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नेट-ज़ीरो फ्रेमवर्क

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश, बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने वैश्विक शिपिंग उद्योग से होने वाले ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कमी लाने के लिए नेट-ज़ीरो फ्रेमवर्क के मसौदे को अनुमोदन प्रदान किया है।  

नेट-ज़ीरो फ्रेमवर्क के बारे में  

  • IMO द्वारा अनुमोदित नया नेट-ज़ीरो फ्रेमवर्क पहला ऐसा कानूनी ढाँचा है जो शिपिंग उद्योग के लिए गृह-उत्सर्जन की सीमा और GHG मूल्य निर्धारण को अनिवार्य करता है।
    • यह पहला ऐसा फ्रेमवर्क है जो संपूर्ण उद्योग क्षेत्र में अनिवार्य उत्सर्जन सीमाओं एवं जी.एच.जी. मूल्य निर्धारण को एकीकृत करता है।  
  • यह नया फ्रेमवर्क ‘मार्पोल अनुलग्नक VI’ (MARPOL Annex VI) के तहत शिपिंग उद्योग में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
    • मार्पोल अनुलग्नक VI (Marine Pollution Annex VI) समुद्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संधि का हिस्सा है जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने स्थापित किया है। 
    • MARPOL का पूरा नाम ‘अंतर्राष्ट्रीय जलपोत प्रदूषण रोकथाम अभिसमय’ (International Convention for the Prevention of Pollution from Ships) है। इसका उद्देश्य समुद्र में प्रदूषण को रोकने के लिए जहाजों से जुड़े विभिन्न प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करना है।
  • लागू : वर्ष 2027 तक

फ्रेमवर्क की प्रमुख विशेषताएँ

  • वैश्विक ईंधन मानक (Global Fuel Standard) : इस नए फ्रेमवर्क के तहत जलपोत को समय के साथ अपने ग्रीनहाउस गैस ईंधन तीव्रता (GFI) को कम करने के लिए बाध्य किया जाएगा। 
    • GFI का अर्थ है कि प्रति ऊर्जा यूनिट के लिए कितना GHG उत्सर्जित होता है। यह मानक जलपोत (शिपिंग) उद्योग को ऊर्जा दक्षता बढ़ाने तथा उत्सर्जन कम करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • वैश्विक आर्थिक उपाय (Global Economic Measure) : GFI सीमा से अधिक उत्सर्जन करने वाले जलपोत को अपने उत्सर्जन आधिक्य (घाटे) को संतुलित करने के लिए निवारक इकाइयों की व्यवस्था करनी होंगी। शून्य या न्यूनतम GHG प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने वाले जलपोत को आर्थिक पुरस्कार मिलेगा।
  • नेट-ज़ीरो फंड (IMO Net-Zero Fund) : इसके तहत एक नया नेट-ज़ीरो फंड स्थापित किया जाएगा, जो उत्सर्जन मूल्य निर्धारण से प्राप्त राजस्व को एकत्रित करेगा। इस फंड का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जाएगा-
    • निम्न उत्सर्जन वाले जलपोत को पुरस्कृत करना
    • विकासशील देशों में नवाचार, शोध एवं अवसंरचना को समर्थन देना
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना
    • विकासशील देशों एवं छोटे द्वीपीय देशों को नकारात्मक प्रभावों से बचाना
  • अनुपालन सुनिश्चित करना (Ensuring Compliance) : जलपोत को दो स्तरों में GHG GFI का अनुपालन करना होगा: एक बेस लक्ष्य और एक प्रत्यक्ष अनुपालन लक्ष्य। 
    • निर्धारित सीमा से अधिक उत्सर्जन करने वाले जलपोत अपने उत्सर्जन घाटे को संतुलित करने के लिए अधिशेष इकाइयों का हस्तांतरण कर सकते हैं या निवारक इकाइयों की प्राप्ति कर सकते हैं।

फ्रेमवर्क के लाभ

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी 
  • शून्य उत्सर्जन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा 
  • नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा 
  • वैश्विक जलपोत उद्योग में समान मानक 
  • सतत विकास एवं समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा
  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा 
  • संधारणीय जलपोत प्रौद्योगिकियों का विकास 

निष्कर्ष

IMO का नेट-ज़ीरो फ्रेमवर्क जलपोत उद्योग में उत्सर्जन को नियंत्रित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से जलपोत उद्योग को ऊर्जा दक्षता, नवाचार एवं सतत विकास के मार्ग पर प्रेरित किया जाएगा, जिससे वैश्विक पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगा। यह फ्रेमवर्क केवल जलपोत उद्योग के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के बारे में

  • परिचय : संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी के रूप में, IMO अंतरराष्ट्रीय शिपिंग की सुरक्षा, संरक्षा और पर्यावरण प्रदर्शन के लिए वैश्विक मानक-निर्धारण प्राधिकरण है। 
  • स्थापना : इसकी स्थापना वर्ष 1948 में जिनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अंतर-सरकारी समुद्री परामर्श संगठन (IMCO)के रूप में की गई थी 
    • वर्ष 1982 में इसका नाम बदलकर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) कर दिया गया। 
  • प्रमुख उद्देश्य : 
    • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संलग्न जलपोत को प्रभावित करने वाले सभी प्रकार के तकनीकी मामलों से संबंधित सरकारी विनियमन एवं प्रथाओं के क्षेत्र में सरकारों के बीच सहयोग के लिए तंत्र प्रदान करना
    • समुद्री सुरक्षा, नेविगेशन की दक्षता व जलपोतों से समुद्री प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण से संबंधित मामलों में उच्चतम व्यावहारिक मानकों को सामान्य रूप से अपनाने को प्रोत्साहित करना तथा सुविधा प्रदान करना
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