(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण दिवस एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास) |
संदर्भ
21 नवंबर, 2025 को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और प्रसार भारती द्वारा विश्व टेलीविजन दिवस का आयोजन किया गया।

विश्व टेलीविजन दिवस 2025 के बारे में
- विश्व टेलीविजन दिवस प्रतिवर्ष 21 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1996 में पारित प्रस्ताव के माध्यम से घोषित किया गया था।
- इसका उद्देश्य टेलीविजन को ज्ञान, सूचना, शिक्षा एवं जनमत निर्माण के एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में सम्मान देना है।
- वर्तमान भारत में 23 करोड़ से अधिक टीवी वाले घरों के माध्यम से लगभग 90 करोड़ दर्शक टेलीविजन देखते हैं जो इसे देश का सबसे सुलभ व प्रभावी संचार माध्यम बनाता है।
भारत में टेलीविजन का विकास
भारत में टीवी सेवा की यात्रा वर्ष 1959 में एक छोटे से प्रयोग के रूप में शुरू हुई और आज यह विश्व के सबसे बड़े प्रसारण नेटवर्क्स में शामिल है। यह विकास देश की तकनीकी प्रगति, डिजिटल परिवर्तन एवं संचार क्रांति का प्रतीक है।
1. प्रारंभिक एवं प्रयोगात्मक चरण (1959-1965)
- 15 सितंबर, 1959 को यूनेस्को के सहयोग से दिल्ली में टीवी प्रसारण का परीक्षण प्रारंभ हुआ।
- सर्वप्रथम प्रसारण स्कूल शिक्षा, ग्रामीण विकास एवं जागरूकता कार्यक्रमों पर केंद्रित था।
- यह सेवा पूर्णतः ऑल इंडिया रेडियो (AIR) द्वारा संचालित थी।
2. विस्तार एवं संस्थागत विकास (1965–1982)
- वर्ष 1965 में नियमित टीवी प्रसारण शुरू हुआ। इसी अवधि में दूरदर्शन एक स्वतंत्र सेवा के रूप में विकसित हुआ।
- मुंबई, श्रीनगर, अमृतसर, कोलकाता व चेन्नई सहित कई शहरों में नए टीवी केंद्र खोले गए।
- वर्ष 1975-76 का SITE (Satellite Instructional Television Experiment) दुनिया के सबसे बड़े शिक्षण प्रसारण प्रयोगों में से एक था।
- इस प्रयोग के माध्यम से कृषि, स्वास्थ्य, परिवार नियोजन एवं प्राथमिक शिक्षा पर आधारित कार्यक्रम 2,400 गाँवों तक पहुँचाए गए।
3. रंगीन प्रसारण एवं राष्ट्रीय पहुँच (1982–1990)
- वर्ष 1982 एशियाई खेलों के साथ रंगीन टीवी की शुरुआत हुई।
- वर्ष 1990 तक दूरदर्शन 70% आबादी और 80% भौगोलिक क्षेत्र को कवर करने लगा।
- क्षेत्रीय दूरदर्शन केंद्रों ने स्थानीय भाषाओं और संस्कृति को टीवी सामग्री में प्रमुख स्थान दिया।
4. उदारीकरण एवं सैटेलाइट युग (1991–2011)
- 1990 के दशक में निजी टीवी चैनलों, जैसे- Star TV (1991), Zee TV (1992), Sony TV (1995) का उदय हुआ।
- मनोरंजन, समाचार एवं फिल्म आधारित चैनलों का तेजी से विस्तार हुआ।
- वर्ष 2004 में DD Direct Plus (आज का DD Free Dish) लॉन्च हुआ जो भारत की पहली फ्री-टू-एयर DTH सेवा है।
- वर्ष 1997 में प्रसार भारती का गठन हुआ तथा दूरदर्शन व आकाशवाणी को स्वायत्तता मिली।
5. डिजिटलीकरण एवं आधुनिक प्रसारण (2012–वर्तमान)
- 2012-2017 में Cable TV Digitisation पूरा किया गया।
- DD Free Dish आज 6.5 करोड़ से अधिक परिवारों तक पहुँचता है।
