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शॉर्ट न्यूज़: 09 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)

शॉर्ट न्यूज़: 09 जुलाई, 2022 (पार्ट - 2)


ओबीसी का उप-वर्गीकरण

डेरेचो तूफान (derecho)

जी -20 के लिए भारत के नए शेरपा

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट रिपोर्ट 

ड्रैगन फ्रूट


ओबीसी का उप-वर्गीकरण

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी की अध्यक्षता में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण की जांँच के लिए आयोग का कार्यकाल बढ़ा दिया। 
  • पांँच वर्ष पूर्व गठित आयोग के कार्यकाल को अब तक 10 बार बढ़ाया जा चुका है। 
  • अब उस अपनी रिपोर्ट अगले वर्ष 31 जनवरी तक प्रस्तुत करनी है।

ओबीसी का उप-वर्गीकरण :

  • सरकार द्वारा आरक्षण के उद्देश्य से ओबीसी के बड़े समूह के भीतर उप-श्रेणियाँ बनाने का विचार है। 
  • केंद्र सरकार के तहत ओबीसी को नौकरियों और शिक्षा में 27% आरक्षण दिया जाता है। 
  • विगत वर्ष सितंबर में, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने आरक्षण के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उप-वर्गीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया था।
  • ओबीसी उप-वर्गीकरण इसलिए आवश्यक है कि ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल 2,600 से अधिक में से केवल कुछ संपन्न समुदायों ने 27% आरक्षण का एक बड़ा हिस्सा हासिल किया है। 
  • ओबीसी के भीतर उप-श्रेणियां बनाने का तर्क यह है कि यह सभी ओबीसी समुदायों के बीच प्रतिनिधित्व का "समान वितरण" सुनिश्चित करेगा।
  • उप-वर्गीकरण के लिए 2 अक्टूबर, 2017 को रोहिणी आयोग का गठन किया गया था।

यह मूल रूप से निम्नलिखित संदर्भ शर्तों के साथ स्थापित किया गया था:

  • ओबीसी की व्यापक श्रेणी में शामिल जातियों या समुदायों के बीच आरक्षण के लाभों के असमान वितरण की सीमा की जांच करना।
  • ओबीसी के भीतर उप-वर्गीकरण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अनुसार तंत्र, मानदंड और पैरामीटर तैयार करना।
  • ओबीसी की केंद्रीय सूची में संबंधित जातियों या समुदायों या उप-जातियों या समानार्थक शब्दों की पहचान करने और उन्हें उनकी संबंधित उप-श्रेणियों में वर्गीकृत करने की कवायद शुरू करना।
  • ओबीसी की केंद्रीय सूची में विभिन्न प्रविष्टियों का अध्ययन करना और किसी भी दोहराव, अस्पष्टता, विसंगतियों और वर्तनी या प्रतिलेखन की त्रुटियों के सुधार की सिफारिश करना।

डेरेचो तूफान (derecho)

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में अमेरिकी राज्य नेब्रास्का, मिनेसोटा और इलिनोइस में डेरेचो नामक एक तूफान प्रणाली की चपेट में आ गए। 
  • 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली इन हवाओं ने विद्युत अवरोध उत्पन्न करने के साथ पर्यावरणीय क्षति पहुँचाई।

डेरेचो क्या है?

  • यह नाम स्पेनिश शब्द 'ला डेरेचा' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'सीधा'
  • यू.एस. नेशनल वेदर सर्विस, डेरेचो को एक व्यापक, लंबे समय तक सीधी रेखा  में चलने वाली आंधी के रूप में वर्णित करता है जो तीव्र गति के साथ गरज वाले तूफानों के बैंड से जुड़ी होती है। 
  • एक बवंडर या चक्रवात के विपरीत, सीधी रेखा के तूफानों में हवाओं की कोई घूर्णन गति नहीं होती है।
  • गर्म-मौसम की घटना होने के कारण, आमतौर पर मई से शुरू होने वाली घटना है, जिसमें अधिकांश तूफान जून और जुलाई में आते हैं। 
  • यह अन्य तूफान प्रणालियों जैसे बवंडर या तूफान की तुलना में एक दुर्लभ घटना हैं।

डेरेचो के दौरान आसमान हरा क्यों हो गया?

