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रक्षा आत्मनिर्भरता: रिकॉर्ड उत्पादन और निर्यात

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ

भारत ने हाल के वर्षों में रक्षा आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा उत्पादन 1.54 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है जो भारत के रक्षा विनिर्माण इतिहास का सर्वोच्च स्तर है। यह वृद्धि न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को दर्शाती है बल्कि भारत की रणनीतिक शक्ति, तकनीकी क्षमता एवं वैश्विक रक्षा बाज़ार में बढ़ते प्रभाव को भी प्रदर्शित करती है।

भारत का रक्षा उत्पादन: मौजूदा उपलब्धियाँ

रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन

  • 2024-25: 1.54 लाख करोड़ रुपए 
  • 2023-24: 1,27,434 करोड़ रुपए
  • 2014-15 की तुलना में 174% वृद्धि (तब: 46,429 करोड़ रुपए रहीं)

MSMEs की भूमिका

  • लगभग 16,000 एम.एस.एम.ई. रक्षा क्षेत्र में सक्रिय
  • स्वदेशी क्षमताओं में तेज वृद्धि

रक्षा लाइसेंस

  • 462 कंपनियों को 788 रक्षा औद्योगिक लाइसेंस

बढ़ता रक्षा निर्यात

  • 2024-25: 23,622 करोड़ रुपए
  • 2014 में: <1,000 करोड़ रुपए
  • भारत अब 100+ देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है

रक्षा बजट में वृद्धि

  • 2013-14: 2.53 लाख करोड़ रुपए
  • 2025-26: 6.81 लाख करोड़ रुपए (अनुमान)

पृष्ठभूमि: पूर्व की चुनौतियाँ

  • सुधारों से पहले भारत का रक्षा क्षेत्र कई समस्याओं से जूझ रहा था :
    • रक्षा खरीद प्रक्रियाएँ धीमी एवं जटिल
    • 65-70% आयात पर निर्भरता
    • निजी क्षेत्र की नगण्य भागीदारी
    • उन्नत प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच
    • 2013-14 में रक्षा निर्यात केवल 686 करोड़ रुपए
  • इन चुनौतियों को दूर करने के लिए मसौदा रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्धन नीति (DPEPP) लागू की गई।

सुधारों के उद्देश्य

सरकार ने आत्मनिर्भर एवं वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग तैयार करने के लिए निम्न लक्ष्य निर्धारित किए हैं : 

अधिग्रहण प्रक्रियाओं में तेजी

  • सरलीकृत रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) से समयबद्ध खरीद सुनिश्चित

स्वदेशीकरण बढ़ाना

  • सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची
  • एफ.डी.आई. में उदारीकरण (74% स्वचालित मार्ग, 100% सरकारी अनुमोदन)
  • अनुसंधान एवं विकास और नवाचार (RDI) योजना- 1 लाख करोड़ रुपए

रक्षा निर्यात को प्रोत्साहन

  • सरलीकृत लाइसेंस
  • निर्यात प्लेटफॉर्म: डोर्नियर विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, BP जैकेट, टॉरपीडो आदि

लक्ष्य

  • 2029 तक रक्षा उत्पादन: 3 लाख करोड़ रुपए
  • रक्षा निर्यात: 50,000 करोड़ रुपए

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP 2020) के प्रमुख तत्व

  • भारतीय-आई.डी.डी.एम. (IDDM) को सर्वोच्च प्राथमिकता : स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित प्रणालियों को बढ़ावा
  • पारदर्शिता + गति: डिजिटल एकीकरण, सरलीकृत अनुमोदन प्रक्रियाएँ
  • उन्नत तकनीक को प्राथमिकता: AI, रोबोटिक्स, साइबर, स्पेस आधारित प्रणालियाँ
  • उद्योग को साझेदार बनाना: iDEX, स्टार्टअप्स, MSMEs की व्यापक भागीदारी

