New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

केरल में कॉफी की जैविक कृषि 

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, आदिवासियों द्वारा इडुक्की ज़िले (केरल) के मरयूर में अंचुनाडु घाटी में कॉफी की जैविक कृषि की जा रही है।  

प्रमुख बिंदु

  • यह कृषि मुख्य रूप से कीज़ंथूर, कंथल्लूर, कुलाचिवयाल और वेट्टुकड में की जाती है और इसे कीज़ंथूर कॉफ़ी के रूप में बेचा जाता है।
  • कीझंथूर कॉफी अरेबिका किस्म (Arabica variety) की है, जो अपने स्वाद और सुगंध के लिये प्रसिद्ध है। 

कॉफी के बारे में

  • भारत में कॉफी के बागान परंपरागत रूप से कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के पश्चिमी घाटों में विस्तृत है, जहाँ कॉफ़ी की दो प्रमुख किस्मों- अरेबिका और रोबस्टा की कृषि की जाती हैं। कर्नाटक में भारत के कुल कॉफी उत्पादन का लगभग 70% उत्पादित होता है। 
  • अरेबिका के लिये 15 से 25ºC के मध्य का तापमान उपयुक्त होता है। जबकि, रोबस्टा के लिये 20 से 30ºC तक के तापमान के साथ उष्ण और आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है। 
  • रोबस्टा की तुलना में अरेबिका अधिक ऊँचाई पर उगाई जाती है। अरेबिका की कटाई नवंबर से जनवरी के बीच होती है, जबकि रोबस्टा की कटाई दिसंबर से फरवरी के बीच होती है। 
  • विदित है कि भारतीय कॉफी बोर्ड का मुख्यालय कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित है।  

जैविक कृषि (Organic farming)

  • यह एक ऐसी प्रणाली है जो बाह्य कृषि आदानों (Agricultural Inputs) के बजाय पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन पर निर्भर करती है।
  • इस कृषि प्रणाली में सिंथेटिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों, पशु चिकित्सा दवाओं, आनुवंशिक रूप से संशोधित बीजों एवं नस्लों आदि के उपयोग को समाप्त किया जाता है तथा पारिस्थितिक तंत्र पर आधारित कीट नियंत्रण एवं जैविक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है।  
  • यह प्रणाली मिट्टी के कटाव, भूजल और सतह के जल में नाइट्रेट के निक्षालन को कम करती है और फसल व पशु अपशिष्ट का खेत में वापस पुनर्चक्रण करती है। 

मरयूर की विशेषताएं

  • मरयूर सैंडलवुड रिज़र्व : केरल में यह एकमात्र ऐसा स्थान है, जहाँ प्राकृतिक चंदन रिज़र्व हैं। इस रिज़र्व में चंदन के 56,700  वृक्ष है जो 1,460  हेक्टेयर क्षेत्रफल में विस्तृत है। यहाँ से उच्च गुणवत्ता वाली चंदन की लकड़ी प्राप्त की जाती है, जिसमें तेल की मात्रा अधिक होती है।  
  • मरयूर गुड़ : यह आयरन से भरपूर गहरे भूरे रंग का गुड़ है जो अपनी उत्तम गुणवत्ता और उच्च मिठास के लिये जाना जाता है। इस गुड़ को वर्ष 2019 में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किया गया था। इसका निर्माण मुथुवा जनजाति द्वारा किया जाता हैं। 
  • मरयूर डोलमेन : ये डोलमेन (महापाषाणिक कब्र स्थल) मरयूर में मुरुगन पहाड़ियों, कंथल्लूर ग्राम पंचायत और अंचुनाडु घाटी के वनों में विस्तृत हैं। ये डोलमेन 5,000 वर्ष प्राचीन हैं। वर्तमान में यह प्रागैतिहासिक स्थल अतिक्रमण का सामना कर रहा है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR