधिक गर्मी होने से सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसका प्रभाव जैतून तथा अंगूर की कृषि पर पड़ा है।

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सूखे का प्रभाव 

  • स्पेन और इटली दुनिया में जैतून के तेल के शीर्ष उत्पादक हैं और लेकिन यह उद्योग मरुस्थलीकरण और सूखे के कारण खतरे में है ।
  • सूखे के कारण फसल उत्पादन में कमी तथा फसल रोगों जैसे- फंगस/ फंगल में वृद्धि हो रही है। 
  • स्पेन का सूखा प्रभावित क्षेत्र जैतून तेल उत्पादन में पिछले साल घटकर 663,000 टन रह गया, जो पिछली चार फ़सलों में दर्ज 1.45 मिलियन टन के औसत से आधे से भी कम है।
  • वाइन और पास्ता गेहूं के लिए प्रसिद्ध इटली को 2022 में 70 वर्षों में अपने सबसे गंभीर सूखे में से एक का सामना करना पड़ा। 
  • अत्यधिक गर्मी के कारण अंगूर के बागों पर फंगस/ फंगल रोगों में वृद्धि के कारण इस साल इटली में वाइन उत्पादन में 12% की गिरावट  का अनुमान है, जिसका अर्थ है कि इटली दुनिया के सबसे बड़े वाइन उत्पादक के रूप में अपनी स्थिति फ्रांस से खो देगा।

स्पेन और इटली की भौगोलिक स्थिति 

  • स्पेन और इटली पहाड़ी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इसलिए यहाँ वर्षा के मौसम में वर्षा होने से अत्यधिक मृदा कटाव की समस्या बनी रहती है। 
  • यहाँ वर्षा ऋतू में पानी मृदा के अंदर तक नहीं पहुंच पाता है जिस कारण मृदा शुष्क बनी रहती हैं। इसके लिए यहाँ पर कवर फसल कृषि की जा रही है। जिससे मृदा कटाव की समस्या से समाधान पाया जा सकता है।
  • इतालवी कृषि उद्योग उत्पादन मूल्य के मामले में फ्रांस और जर्मनी के बाद यूरोपीय संघ का तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है।

उपाय 

  • जैतून के बगीचे में पहाड़ी से पानी की निकासी तथा मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए पेड़ों के साथ-साथ घास उगाकर कृषि कर सकते हैं।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि जैतून के पेड़ों के बीच की पंक्तियों में घास और फलियां  जैसी फसलों का उत्पादन करने से पानी के संरक्षण, बाढ़ को रोकने और पोषक तत्वों को बनाये रखने के लिए स्पंज के रूप में कार्य करता है।
  • अल्पावधि में, यह अभ्यास पैदावार को कम कर सकता है लेकिन यह तेल की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है और भविष्य की फसल के लिए मिट्टी की रक्षा कर सकता है।
  • कॉर्डोबा विश्वविद्यालय में ग्रामीण इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एमिलियो गोंजालेज ने कहा, आवरण/ कवर फसलें "सूक्ष्म जलाशयों के रूप में कार्य करती हैं, जिसका अर्थ है कि वर्षा जल की प्रत्येक बूंद बहने से पहले लंबे समय तक जमीन पर रहती है, ताकि पानी के घुसने की अधिक संभावना हो।"

कवर फसल कृषि

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  • कवर फसलें ऐसे पौधे हैं जो कटाई के उद्देश्य से नहीं बल्कि मिट्टी को ढकने के लिए लगाए जाते हैं । 
  • कवर फसलें एक कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में मिट्टी के कटाव , मिट्टी की उर्वरता , मिट्टी की गुणवत्ता , पानी, खरपतवार , कीट , बीमारियों, जैव विविधता और वन्य जीवन का प्रबंधन करती हैं ।
  • कवर फसलें मिट्टी में माइक्रोबियल गतिविधि को बढ़ा सकती हैं , जिसका नाइट्रोजन की उपलब्धता , लक्षित फसलों में नाइट्रोजन ग्रहण  पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे  फसल की उत्पादन में वृद्धि होती है । 
  • कवर फसलें नकदी फसल की कटाई के बाद लगाई जाने वाली एक गैर-मौसमी फसल  है। कवर फसलें नर्म फसलें हैं , जिसमें वे काटी जाने वाली मुख्य फसल की उत्तरजीविता को बढ़ाती हैं, यह अक्सर सर्दियों में उगाई जाती हैं। 
  • यूरोपीय संघ ने 2030 तक पोषक तत्वों की हानि को 50% तक कम करने का लक्ष्य रखा है। जनवरी में, इसने नई आम कृषि नीति (सीएपी) के हिस्से के रूप में कवर फसलों  का उपयोग करने वाले किसानों को सब्सिडी देना शुरू किया।
  • कवर फसलों  की कृषि कीड़ों सहित जैव विविधता को बनाये रख सकता है, जिससे किसानों को जैतून, फल, मक्खी और जैतून कीट जैसे कीटों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
  • एक सर्वेक्षण के अनुसार, कवर फसलों की कृषि से उल्लू, ब्लैकबर्ड, कबूतर, हूपो और लगभग खतरे में पड़ी ओसेलेटेड छिपकली जैसे सरीसृपों की वृद्धि देखी जाती है।

इटली कृषि में डिजिटल तकनीक का प्रयोग कर रहा है -

  • इटली में, जहां कवर फ़सल जैसी प्रथाएं पहले से ही व्यापक थीं, अब अधिक किसान डिजिटल तकनीक का नेतृत्व कर रहे हैं, ताकि उन्हें विशेष रूप से जल संरक्षण में बढ़त मिल सके।
  • मिलान पॉलिटेक्निक के स्मार्ट एग्रीफूड ऑब्ज़र्वेटरी के अनुसार, डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके खेती की गई भूमि का हिस्सा 2022 में बढ़कर 8% हो गया, जो एक साल पहले 6% था, जबकि खर्च 2017 में सिर्फ 100 मिलियन यूरो से बढ़कर 2.1 बिलियन यूरो हो गया। 
  • अंगूर के बाग में, सेंसर अब तापमान और पत्तियों से वाष्पीकरण जैसे कारकों को मापने के लिए हवा और मिट्टी की निगरानी करते हैं। 

जैतून की कृषि

  • जैतून की खेती को 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेट औसत तापमान की आवश्यकता होती है, इससे नीचे तापमान गिरने पर पौधे को घाव हो सकते हैं।
  • इसे साल भर में औसतन 100 से 120 सेंटी.मीटर वर्षा की जरूरत होती है।  
  • जहां आवश्यकतानुसार औसतन वर्षा न हो वहां फल विकास के समय विशेषकर खाने के उपयोग में लाई जाने वाली किस्मों में सिंचाई अवश्यक होती है।  
  • जैतून के लिए सर्दियों से पहले तथा बसन्त ऋतु से पहले पड़ने वाला पाला हानिकारक होता है । 

भूमि का चयन

  • जैतून की खेती के लिए मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी आवश्यक है । इसके पौधे को अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है । मिट्टी की ऊपरी सतह सख्त न हो, गहरी और उपजाऊ मिट्टी में जैतून के पौधे पर अधिक वानस्पतिक वृद्धि होती है और मध्यम उपज, अधिक बोरोन और कैल्शियम वाली (क्षारीय) मिट्टी में भी यद्यपि यह पौधा उगाया जा सकता है । परन्तु पौधे की बढ़ौतरी बहुत ही कम होती है । जैतून के लिए मिट्टी का पी एच मान 6.5 से 8.0 तक होना वांछनीय है ।

उन्नत किस्में

  • जैतून की खेती के लिए कुछ ही किस्मों को उपयोग में लाया जाता है, जो इस प्रकार है, जैसे-
  • जैतून किस्में तेल के लिए- फ्रंटियो (पछेती), लैक्सिनो (पछेती), एस्कोटिराना, पैंडोलीनो आदि ।
  • किस्में आचार के लिए- एस्कोलानो (अगेती), कोराटीना आदि ।
  • जैतून तेल का उपयोग खाने के साथ ,सौन्दर्य प्रसाधन व दवाइयों में होता है ।

अंगूर (Grapes) की कृषि

  • अंगूर (Grapes) में पाई जाने वाली कैलोरी, फाइबर और विटामिन C, विटामिन E  शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद है। 

अंगूर की खेती के लिए जलवायु

  • अंगूर की बागवानी (Grape farming) की खेती के लिए गर्म, शुष्क, जलवायु अनुकूल रहती है। 
  • अंगूर की खेती के लिए न्यूनतम तापमान 28-32°C होना चाहिए।इसके लिए बहुत अधिक तापमान हानिकारक होता है। 
  • अधिक तापमान के साथ अधिक आर्द्रता होने से रोग लग जाते है। 

अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

  • अंगूर की खेती के लिए कंकरीली, रेतीली या चिकनी तथा दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकास अच्छा हो अंगूर की खेती के लिए अच्छी होती है। 

खेती की तैयारी कैसे करें 

  • अंगूर एक कलम वाली कृषि है इसे जनवरी में किया जाता है।
  • अंगूर की उन्नत किस्में-अरका नील मणि, अरका श्याम, अरका कृष्णा, अरका राजसी तथा गुलाबी आदि।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

  1. अंगूर की खेती के लिए न्यूनतम तापमान 15-25°C होना चाहिए।। 
  2. जैतून की खेती के लिए 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेट औसत तापमान होना चाहिए।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-

कूट-

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न 1 और ना ही 2

उत्तर : (b)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न -  जलवायु परिवर्तन का यूरोप की कृषि पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? व्याख्या कीजिए।

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