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मज़दूर दिवस

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - मज़दूर दिवस, भारत में श्रम संहिता
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय

मज़दूर दिवस

  • प्रत्येक वर्ष, 1 मई को मज़दूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • वर्ष 1884 में अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियनों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनाइज़्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन ने घोषित किया कि मज़दूर 1 मई, 1886 के बाद रोज़ाना 8 घंटे से ज़्यादा काम नहीं करेंगे।
  • 1 मई 1886  को मज़दूरों ने काम के घंटे को निर्धारित करने के लिए अमेरिका के शिकागो शहर में एक आंदोलन (हे मार्केट आन्दोलन ) किया।
  • हे मार्केट में श्रमिकों के समर्थन में एक शांतिपूर्ण रैली निकली गयी, जिसमें पुलिस के साथ हिंसक झड़प के बाद कई मजदूरों की मृत्यु हो गयी। 
  • 1 मई, 1886 को अमेरिका के अलग-अलग शहरों में लाखों श्रमिक हड़ताल पर चले गए।
  • जुलाई 1889 में यूरोप में ‘इंटरनेशनल कॉन्ग्रेस ऑफ़ सोशलिस्ट पार्टीज़’ द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस/मई दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की गयी। 
  • इसके बाद 1 मई, 1890 को पहला मज़दूर दिवस मनाया गया। 
  • भारत में मज़दूर दिवस वर्ष 1923 के बाद से मनाया जा रहा है।
  • हिंदुस्तान लेबर किसान पार्टी के नेता सिंगारवेलु चेतियार की अगुवाई में चेन्नई में कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
    • इसी कार्यक्रम में चेतियार ने 1 मई को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग रखी थी।

भारत में मज़दूरों के लिए संवैधानिक प्रावधान -

  • अनुच्छेद 14 - विधि के समक्ष समता एवं विधियों का समान संरक्षण। 
  • अनुच्छेद 19(1) (ग) - संघ या सहकारी समिति बनाने का अधिकार।
  • अनुच्छेद 21 - प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण करता है।
  • अनुच्छेद 23 - मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिषेध।
  • अनुच्छेद 24 - कारखानों आदि में बालकों (चौदह वर्ष से कम आयु) के नियोजन का प्रतिषेध। 
  • अनुच्छेद 39 (क) - समान कार्य के लिये समान वेतन का प्रावधान।
  • अनुच्छेद 41 - राज्य द्वारा काम पाने, शिक्षा प्राप्त करने और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी एवं नि:शक्तता तथा अन्य प्रकार के अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध।
  • अनुच्छेद 42 - राज्य द्वारा काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिये तथा प्रसूति सहायता के लिये उपबंध।
  • अनुच्छेद 43 क - राज्य द्वारा उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास।

क़ानूनी प्रावधान –

  • केंद्र सरकार ने 29 केंद्रीय कानूनों को समेकित करने के लिए श्रम संहिता के अंतर्गत चार कानून पेश किए -
    1. मजदूरी संहिता।
    2. औद्योगिक संबंध संहिता
    3. सामाजिक सुरक्षा संहिता
    4. व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता।  
  • यह संहिता दूसरे राष्ट्रीय श्रम आयोग (2002) की सिफारिशों पर आधारित है।

labour-day

मजदूरी पर कोड

  • इस कोड के द्वारा, वेतन भुगतान अधिनियम, 1936, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948, बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 का समामेलन किया गया है।
  • इसके तहत संगठित और असंगठित क्षेत्रों के 50 करोड़ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी एवं समय पर मजदूरी के भुगतान की गारंटी प्रदान की गयी है तथा प्रत्येक 5 वर्ष में न्यूनतम मजदूरी की समीक्षा की जाएगी।
  • पुरुष और महिला श्रमिकों के लिए समान पारिश्रमिक का प्रावधान किया गया है।
  • यह कोड सभी कर्मचारियों पर लागू होगा, केंद्र सरकार रेलवे, खदानों और तेल क्षेत्रों से संबंधित रोजगारों के लिए वेतन संबंधी निर्णय लेगी, तथा अन्य सभी रोजगारों के लिए राज्य सरकारें निर्णय लेंगी।
  • इस कोड के तहत , आम तौर पर रोज़गार और कार्य संस्कृति से संबंधित कई पहलू बदल सकते हैं, जिनमें कर्मचारियों का टेक-होम वेतन, काम के घंटे और कार्यदिवसों की संख्या शामिल है ।
  • इस वेतन संहिता के अनुसार, एक बार जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ देता है या निकाल दिया जाता है, या रोजगार और सेवाओं से हटा दिया जाता है, तो कंपनी को उसके अंतिम कार्य दिवस के दो दिनों के भीतर उसके वेतन का पूर्ण और अंतिम भुगतान करना होगा।