रक्षा खरीद नियमावली (DPM 2025): राजस्व खरीद में क्रांति

1 नवंबर, 2025 से प्रभावी DPM 2025 ने राजस्व खरीद में महत्वपूर्ण सुधार किए: 

  • सभी सेवाओं में मानकीकृत प्रक्रियाएँ
  • स्वदेशी आयुध के लिए 5 वर्षों तक गारंटीकृत आदेश
  • स्वदेशीकरण परियोजनाओं पर 0.1% प्रति सप्ताह की कम परिसमाप्त क्षति (Liquidated Damages: LD) दर
  • पुराने NOC प्रावधानों का समापन
  • ई-खरीद (e-procurement) एवं डेटा-आधारित पारदर्शिता

घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा

(1) निर्भरता से प्रभुत्व तक

  • भारत में 2024-25 में 1.54 लाख करोड़ रूपए का उत्पादन
  • 2029 का लक्ष्य: 3 लाख करोड़ रूपए

(2) रक्षा औद्योगिक गलियारे

  • उतर प्रदेश व तमिलनाडु में रक्षा गलियारे
  • कुल निवेश: 9,145 करोड़ से अधिक
  • 289 MoUs
  • संभावित अवसर: 66,423 करोड़ रुपए

(3) अनुसंधान एवं विकास और उद्योग-अकादमिक सहयोग

  • DRDO की प्रमुख भूमिका
  • प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) योजना, 15 डी.आर.डी.ओ. उद्योग अकादमिक उत्कृष्टता केंद्र (DI-A CoE)
  • 500 करोड़ रूपए की विशेष सहायता

(4) निजी क्षेत्र की उभरती भूमिका

  • MSMEs: 16,000+
  • ड्रोन, सेंसर, इलेक्ट्रॉनिक्स में बड़ी कंपनियों का प्रवेश

रक्षा अधिग्रहण: स्वदेशीकरण में तेजी

  • आज 65% रक्षा उपकरण देश में निर्मित होते हैं और पहले 65-70% निर्भरता आयात पर थी।
  • पूंजी अधिग्रहण में वृद्धि 
    • 2024-25 में 2,09,050 करोड़ के 193 अनुबंध
    • 177 अनुबंध (1,68,922 करोड़) घरेलू उद्योग को

रक्षा निर्यात में उछाल

  • निर्यात 2024-25: 23,622 करोड़ रुपए
  • 12.04% वार्षिक वृद्धि
  • निजी क्षेत्र: 15,233 करोड़ रूपए
  • DPSUs: 8,389 करोड़ रूपए 
  • भारत अब दुनिया के 100+ देशों को रक्षा प्रणालियाँ बेच रहा है।

महत्व

  • रणनीतिक स्वावलंबन : भारत अब विदेशी आपूर्ति पर निर्भरता घटाकर अपनी रक्षा की सुरक्षा मजबूत कर रहा है।
  • उभरती निर्यात शक्ति : भारत रक्षा निर्यात करने वाले राष्ट्रों के शीर्ष देशों में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है।
  • रोजगार एवं औद्योगिक विकास : MSMEs, स्टार्टअप्स व निजी उद्योगों में रोजगार के लाखों अवसर सृजित हो रहे हैं।
  • तकनीकी नवाचार : AI, रोबोटिक्स, एयरोस्पेस, डीपटेक में नई प्रगति जारी है।
  • वैश्विक भू-राजनीतिक प्रभाव : रक्षा निर्यात में वृद्धि से भारत की कूटनीतिक स्थिति मजबूत हो रही है।

निष्कर्ष

भारत तेजी से एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। रिकॉर्ड उत्पादन, बढ़ते निर्यात, सुधारित अधिग्रहण प्रणाली और स्वदेशीकरण पर आधारित नीतियों ने देश की रक्षा क्षमताओं को नई दिशा प्रदान की है। आने वाले वर्षों में भारत न केवल आत्मनिर्भर रक्षा राष्ट्र बनेगा, बल्कि विश्व रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित होगा।

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