(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3: संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय, समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
गिनी सूचकांक में भारत को 25.5 के स्कोर के साथ विश्व के सबसे समान समाजों में स्थान दिया गया है जो इसे ‘मध्यम निम्न’ असमानता श्रेणी में रखता है। हालाँकि, यह रैंकिंग भारत में मौजूद आर्थिक, सामाजिक, लैंगिक एवं डिजिटल असमानताओं की वास्तविकता से मेल नहीं खाती है।
क्या है गिनी सूचकांक
- गिनी सूचकांक या गिनी इंडेक्स एक सांख्यिकीय माप है जो किसी देश में आय या संपत्ति वितरण की असमानता को मापता है।
- इसका स्कोर 0 से 100 तक होता है जहाँ 0 पूर्ण समानता (सभी को समान आय) और 100 पूर्ण असमानता (एक व्यक्ति के पास सारी आय) दर्शाता है।
- यह मुख्यत: आयकर डाटा पर आधारित होता है जो भारत जैसे देशों में अनौपचारिक रोजगार और निम्न आय के कारण सीमित हो सकता है।
इसे भी जानिए!
गिनी सूचकांक (Gini Index) केवल गिनी गुणांक (Gini Coefficient) है जिसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है जो 0 से 100% तक होता है, जबकि गिनी गुणांक स्वयं 0 से 1 तक होता है।
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भारत की गिनी सूचकांक में स्थिति
- गिनी सूचकांक के अनुसार, भारत का स्कोर 25.5 है, जो इसे विश्व के सबसे समान समाजों में शामिल करता है।
- यह रैंकिंग भारत को नॉर्वे एवं स्वीडन जैसे देशों के समकक्ष रखती है, जो उच्च समानता वाले समाजों के लिए जाने जाते हैं।
- हालाँकि, यह स्कोर भारत की जमीनी वास्तविकता, जैसे- धन, लिंग एवं डिजिटल असमानता, से मेल नहीं खाता है।
भारत में विद्यमान असमानताएँ
आर्थिक असमानता
- वर्ष 2022-23 में शीर्ष 1% आबादी को राष्ट्रीय आय का 22.6% हिस्सा प्राप्त हुआ।
- एक लक्जरी कार (लगभग ₹30 लाख) का चालक, जो प्रतिवर्ष केवल ₹3 लाख अर्जित करता है, धन असमानता को दर्शाता है।
- अनौपचारिक रोजगार (70% से अधिक कार्यबल) और कर योग्य निम्न आय के कारण डाटा संग्रहण में कमी आती है।
लैंगिक असमानता
- कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी केवल 35.9% है और वरिष्ठ/मध्यम प्रबंधन में केवल 12.7% है।
- स्टार्टअप क्षेत्र में केवल 7.5% स्टार्टअप महिलाओं द्वारा संचालित हैं।
- सामाजिक मानदंडों के कारण बालिकाओं पर पारिवारिक संसाधनों का कम खर्च और विरासत में असमानता होती है।
डिजिटल असमानता
- केवल 52.7% स्कूलों में कार्यात्मक कंप्यूटर और 53.9% में इंटरनेट उपलब्ध है।
- घरों में ब्रॉडबैंड पहुँच 41.8% है जो शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को प्रभावित करता है।
- ग्रामीण भारत में केवल 25% महिलाओं की तुलना में 49% पुरुषों को इंटरनेट उपलब्ध है।
शैक्षिक एवं सामाजिक असमानता
- डिजिटल विभाजन निम्न आय वाले और ग्रामीण छात्रों को कम कौशल वाले रोजगार की ओर धकेलता है।
- सामाजिक मानदंड एवं निर्धन लड़कियों की शिक्षा और अवसरों को सीमित करते हैं।
‘गिनी सूचकांक भारत’ की सीमाएँ
- सीमित डाटा : गिनी सूचकांक मुख्यत: आयकर डाटा पर निर्भर करता है जो भारत में केवल 10% वयस्क आबादी को कवर करता है।
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था : भारत में 70% से अधिक कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में है, जिसका डाटा गिनी सूचकांक में शामिल नहीं होता है।
- गैर-आर्थिक कारक : लैंगिक, डिजिटल एवं शैक्षिक असमानताएँ गिनी सूचकांक में परिलक्षित नहीं होती हैं।
- सामाजिक संरचना : भारत की जटिल सामाजिक एवं सांस्कृतिक संरचना, जैसे- धर्म, जाति व लिंग आधारित भेदभाव, गिनी सूचकांक के माप से परे हैं।
- वास्तविकता से भटकाव : भारत में धन एवं अवसरों की भारी असमानता जमीनी स्तर पर स्पष्ट है जो गिनी सूचकांक के ‘समान समाज’ के दावे से मेल नहीं खाती है।
आगे की राह
- बेहतर डाटा संग्रह : अनौपचारिक अर्थव्यवस्था एवं गैर-आर्थिक असमानताओं को मापने के लिए व्यापक डाटा संग्रह प्रणाली विकसित करना
- लैंगिक समानता : महिलाओं की कार्यबल भागीदारी और नेतृत्व भूमिकाओं को बढ़ाने के लिए नीतियाँ एवं जागरूकता अभियान
- डिजिटल समावेशन : ग्रामीण क्षेत्रों व स्कूलों में इंटरनेट और कंप्यूटर की उपलब्धता बढ़ाना
- शिक्षा सुधार : सभी वर्गों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश
- आर्थिक समावेशन : अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा एवं औपचारिक रोजगार के अवसर बढ़ाना
- सामाजिक जागरूकता : लिंग, जाति एवं आर्थिक असमानता के खिलाफ सामुदायिक स्तर पर जागरूकता व शिक्षा कार्यक्रम