न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा ‘होलोग्राफिक इमेजिंग तकनीक’ का उपयोग करके वायरस और एंटीबॉडी के परीक्षण हेतु एक ऐसी तकनीक विकसित की गई है, जो 30 मिनट से कम समय में न्यूनतम प्रशिक्षण प्राप्त कर्मियों द्वारा भी अत्यधिक सटीकता के साथ परिणाम देने में सक्षम है।
होलोग्राम चित्रण तकनीक में टेस्ट बीड्स (Test Beeds) को रिकॉर्ड करने के लिये लेज़र बीम का उपयोग किया जाता है। इन बीड्स की सतहों को जैव रासायनिक बंधन के साथ संलग्न करके सक्रिय किया जाता है, जो इच्छित परीक्षण पर निर्भर एंटीबॉडी या वायरस कणों को आकर्षित करते हैं। बीड्स के होलोग्राम में हुए इस परिवर्तन के माध्यम से इसके विकास का पता लगाया जा सकता है। यह परीक्षण प्रति सेकंड एक दर्जन बीड्स का विश्लेषण करने में सक्षम है।
होलोग्राफिक वीडियो माइक्रोस्कोपी ‘XSight’ उपकरण द्वारा की जाती है, जिसे न्यूयॉर्क स्थित स्फेरीक्स कम्पनी द्वारा बनाया गया है। यह तकनीक मानव शारीरिक रचना की जटिल छवियों को 3-D दृष्टिकोण से समझने के साथ-साथ सैन्य मानचित्रण, सूचना भंडारण, चिकित्सा, धोखाधड़ी और सुरक्षा, कला आदि के क्षेत्र में भी उपयोगी हो सकती है।
ध्यातव्य है कि हंगरी मूल के ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी डेनिस गैबोर को होलोग्राफिक पद्धति के आविष्कार और विकास के लिये वर्ष 1971 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।