औद्योगिक संबंध कोड

  • भारत में कर्मचारियों के लिए वर्तमान पांच दिवसीय कार्य सप्ताह के स्थान पर चार दिवसीय कार्य सप्ताह का प्रावधान किया जा सकता है।
    • हालांकि, उस स्थिति में, कर्मचारियों को उन चार दिनों में प्रत्येक दिन 12 घंटे काम करना होगा, क्योंकि श्रम मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 48 घंटे के साप्ताहिक कार्य की आवश्यकता को पूरा करना होगा।
  • नौकरी गंवाने की स्थिति में, श्रमिक को अटल बीमा योजना के तहत सरकार से वित्तीय सहायता का लाभ मिलेगा।
  • छंटनी के समय श्रमिक को पुनः कौशल के लिए 15 दिनों का वेतन प्रदान किया जाएगा।
  • मजदूरी सीधे श्रमिक के बैंक खाते में जमा की जाएगी, ताकि उसे नए कौशल सीखने में सक्षम बनाया जा सके।
  • ट्रिब्यूनल के माध्यम से श्रमिकों को तेजी से न्याय प्रदान किया जाएगा ।

सामाजिक सुरक्षा कोड

  • यदि एक भी श्रमिक खतरनाक कार्य में संलग्न है, तो उसे कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के तहत लाभ दिया जाएगा।
  • नई प्रौद्योगिकी में लगे प्लेटफॉर्म और गिग श्रमिकों को भी ईएसआईसी में शामिल होने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
  • खतरनाक क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों को अनिवार्य रूप से ईएसआईसी के साथ पंजीकृत किया जाना चाहिए।
  • संगठित, असंगठित और स्वरोजगार क्षेत्रों के सभी श्रमिकों को पेंशन योजना (ईपीएफओ) का लाभ दिया जाएगा।
  • असंगठित क्षेत्र को व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि का निर्माण किया जाएगा।
  • निश्चित अवधि के कर्मचारियों के मामले में ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए न्यूनतम सेवा की आवश्यकता को हटा दिया गया है।
  • पोर्टल पर पंजीकरण के माध्यम से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जाएगा।
  • 20 से अधिक श्रमिकों को रोजगार देने वाले नियोक्ताओं को अनिवार्य रूप से रिक्तियों की ऑनलाइन रिपोर्ट करनी होगी।

