(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचा- ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
संदर्भ
29 जुलाई, 2025 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने भारत के अग्रणी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता ‘एथर एनर्जी लिमिटेड’ के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन के बारे में
- यह साझेदारी स्टार्टअप पॉलिसी फोरम (SPF) की ‘बिल्ड इन भारत’ पहल के तहत शुरू की गई है जो 50 से अधिक नवाचार-केंद्रित स्टार्टअप्स का एक गठबंधन है।
- इस समझौते का उद्देश्य भारत के स्वच्छ गतिशीलता (क्लीन मोबिलिटी) और उन्नत विनिर्माण क्षेत्रों की वृद्धि को तेज करना है। यह भारत के नवाचार, स्टार्टअप्स को समर्थन और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, विशेष रूप से तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रिक गतिशीलता क्षेत्र में।
समझौते में शामिल प्रमुख बिंदु
यह समझौता डी.पी.आई.आई.टी. एवं एथर एनर्जी के बीच एक व्यापक साझेदारी की रूपरेखा प्रस्तुत करता है जिसमें निम्नलिखित प्रमुख पहल शामिल हैं:
- डीप-टेक स्टार्टअप्स के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन : डी.पी.आई.आई.टी. एवं एथर एनर्जी डीप-टेक नवाचारों पर केंद्रित स्टार्टअप्स को तकनीकी व बाजार चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।
- इलेक्ट्रिक वाहन मूल्य श्रृंखला के लिए बुनियादी ढांचा समर्थन : यह साझेदारी बैटरी निर्माण, चार्जिंग बुनियादी ढांचा और घटक उत्पादन सहित इलेक्ट्रिक वाहन मूल्य श्रृंखला में स्टार्टअप्स के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को सुगम बनाएगी।
- संयुक्त नवाचार कार्यक्रम : भारत स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज जैसे कार्यक्रमों को सह-आयोजित किया जाएगा ताकि स्वच्छ गतिशीलता एवं उन्नत विनिर्माण में नवाचार व उद्यमिता को प्रोत्साहन दिया जा सके।
- प्रतिभा एवं कौशल विकास : सहयोगात्मक प्रयास इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की जरूरतों के अनुरूप कुशल कार्यबल के निर्माण पर केंद्रित होंगे, जिससे विशेषज्ञता की कमी को दूर किया जा सके।
- प्रमुख आयोजनों में भागीदारी : स्टार्टअप्स को स्टार्टअप महाकुंभ जैसे आयोजनों एवं स्थल-आधारित दौरों के माध्यम से नेटवर्किंग व ज्ञान-साझाकरण के अवसर प्राप्त होंगे।
साझेदारी का महत्व
डी.पी.आई.आई.टी.-एथर एनर्जी सहयोग भारत के औद्योगिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:
- स्वच्छ गतिशीलता को बढ़ावा : यह साझेदारी भारत के सतत परिवहन को बढ़ावा देने के प्रयासों के अनुरूप है जो इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेगी।
- स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना : मार्गदर्शन, बुनियादी ढांचा और अवसर प्रदान करके यह समझौता विनिर्माण-उन्मुख स्टार्टअप्स (विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में) के लिए एक सक्षम वातावरण बनाता है।
- आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा : यह पहल इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण, बैटरी प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों में नवाचार को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता को समर्थन देती है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
- आर्थिक एवं औद्योगिक विकास : यह सहयोग रोजगार सृजन, निवेश आकर्षण एवं भारत को इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण व नवाचार के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में योगदान देगा।
निष्कर्ष
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब भारत मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों के तहत सतत विकास व औद्योगिक वृद्धि को प्राथमिकता दे रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र भारत के जलवायु लक्ष्यों का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसमें सरकार 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहन के लक्ष्य की दिशा में काम कर रही है। यह साझेदारी भारत को एक वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय संधारणीयता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।