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2050 तक परमाणु ऊर्जा की क्षमता तीन गुना

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, परमाणु ऊर्जा शिखर सम्मेलन
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 3

संदर्भ-

  • 2 दिसंबर, 2023 को शुद्ध-शून्य उत्सर्जन स्थिति प्राप्त करने के लिए दुबई में चल रहे COP28 जलवायु बैठक में 20 से अधिक देशों ने वर्ष, 2050 तक वैश्विक परमाणु स्थापित क्षमता को तीन गुना करने की घोषणा की।

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मुख्य बिंदु-

  • घोषणा पत्र में 2050 तक वैश्विक शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को प्राप्त करने और 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया गया है। 
  • घोषणा पत्र के मुख्य तत्व-
    1. वर्ष, 2050 तक वैश्विक स्तर पर परमाणु ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना होगा
    2. ऊर्जा ऋण नीतियों में परमाणु ऊर्जा को शामिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के शेयरधारकों को आमंत्रित करना होगा। 
  • समर्थन करने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, बुल्गारिया, कनाडा, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, घाना, हंगरी, जापान, कोरिया गणराज्य, मोल्दोवा, मंगोलिया, मोरक्को, नीदरलैंड, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्वीडन, यूक्रेन, संयुक्त अरब अमीरात और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं। 
  • COP28 कार्यक्रम में IAEA महानिदेशक ने घोषणा की कि जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने, ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में परमाणु ऊर्जा की भूमिका पर चर्चा करने के लिए मार्च, 2024 में ब्रुसेल्स में अपनी तरह का पहला परमाणु ऊर्जा शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। 

ट्रिपल न्यूक्लियर एनर्जी की घोषणा-

  • सदी के मध्य तक या उसके आसपास वैश्विक शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन / कार्बन तटस्थता प्राप्त करने, तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के भीतर रखने और सतत विकास लक्ष्य 7 को प्राप्त करने में परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना गया है।
  • जलवायु परिवर्तन की निगरानी और इसके प्रभावों से निपटने में योगदान देने वाले परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों के महत्व को पहचाना गया और इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। 
  • घोषणा पत्र  में यह स्वीकार किया गया कि परमाणु ऊर्जा पहले से ही ऊर्जा सुरक्षा के लिए लाभ के साथ, स्वच्छ प्रेषण योग्य बेसलोड बिजली का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
  • ओईसीडी, परमाणु ऊर्जा एजेंसी और विश्व परमाणु संघ के विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष, 2050 तक वैश्विक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए वैश्विक स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करना होगा।
  • जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के विश्लेषण से पता चलता है कि औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक प्राप्त करने के लिए परमाणु ऊर्जा की 2020 से 2050 तक अपनी वैश्विक स्थापित विद्युत क्षमता को लगभग तीन गुना करना होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का विश्लेषण 2020 से 2050 तक वैश्विक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन 2050 तक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन दोगुना से अधिक होगा, लक्ष्य की प्राप्ति से कम है। इस प्रकार शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य तक पहुंचना अधिक कठिन और महंगा हो जाएगा।
  • नई परमाणु प्रौद्योगिकियां भूमि के छोटे भाग पर और जहां आवश्यक हो, वहां स्थापित की जा सकती हैं। ये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ अच्छी तरह से साझेदारी कर सकती हैं और इसमें लचीलापन हैं जो बिजली क्षेत्र से परे डीकार्बोनाइजेशन का समर्थन करते हैं, जिसमें सभी प्रकार के औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं।
  • IAEA अपने सदस्य देशों के राष्ट्रीय ऊर्जा योजना में परमाणु ऊर्जा को स्थायी रूप से शामिल करवाने के लिए प्रयास कर रहा है, जो सुरक्षा और सुरक्षा उपायों के उच्चतम मानकों का पालन करते हैं और हितधारकों के लिए एक अवसर के रूप में इसकी एक पहल "Atoms4NetZero" है। 
  • तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा में बनाए रखने के लिए आवश्यक अतिरिक्त परमाणु ऊर्जा क्षमता के लिए वित्त पोषण के महत्व को पहचाना गया।
  • परमाणु ऊर्जा पर आगे की कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए उच्च स्तरीय राजनीतिक भागीदारी की आवश्यकता को भी पहचाना गया।

