नेपियर घास तेज़ी से बढ़ने वाली बारहमासी घास है जो अफ्रीका एवं दक्षिण पूर्व एशिया की स्थानिक प्रजाति है। इसमें सूखे का सामना करने की क्षमता के साथ ही पाचन योग्य कार्बनिक पदार्थों की उच्च मात्रा होती है।
यह पशुओं के चारे के साथ ही जैव-ऊर्जा अनुप्रयोग के लिये महत्त्वपूर्ण है। इसे हाथी घास के रूप में भी जाना जाता है।
इसे लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जिसमें उच्च मात्रा में सेल्यूलोज, ज़ाइलान और लिग्निन पाए जाते हैं। यह तत्त्व इसे बायोगैस उत्पादन का व्यवहार्य स्रोत बनाते हैं।
भारत में संपीड़ित बायोगैस संयंत्रों में इसका उपयोग अभी प्रारंभिक अवस्था में है तथा गुजरात के जूनागढ़ में नेपियर घास के उपयोग वाले संयंत्र की योजना प्रस्तावित है।