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डेटा स्थानीयकरण की आवश्यकता

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - डेटा स्थानीयकरण, न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - कंप्यूटर प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा)

डेटा स्थानीयकरण

  • डेटा, आर्थिक और सामरिक संसाधन के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसका उपयोग आर्थिक प्रभाव, पर्यावरणीय प्रभाव या सामान्य रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा या समाज पर प्रभाव के साथ निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है। 
  • डेटा स्थानीयकरण, विभिन्न ऐसे नीतिगत उपायों को संदर्भित करता है, जो किसी दिए गए अधिकार क्षेत्र की सीमाओं के भीतर डेटा के भौतिक भंडारण और प्रसंस्करण को सीमित करके डेटा प्रवाह को प्रतिबंधित करता है। 
  • अधिकांश देश, अपनी सीमाओं के भीतर बनाए गए डेटा को अपनी सीमाओं के अंदर ही संग्रहीत करने को अनिवार्य करने के लिए कानून बनाते हैं। 
    • इस तरह के कड़े कानून, सरकारों और उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक कुशलता से कार्य  करने की अनुमति देते हुए, वैश्विक व्यापार में बाधा उत्पन्न करते है, और व्यवसायों की परिचालन लागत में वृद्धि करते है।

डेटा स्थानीयकरण की आवश्यकता 

  • डेटा स्थानीयकरण की आवश्यकता व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को मजबूत करती है, क्लाउड पर जो व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा उपलब्ध होता है, वह विदेशी निगरानी के अधीन होता है।
  • डेटा निर्माण और उपयोग के मामले में भारत सबसे शक्तिशाली बाजारों में से एक है, इसीलिए डेटा स्थानीयकरण भारत के लिये आवश्यक है। 
  • भारत में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को डेटा तक समय पर पहुंच प्राप्त करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जो कि भारत में संचालित व्यवसायों द्वारा किसी दूसरे देश में संग्रहीत किया जाता है, इस मुद्दे को हल करने के लिए भी डेटा स्थानीयकरण आवश्यक है।
  • देश में डिजिटल भुगतानों की बढ़ती संख्या के कारण, डेटा को भारत में संग्रहीत करने से बेहतर निगरानी और सुरक्षा में मदद मिलेगी।
  • डेटा स्थानीयकरण से भारत की स्थानीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल होगी, घरेलू बाजार और विशेष रूप से कंपनी के लिए उपलब्ध सूचना पूंजी, उनके लिए लाभदायक होगी। 
  • इससे डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में, देश के अंदर रोजगार के अवसर बढ़ने से आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।

डेटा स्थानीयकरण पर वैश्विक दृष्टिकोण 

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक नियमों के अभाव में, प्रतिस्पर्धी राष्ट्रीय ढांचे ऑनलाइन सूचना के सीमा पार प्रवाह को आकार देने वाली प्रमुख शक्ति बन गए हैं।
  • यूरोपीय संघ के सामान्य डेटा संरक्षण विनियम (जीडीपीआर) के तहत दायित्व, कंपनियों को यूरोपीय संघ की सीमाओं के भीतर डेटा सुरक्षित रखने के लिए बाध्य करता है।
    • यदि किसी स्थिति में ऐसे डेटा को किसी दूसरे देश में स्थानांतरित किया जाता है, तो डेटा के लिए यूरोपीय संघ में उपलब्ध सुरक्षा के ही समान सुरक्षात्मक प्रावधानों की आवश्यकता होगी। 
  • रूस में डेटा के सीमा पार प्रवाह से संबंधित सख्त कानून हैं, जो रूसी संघ के भीतर डेटा रखने पर बल देते है। 
    • रूस में, सभी व्यक्तिगत डेटा के लिए डेटा स्थानीयकरण आवश्यक है।
  • ऑस्ट्रेलिया में स्वास्थ्य रिकॉर्ड को स्थानीय स्तर पर संग्रहीत करना अनिवार्य है।
  • चीन में डेटा स्थानीयकरण आवश्यक है, जो सभी व्यक्तिगत, व्यावसायिक और वित्तीय डेटा को प्रभावित करता है।
  • अमेरिका में देश के नागरिकों से संबंधित डेटा को देश में ही संग्रहीत करना अनिवार्य है, इन कानूनों द्वारा कवर किया गये डेटा में व्यक्तिगत डेटा से लेकर विशिष्ट प्रकार के डेटा, जैसे स्वास्थ्य या वित्तीय जानकारी तक सभी डेटा शामिल होता है।
  • 2017 में, वियतनाम ने एक साइबर सुरक्षा कानून पारित किया, जिसमें सभी विदेशी ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं को नागरिकों के डेटा को विशेष रूप से स्थानीय डेटा केंद्रों में संग्रहीत करने को अनिवार्य बना दिया गया।
  • 2018 में, न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति की सिफारिशों के आधार पर, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कंपनियों को विभिन्न डिजिटल भुगतान सेवाओं के भारतीय उपयोगकर्ताओं से संबंधित संवेदनशील डेटा को स्थानीय रूप से संग्रहीत और संसाधित करना अनिवार्य कर किया।