घोषणा पत्र में भाग लेने वाले देशों के लिए निर्देश-

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  • प्रत्येक भागीदार देश को अपनी घरेलू परिस्थितियों को पहचानते हुए 2020 से 2050 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
  • यह सुनिश्चित करना होगा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को जिम्मेदारी से सुरक्षा, स्थिरता और अप्रसार के उच्चतम मानकों के अनुरूप संचालित किया जाता है तथा ईंधन अपशिष्ट को लंबे समय तक जिम्मेदारी से प्रबंधित किया जाता है।
  • नवीन वित्तपोषण तंत्र सहित परमाणु ऊर्जा में निवेश जुटाने के लिए प्रतिबद्धता दिखानी होगी।
  • विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और क्षेत्रीय विकास बैंकों के शेयरधारकों को आवश्यकतानुसार अपने संगठनों की ऊर्जा ऋण नीतियों में परमाणु ऊर्जा को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करने और ऐसा जनादेश मिलने पर सक्रिय रूप से परमाणु ऊर्जा का समर्थन करने के लिए आमंत्रित करें।
  • क्षेत्रीय निकायों को भी प्रोत्साहित करें कि परमाणु ऊर्जा को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर विचार करने के लिए उन्हें ऐसा करने का अधिकार है।
  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों द्वारा उनके पूर्ण जीवन चक्र के दौरान उपयोग की जाने वाली सुरक्षित प्रौद्योगिकियों के लिए ईंधन सहित लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के महत्व को पहचानें।
  • निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संगठनों, विकास बैंकों और वित्तीय संस्थानों को प्रोत्साहन दें।
  • COP के मार्जिन पर वार्षिक आधार पर इन प्रतिबद्धताओं की दिशा में प्रगति की समीक्षा करें।
  • अन्य देशों से इस घोषणा पत्र में शामिल होने का आह्वान करें।

परमाणु ऊर्जा की स्थिति-

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  • परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा का एक स्वच्छ लेकिन गैर-नवीकरणीय स्रोत है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, अब तक 31 देशों में लगभग 370 GW परिचालित परमाणु ऊर्जा क्षमता स्थापित है, जो दुनिया की कुल बिजली का लगभग 10 प्रतिशत है। 
  • 21वीं सदी के मध्य तक परमाणु ऊर्जा को तीन गुना करने पर यह कम से कम 1,000 गीगावॉट तक पहुंच जाएगा।
  • परमाणु ऊर्जा संयंत्र ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं और लगभग हर उस रास्ते का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जो दुनिया को 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन स्थिति में ले जाता है।
  • आईएईए के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी के अनुसार, "अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि वैश्विक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य 2050 तक परमाणु ऊर्जा में तेज, निरंतर और महत्वपूर्ण निवेश के साथ ही हासिल किया जा सकता है।"
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में परमाणु ऊर्जा ने लगभग 70 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोका है।

भारत में परमाणु ऊर्जा की स्थिति-

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  • भारत के पास वर्तमान में 6,780 मेगावाट की स्थापित परमाणु क्षमता है और आठ नए रिएक्टरों का निर्माण किया जा  रहा है, जो परमाणु ऊर्जा क्षमता में 6,800 मेगावाट जोड़ देगा, जिससे निकट भविष्य में इसकी क्षमता दोगुनी हो जाएगी।
  • भारत सरकार ने लगभग 7 गीगावॉट स्थापित क्षमता को 2032 तक लगभग 22 गीगावॉट तक बढ़ाने की योजना बनाई है। यह योजना वर्तमान क्षमता की तीन गुनी है।
  • भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल काकोडकर ने कहा कि भारत को भी 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से विस्तार की योजना बनाना चाहिए।
  • वर्ष, 2050 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के घोषणा पत्र में भारत शामिल नहीं हुआ है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- शुद्ध-शून्य उत्सर्जन स्थिति प्राप्त करने के लिए अनेक देशों ने वर्ष, 2050 तक वैश्विक परमाणु स्थापित क्षमता को तीन गुना करने की घोषणा की है। इस घोषणा पत्र में कौन- सा देश शामिल नहीं है?

(a) संयुक्त राज्य अमेरिका

(b) बुल्गारिया

(c) कनाडा

(d) भारत 

उत्तर- (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगभग हर उस रास्ते का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जो दुनिया को 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन स्थिति में ले जाता है। मूल्यांकन करें।

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