(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका; सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन) |
संदर्भ
जम्मू एवं कश्मीर के नौगाम पुलिस स्टेशन में हाल ही में हुए भीषण विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई और 29 घायल हो गए। यह विस्फोट उन विस्फोटकों से हुआ जो लाल किला विस्फोट मामले की जांच के दौरान जब्त किए गए थे। यह घटना इस बात को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न करती है कि जब्त किए गए विस्फोटकों को सुरक्षित रखने और संभालने के लिए निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन कैसे किया जाए।
विस्फोटकों के लिए प्रोटोकॉल
- किसी भी छापेमारी में यदि कोई संदिग्ध सामग्री विस्फोटक या IED (Improvised Explosive Device) जैसी लगे, तो तुरंत जिला स्तर पर उपलब्ध बम डिटेक्शन टीम (BDT) और बम डिस्पोजल स्क्वाड (BDS) को बुलाना अनिवार्य है।
- सबसे पहला कदम होता है सामग्री को लोगों से दूर एकांत एवं सुरक्षित स्थान पर रखना।
- मौके पर बिजली या आग का कोई स्रोत नहीं होना चाहिए। आवश्यक होने पर पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) के कंट्रोलर को भी सूचना दी जानी चाहिए।
- ऐसे किसी भी विस्फोटक को पुलिस स्टेशनों या आवासीय भवनों में नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक वह स्थान विशेष रूप से इसके लिए स्वीकृत न हो।
परिवहन के नियम
- विस्फोटकों को ले जाने के लिए विशेष विस्फोटक वैन (Explosive Vans) का उपयोग किया जाना चाहिए।
- ये वैन एल्यूमीनियम शीट से ढंकी होती हैं और अंदर लकड़ी की परतें लगी होती हैं ताकि स्थैतिक विद्युत का खतरा न रहे।
- इनकी संरचना ऐसी होती है कि परिवहन के दौरान विस्फोट होने पर नुकसान कम-से-कम हो।
- हालाँकि, सभी जिलों में ऐसी वैन उपलब्ध नहीं होती हैं किंतु संवेदनशील क्षेत्रों, जैसे- जम्मू एवं कश्मीर में इनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
भंडारण के नियम
जब्त किए गए विस्फोटकों को रखने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश हैं:
- इन्हें एकांत, सुरक्षित व बिना किसी इग्निशन (ज्वलन) स्रोत वाले स्थान पर रखा जाना चाहिए।
- यदि उचित स्थान न मिले तो खुले स्टेडियम जैसे स्थानों में अस्थायी रूप से सुरक्षित दूरी पर रखा जा सकता है।
- अधिकृत विस्फोटक भंडार (Licensed Explosive Magazines) सबसे सुरक्षित विकल्प होते हैं जहाँ उन्नत सुरक्षा तंत्र उपलब्ध रहता है।
- कुछ रसायन, जैसे- फॉस्फोरस को पानी में रखना आवश्यक होता है, जबकि सोडियम खुली हवा में जल उठता है, इसलिए ऐसे रसायनों को तुरंत विशेषज्ञों द्वारा संभाला जाना जरूरी है।
वाहन संबंधी प्रावधान
- स्पेशल वैन के अलावा विस्फोटकों को सामान्य वाहनों में नहीं ले जाया जा सकता है।
- वाहनों का डिज़ाइन ऐसा होना चाहिए कि कोई भी चिंगारी या विद्युत प्रवाह विस्फोट का कारण न बने।
- सैन्य एवं औद्योगिक क्षेत्रों में ये वैन नियमित रूप से उपयोग की जाती हैं किंतु पुलिस बलों में इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है।
संबंधित कानून
भारत में विस्फोटकों के भंडारण, परिवहन एवं नष्ट करने से जुड़े प्रमुख कानून व नियम:
- विस्फोटक अधिनियम, 1884
- विस्फोटक नियम, 2008
- पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गेनाईजेशन (PESO) के दिशा-निर्देश
- न्यायिक अनुमति : जब्त विस्फोटक को नष्ट करने से पहले जुडिशल मजिस्ट्रेट से अनुमति लेना आवश्यक है।
- हर जब्ती के बाद FIR दर्ज करना और चैन ऑफ़ कस्टडी बनाए रखना अनिवार्य है।
चुनौतियाँ
- कई जिलों में विशेष वैन की कमी
- पुलिस थानों में विस्फोटक सामग्री को असुरक्षित ढंग से रखने की मजबूरी
- SOP के प्रति कम जागरूकता
- संवेदनशील रसायनों को संभालने के लिए विशेषज्ञों की कमी
- बढ़ती आतंकी घटनाओं के चलते बड़ी मात्रा में विस्फोटकों की जब्ती
- चैन ऑफ़ कस्टडी और दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया में देरी
आगे की राह
- हर जिले में एक्स्लोसिव वैन की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- BDS एवं BDT टीमों की क्षमता बढ़ाना
- सभी पुलिस थानों में अधिकारियों को विस्फोटक सामग्री की पहचान और SOP के लिए विशेष प्रशिक्षण देना
- संवेदनशील रसायनों के लिए तुरंत निष्पादन (Neutralisation) की प्रक्रिया को मजबूत करना
- विस्फोटक मैगज़ीन की संख्या व सुरक्षा बढ़ाना
- SOP पालन सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी और जवाबदेही स्थापित करना