- डिजिटल, HD, 4K, स्मार्ट टीवी व 5G तकनीक ने टीवी को अधिक आधुनिक बनाया है।
- भारत का टीवी नेटवर्क आज भी देश का सबसे अधिक पहुँच वाला मीडिया मंच है।

शैक्षिक पहलें
1. COVID-19 के दौरान सीखने में सहायता
- स्कूल बंद होने पर दूरदर्शन शिक्षा का प्रमुख साधन बना।
- क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय चैनलों पर कक्षा-आधारित पाठ प्रसारित किए गए।
2. PM e-Vidya कार्यक्रम
- ‘वन क्लास-वन चैनल’ (One Class – One Channel) के तहत कक्षा 1–12 के लिए 12 समर्पित चैनल।
- स्वयं (SWAYAM), दीक्षा (DIKSHA), NCERT जैसी डिजिटल सामग्री का एकीकरण।
3. स्वयं (SWAYAM) प्रभा
- 24×7 शिक्षण आधारित चैनल
- IIT, UGC, IGNOU, NCERT आदि द्वारा तैयार पाठ्य सामग्री
भारत का प्रसारण क्षेत्र: अर्थव्यवस्था व प्रभाव
- मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र ने वर्ष 2024 में ₹2.5 ट्रिलियन का योगदान दिया।
- टीवी एवं प्रसारण खंड का योगदान लगभग ₹680 बिलियन रहा।
- 918 निजी उपग्रह चैनल (2025 तक) भारत का बहुभाषी व विविध टीवी परिदृश्य।
- शिक्षा, स्वास्थ्य जागरूकता, सरकारी योजनाओं और सामाजिक विकास में टीवी की प्रमुख भूमिका।
प्रौद्योगिकी एवं नवाचार
डिजिटल टेरेस्ट्रियल टेलीविज़न (DTT)
- उच्च गुणवत्ता वाले सिग्नल, मोबाइल रिसेप्शन और स्पेक्ट्रम दक्षता
- दूरदर्शन के लगभग सभी एनालॉग ट्रांसमीटर हटाए जा चुके हैं, सिवाय 50 रणनीतिक स्थानों के
DD Free Dish का विस्तार
- वर्ष 2014 में 59 चैनलों से बढ़कर 2025 में 482 चैनल
- MPEG-2 और MPEG-4 दोनों प्रारूप उपलब्ध
- दूरदराज और सीमावर्ती इलाकों में व्यापक पहुँच
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क्या है MPEG
- MPEG (मूविंग पिक्चर एक्सपर्ट्स ग्रुप) डिजिटल वीडियो कम्प्रेशन के लिए वैश्विक मानकों को संदर्भित करता है।
- MPEG-2 का उपयोग पुराने सेट-टॉप बॉक्स पर स्टैण्डर्ड-डेफिनिशन (Standard-Definition: SD) प्रसारण के लिए किया जाता है।
- MPEG-4 हाई-डेफिनिशन (HD) सेवाओं का समर्थन करते हुए उच्च दक्षता व गुणवत्ता प्रदान करता है।
- डीडी फ्री डिश विभिन्न उपकरणों में संगतता सुनिश्चित करने और चैनल क्षमता का विस्तार करने के लिए दोनों प्रारूपों का उपयोग करता है।
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नया नियामक ढाँचा
- TRAI ने दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत नए प्रसारण प्राधिकार फ्रेमवर्क की सिफारिशें जारी कीं।
- OTT, मल्टीप्लेटफॉर्म कंटेंट और गुणवत्ता मानकों में सुधार पर जोर।
निष्कर्ष
भारत का टेलीविजन उद्योग वर्तमान में डिजिटल क्रांति, नई तकनीक और बहुभाषी सामग्री के कारण नए युग में प्रवेश कर चुका है। वर्ष 1959 में सीमित प्रसारण से शुरू होकर आज 900 मिलियन दर्शकों तक पहुँचना भारत की सूचना क्रांति, लोकतांत्रिक संवाद व समावेशी संचार का प्रतीक है। टेलीविजन न केवल घरों को जोड़ता है बल्कि यह शिक्षा, जागरूकता, सांस्कृतिक एकता और शासन में नागरिक भागीदारी का भी प्रमुख माध्यम है।