व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कोड 

  • इस कोड में किये गए विभिन्न प्रावधानों से अंतरराज्यीय प्रवासी कामगारों का जीवन आसान हो जाएगा।
  • पहले किसी ठेकेदार द्वारा नियुक्त श्रमिकों को ही अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक के रूप में मान्यता दी जाती थी।
  • नए प्रावधानों के तहत श्रमिक, राष्ट्रीय पोर्टल पर खुद को अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिक के रूप में पंजीकृत करा सकते है।
  • इस प्रावधान से श्रमिकों को कानूनी पहचान मिलेगी, जिससे उन्हें सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
  • नियोक्ताओं के लिए प्रावधान किया गया है कि वे एक अंतर-राज्य प्रवासी कार्यकर्ता को अपने मूल स्थान तक यात्रा करने के लिए वार्षिक रूप से यात्रा भत्ता प्रदान करेंगे।
  • अंतर-राज्य प्रवासी कामगार को उस राज्य में राशन सुविधा मिलेगी जहां वह काम कर रहे हैं और उनके परिवार के शेष सदस्य उस राज्य में राशन सुविधा का लाभ उठा सकेंगे जहां वे रहते हैं।
  • अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों की शिकायतों के समाधान के लिए प्रत्येक राज्य में अनिवार्य हेल्पलाइन सुविधा की स्थापना की जाएगी।
  • अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जाएगा।
  • पहले के 240 दिनों के प्रावधान के स्थान पर अब यदि किसी श्रमिक ने 180 दिनों का कार्य किया है तो वह प्रत्येक 20 दिनों के कार्य के लिए एक दिन की छुट्टी का लाभ प्राप्त करने का पात्र होगा।
  • कोड में प्रावधान है कि विधेयक के तहत महिलाएं सभी प्रकार के कार्यों के लिए सभी प्रतिष्ठानों में नियोजित होने की हकदार होंगी। 
  • महिलाओं को उनकी सहमति से रात में काम करने का अधिकार दिया गया है और यह भी सुनिश्चित किया गया है कि नियोक्ता रात में महिला श्रमिकों को सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करेगा।
  • यदि उन्हें खतरनाक कार्यों में काम करने की आवश्यकता होती है, तो सरकार नियोक्ता से उनके रोजगार से पहले पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने की मांग कर सकती है।
  • श्रमिकों को नियुक्ति पत्र प्रदान करना अनिवार्य कर दिया गया है।
  • नियोक्ताओं द्वारा श्रमिकों की निःशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जांच कराना  भी अनिवार्य है।

श्रम संहिता के लाभ

  • नई श्रम संहिता से आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • इन श्रम संहिताओं से सभी संहिताओं के लिए एक पंजीकरण, एक लाइसेंस के प्रावधान से एक पारदर्शी, जवाबदेह और सरल कार्यतंत्र की स्थापना होगी
  • नए प्रावधानों से श्रमिकों, उद्योग जगत और अन्य सम्बंधित पक्षों के मध्य सामंजस्य स्थापित होगा।
  • सामाजिक सुरक्षा कोष की सहायता से असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाले श्रमिकों को मृत्यु बीमा, दुर्घटना बीमा, मातृत्व लाभ और पेंशन का लाभ प्राप्त होगा।
  • प्रवासी श्रमिक की परिभाषा में विस्तार से उन्हें कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। 
  • नए परिवर्तनों से मज़दूरों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ ही कारोबारी सुगमता के कारण विदेशी निवेशक भारत में निवेश के लिये आकर्षित होंगे।
  • भारत के 50 करोड़ श्रमिकों में से 90% से अधिक असंगठित क्षेत्र में है, इन कानूनों के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है, कि उन सभी को न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित श्रम कानूनों का लाभ मिले।

श्रम संहिता से जुड़ी चिंताएँ

  • छोटे प्रतिष्ठानों (300 श्रमिकों तक) के श्रमिकों को उनके प्रमुख अधिकारों से वंचित कर दिया गया है, विशेषकर उनकी ट्रेड यूनियनों और श्रम कानूनों से प्राप्त संरक्षणों को समाप्त कर दिया गया है।
  • नए प्रावधानों द्वारा कम्पनियाँ श्रमिकों के लिये मनमानी सेवा शर्तें लागू कर सकती हैं।
  • नए नियम नियोक्ताओं को सरकारी अनुमति के बिना श्रमिकों को काम पर रखने और काम से निकालने के लिये अधिक लचीलापन प्रदान करते हैं, अर्थात् नियोक्ताओं का जब मन हो वे श्रमिकों को कार्य से विमुक्त कर सकते हैं।
  • नई श्रम संहिताएँ अभिव्यक्ति एवं वाक् स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने वाली हैं, जिनके द्वारा परोक्ष रूप से हड़ताल और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध की बात की गई है।
  • विधयेक में में री-स्किलिंग फण्ड से जुड़े ठोस और प्रक्रियात्मक पहलुओं में स्पष्टता का अभाव है।
  • विभिन्न सुरक्षा उपायों के बावजूद महिलाओं को रात के समय काम करने की अनुमति देने से उनके यौन-शोषण (या कार्य स्थल पर यौन शोषण) की सम्भावना बढ़ सकती है।
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