न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति  रिपोर्ट -

  • व्यक्तिगत डेटा की कम से कम एक प्रति को भारत में स्थित सर्वर पर संग्रहीत करना अनिवार्य होगा।
  • डेटा का देश के बाहर स्थानांतरण, सुरक्षा उपायों के अधीन होना चाहिये।
  • महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा, केवल भारत में ही संग्रहीत और संसाधित किया जाएगा।

डेटा स्थानीयकरण के समक्ष चुनौतियाँ 

  • जब डेटा को देश के भीतर संग्रहीत किया जाता है, तो सरकार को भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के कामकाज और प्रभावशीलता पर कार्य करना होगा, जिससे परिचालन लागत में वृद्धि होगी। 
  • डेटा एकत्र करने और प्रबंधित करने के लिए आवश्यक उचित बुनियादी ढांचे का अभाव भी डेटा स्थानीयकरण के लिए एक बड़ी चुनौती है। 
  • विदेशी कंपनियां, इस प्रावधान का पालन करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि इसके लिए उन्हें सर्वर और बुनियादी ढांचे पर पैसा खर्च करने की आवश्यकता होगी, और इसे प्रबंधित करने के लिए स्थानीय पेशेवरों को नियुक्त करना होगा।
  • डेटा के मुक्त प्रवाह में बाधाएं, भारत के बाहर सहयोगात्मक अनुसंधान या साझेदारी की बढ़ती देरी और ऊंची लागत से कारोबारियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • आलोचक ना केवल राज्य के द्वारा व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग और निगरानी की संभावना को रेखांकित करते हैं, बल्कि यह भी तर्क देते हैं, कि स्थानीयकरण से सुरक्षा और सरकारी पहुंच हासिल नहीं की जा सकती है।
  • डेटा का स्थानीयकरण, डेटा के विदेशी दुरुपयोग को संबोधित कर सकता है, लेकिन डेटा के घरेलू प्रबंधन में शामिल खतरे और जोखिम, वैध चिंताएं हैं।

आगे की राह 

  • तकनीकी विकास के इस युग में, सरकारों को डेटा स्थानीयकरण पर सख्त उपायों को लागू करने की जगह पर वैकल्पिक मानकों (जैसे एन्क्रिप्शन) पर ध्यान देना चाहिए।
    • डेटा स्थानीयकरण से संबंधित कठोर कानून, व्यापार और नवाचार को प्रतिबंधित कर सकते है। 
  • एक बहु हितधारक दृष्टिकोण, साइबर अपराध और ऑनलाइन मानहानि के मामले में न्यायिक मुद्दों के साथ-साथ डेटा स्थानीयकरण के साथ विभिन्न समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
  • डेटा प्रवाह को प्रतिबंधित करने वाले अनियमित और विविध डेटा स्थानीयकरण कानूनों के प्रयास में, कुछ सरकारें व्यापार समझौतों के माध्यम से डेटा विनियमन का प्रावधान करने की तरफ देख रही हैं।
  • बहुपक्षीय स्तर पर, जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सर्विसेज (जीएटीएस) में कई ऐसे  प्रावधान हैं, जो सीमाओं के अंदर और बाहर डेटा के प्रसंस्करण और संचरण की अनुमति देने के लिए सरकारों पर कानूनी दायित्व स्थापित करते हैं।
  • इस संबंध में, ग्लोकलाइज़ेशन दृष्टिकोण को लागू किया जा सकता है, जिसमें कानूनों को वैश्विक स्तरों के सामंजस्य में बनाया जा सकता है, लेकिन स्थानीय हितों पर ध्यान देकर।
  • संवेदनशील डेटा की सुरक्षा के लिए, डेटा संग्रहीत करने के लिए घरेलू प्रणालियों की सुरक्षा का आकलन किया जाना चाहिए, डेटा भंडारण की भौगोलिक स्थिति की तुलना में आईटी सिस्टम की मजबूती अधिक महत्वपूर्ण होनी चाहिए।
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