  • इस दौरान तेज बारिश वाले तूफान के कारण आसमान का रंग हरा हो जाता है, ऐसा मौजूद भारी मात्रा में जल व प्रकाश के मध्य अंतरक्रिया के कारण होता है।
  • बड़ी बूंदे और ओले प्रकाश के प्रकीर्णन का कार्य करते हैं, किंतु इससे नीला प्रकाश नहीं फैलता बल्कि नीले रंग की तरंगें बादलों के अंदर चली जाती हैं और फिर दोपहर या शाम के लालपीले रंग से मिल जाती है जिसके कारण आसमान हरे रंग का दिखाई देने लगता है।
  • डेरेचो ज्यादातर मध्य और पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए जाते हैं। 
  • 2010 में, रूस ने पहले डेरेचो का उल्लेख किया था। यह जर्मनी,  फिनलैंड और हाल ही में बुल्गारिया और पोलैंड में भी पाए गए हैं।

जी -20 के लिए भारत के नए शेरपा

चर्चा में क्यों ?

  • नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत को जी -20 के लिए भारत के नए शेरपा के रूप में चुना गया है, ये वाणिज्य एवं उद्योग तथा उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल की जगह लेंगे जिन्हें विगत वर्ष सितंबर में जी -20 शेरपा के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • कांत की नियुक्ति भारत द्वारा इस वर्ष के अंत में जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने से पहले हुई है। 
  • भारत में G-20 लीडर्स समिट पहली बार वर्ष 2023 में आयोजित किया जा रहा हैं। भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक इसकी अध्यक्षता करेगा।

शेरपा :

  • राज्य के प्रमुख या सरकार के प्रमुख का व्यक्तिगत प्रतिनिधि होता है जो एक अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन तैयारी करता है, जैसे कि वार्षिक G7 और G20 शिखर सम्मेलन।
  • शेरपा शिखर सम्मेलन के माध्यम से योजना, बातचीत और कार्यान्वयन कार्यों में संलग्न होते हैं। 
  • वे एजेंडा का समन्वय करते हैं, उच्चतम राजनीतिक स्तरों पर आम सहमति बनाते हैं, और  पूर्व-शिखर परामर्श की एक श्रृंखला में भाग लेते हैं। 
  • प्रत्येक सदस्य देश के लिए प्रति शिखर सम्मेलन में केवल एक शेरपा होता है; उसे कई सूस (Sous) शेरपाओं द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

G-20 के बारे में :

  • इस समूह का गठन वर्ष 1999 में हुआ था। 
  • यह विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से शीर्ष 20 देशों की सरकारों और उनके केन्द्रीय बैंकों के गवर्नरों के लिये एक सामूहिक मंच के तौर पर काम करता है।
  • G-20 दुनिया की विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75 प्रतिशत और दुनिया की दो-तिहाई आबादी के लिए जिम्मेदार है।
  • G-20 समूह वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की अलग-अलग बैठकों की मेज़बानी भी करता है।
  • इस समूह का कोई स्थाई सचिवालय या मुख्यालय नहीं है।

  • सदस्य देश -
    • अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ।

    सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट रिपोर्ट 

    चर्चा में क्यों ?

    • सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) द्वारा किए गए एक नए देशव्यापी विश्लेषण से संकेत मिलता है कि सामान्य परिस्थितियों के विपरीत मानसून का तापमान अब गर्मी के मौसम की तुलना में अधिक हो गया है।
    • सीएसई की अर्बन लैब ने जनवरी 2015 से मई 2022 तक भारत में तापमान के रुझान का विश्लेषण किया है। गर्मी के तनाव के सभी तीन आयामों - सतही हवा का तापमान, भूमि की सतह का तापमान और सापेक्ष आर्द्रता को कवर करके वार्मिंग प्रवृत्तियों को समझने का प्रयास किया गया है।
    • 2016 के बाद से 2022 की गर्मी 2010 की गर्मियों के बाद दूसरी सबसे गर्म रही है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और हैदराबाद सहित मेगा शहर अपने आसपास के बड़े क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक गर्म हैं, इसका कारण हीट आइलैंड प्रभाव है।
    • गर्मी की कार्य योजनाओं के बिना, हवा का बढ़ता तापमान, भूमि की सतहों से गर्मी विकीर्ण करना, कंक्रीटीकरण, गर्मी-ट्रैपिंग निर्मित संरचनाएं, औद्योगिक प्रक्रियाओं और एयर कंडीशनर से अपशिष्ट गर्मी, और गर्मी से बचने वाले जंगलों, शहरी हरियाली और जल निकायों के क्षरण से सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाएगा।

          प्रमुख निष्कर्ष

          • सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार जमीनी सतह के तापमान के अनुसार 2010 के बाद यह सबसे गर्म प्री मॉनसून रहा। वहीं हवा के तापमान के अनुसार यह तीसरा सबसे गर्म प्री मॉनसून रहा है। 
          • बेसलाइन तापमान के मुकाबले इस बार हवा का तापमान इस सीजन में 1.77 डिग्री अधिक गर्म रहा। वहीं जमीनी सतह का तापमान भी 1.95 डिग्री अधिक रहा। 
          • हीट इंडेक्स 1.64 डिग्री तक अधिक रहा।
          • अखिल भारतीय स्तर पर, मानसून का मौसम,  प्री-मानसून (या गर्मी) की तुलना में 0.3-0.4 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा है - और तो और, यह समय के साथ गर्म होता जा रहा है।

          ड्रैगन फ्रूट

          चर्चा में क्यों ?

          • 8 जुलाई  2022 को कृषि मंत्रालय ने कमलम (ड्रैगन फ्रूट) पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।
          • इस कॉन्क्लेव का लक्ष्य ड्रैगन फ्रूट के क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादकता, विपणन और ब्रांडिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि करना हैं।
          • आईसीएआर-राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान पहले ही इस फल को निम्नीकृत मिट्टी और वर्षा सिंचित दोनों क्षेत्रों में उगाने के विभिन्न पहलुओं पर शोध कर चुका है।
          • यह फल आमतौर पर थाईलैंड, श्रीलंका, इज़राइल और वियतनाम में उगाया जाता है, लेकिन अब धीरे-धीरे भारत में गति प्राप्त कर रहा है।

          ड्रैगन फ्रूट  के बारे में :

          • मध्य और दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी है।
          • यह  कैक्टस परिवार का है।
          • इसे पपीता या स्ट्रॉबेरी नाशपाती के नाम से भी जाना जाता है।
          • ड्रैगन फ्रूट की खेती पेरू, मैक्सिको, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरिबियन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और दुनिया के सभी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है।
          • ड्रैगन फ्रूट एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन का अच्छा स्रोत है, इसमें कैलोरी और फैट कम होता है।

          आवश्यक जलवायु दशाएं :

          • इन फसलों का एक प्रमुख गुण यह है कि यह चरम  तापमान और सबसे खराब मिट्टी में उग सकता है, लेकिन उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त है। 
          • 40-60 सेमी की वार्षिक वर्षा वृद्धि के लिए सबसे उपयुक्त है। 
          • 20°C से 30°C के बीच का तापमान सबसे अच्छा माना जाता है।

          मिट्टी की आवश्यकता :

          • ड्रैगन फ्रूट को लगभग किसी भी मिट्टी पर उगाया जा सकता है, हालांकि अच्छी सिंचाई वाली रेतीली मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त है। 
          • अच्छी फसल के लिए मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। 

          रोपण

          • दो विधियाँ हैं-
            • पहला, बीज का उपयोग है।
            • दूसरा, पौधे के नमूने से कटिंग का उपयोग करना है।

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