शॉर्ट न्यूज़ : 11 मार्च , 2024
लचित बोरफुकन की 125 फुट ऊंची प्रतिमा
सुधा मूर्ति, राज्यसभा के लिए मनोनीत
अमिताव घोष को इरास्मस पुरस्कार
खसरा और रूबेला चैंपियन पुरस्कार
त्रिपुरा की पारंपरिक महिला पोशाक रिसा
लचित बोरफुकन की 125 फुट ऊंची प्रतिमा
- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम के जोरहाट में लचित बोरफुकन की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया।
- इसे ‘स्टैच्यू ऑफ वेलर’’(वीरता की प्रतिमा) नाम दिया गया है
- लचित बोरफुकन अहोम साम्राज्य के एक महान सेनापति थे
लचित बोरफुकन
- इनका जन्म 24 नवंबर, 1622 को हुआ था
- इनका पूरा नाम चाउ लचित फुकनलुंग था।
- इन्होंने वर्ष 1671 में ‘सरायघाट की लड़ाई’ में मुगल सेना को पराजित किया था
- इन्हें ‘पूर्वोत्तर का शिवाजी’ भी कहा जाता है।
- इनके नाम पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में सर्वश्रेष्ठ कैडेट का स्वर्ण पदक दिया जाता है जिसे ‘लचित पदक’ भी कहा जाता है।
सुधा मूर्ति, राज्यसभा के लिए मनोनीत
- हाल ही में सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया
- सुधा मूर्ति इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति की पत्नी हैं।
- ये इन्फोसिस फाउंडेशन की चेयरमैन रह चुकी हैं.
- ये टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) में नियुक्त होने वाली पहली महिला इंजीनियर थीं
- ये कन्नड़ और अंग्रेजी की लेखिका हैं
- इन्होने कई उपन्यास, तकनीकी किताबें और यात्रा वृतांत लिखे हैं
- वर्ष 2006 में इन्हें पद्म श्री पुरस्कार और 2023 में पद्म भूषण पुरस्कार मिला।
- भारत के राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवाओं में उल्लेखनीय योगदान के लिए राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करते हैं.
- राष्ट्रपति को यह शक्ति भारतीय संविधान की चौथी अनुसूची, अनुच्छेद 4(1) तथा अनुच्छेद 80(2) के तहत प्राप्त है।
अमिताव घोष को इरास्मस पुरस्कार
- हाल ही में भारतीय लेखक अमिताव घोष को इरास्मस पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया है।
- यह पुरस्कार प्रैमियम इरास्मियानम फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है
- अमिताव घोष को यह पुरस्कार जलवायु परिवर्तन संकट को उजागर करने के लिए दिया गया
- इन्होनें अपनी पुस्तकों में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न वैश्विक जलवायु संकट को एक सांस्कृतिक संकट के रूप में उजागर किया है।
अमिताव घोष
- अमिताव घोष अंग्रेजी भाषा के साहित्यकार हैं।
- इन्हें उपन्यास द शैडो लाइन्स के लिये वर्ष 2018 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।
- प्रमुख पुस्तकें - द नटमेग्स कर्स, द हंग्री टाइड, द ग्रेट डिरेंजमेंट, सी ऑफ पॉपीज़, रिवर ऑफ स्मोक और फ्लड ऑफ फायर इत्यादि
खसरा और रूबेला चैंपियन पुरस्कार
- हाल ही में भारत को ‘खसरा और रूबेला चैम्पियन’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया
- यह पुरस्कार ‘द मीजल्स एंड रूबेला पार्टनरशिप’ की ओर से दिया गया।
- भारत को यह पुरस्कार खसरा और रूबेला से निपटने में अनुकरणीय प्रयासों के लिए दिया गया है।
- देश में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत खसरा और रूबेला को समाप्त करने के लिए टीकाकरण किया जा रहा है।
- भारत में पिछले 12 महीने से 50 जिलों में खसरे का एक भी मामला सामने नही आया है
- 226 जिलों में रूबेला का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
- वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 तक खसरा और रूबेला के उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया था
खसरा
- खसरा एक विषाणुजनित रोग है।
- यह मुख्य रूप से कुपोषित और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों को प्रभावित करता है।
- यह अंधापन, इंसेफलाइटिस, दस्त और निमोनिया सहित कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
रूबेला
- यह एक वायरल संक्रमण है।
- यह रूबेला वायरस के कारण होता है
- रूबेला आम तौर पर एक हल्की बीमारी है लेकिन गर्भवती महिलाओं और उनके शिशुओं के लिए यह बहुत गंभीर हो सकती है
त्रिपुरा की पारंपरिक महिला पोशाक रिसा
- हाल ही में त्रिपुरा की पारंपरिक महिला पोशाक रिसा को भौगोलिक संकेत (GI टैग)प्रदान किया गया
- पारंपरिक त्रिपुरी महिला पोशाक में तीन भाग शामिल हैं - रिसा, रिग्नाई और रिकुतु।
- रिग्नाई को मुख्य रूप से निचले परिधान के रूप में पहना जाता है और इसका शाब्दिक अर्थ 'पहनना' है।
- इसे साड़ी की एक स्वदेशी किस्म के रूप में समझा जा सकता है।
- रितुकु का उपयोग मुख्य रूप से एक आवरण के रूप में, या 'चुनरी' या भारतीय साड़ी के 'पल्लू' की तरह किया जाता है।
- इसका उपयोग नवविवाहित त्रिपुरी महिलाओं के सिर को ढकने के लिए भी किया जाता है।
- रिसा एक हाथ से बुना हुआ कपड़ा है जिसका उपयोग महिलाओं के ऊपरी परिधान के रूप में किया जाता है
- इसका प्रयोग सम्मान व्यक्त करने के लिए हेडगियर, स्टोल या उपहार के रूप में भी किया जाता है।
- रंगीन डिज़ाइनों में बुना गया रिसा कई महत्वपूर्ण, सामाजिक और धार्मिक उपयोगिताओं से भरपूर है।
- किशोर त्रिपुरी लड़कियों को 12 से 14 साल की उम्र में सबसे पहले रिसा सोरमानी नामक एक कार्यक्रम में पहनने के लिए रिसा दिया जाता है।
- रीसा का उपयोग धार्मिक त्योहारों में किया जाता है
- आदिवासी समुदायों द्वारा गरिया पूजा, शादियों और त्योहारों के दौरान इसे पहना जाता है
गरिया पूजा महोत्सव
- यह त्रिपुरा का एक प्रमुख त्योहार है
- इसे चैत्र महीने के आखिरी दिन मनाया जाता है।
- इसे फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- इस त्यौहार के दौरान गरिया नृत्य भी किया जाता है।
प्रश्न - रिसा किस राज्य की पारंपरिक महिला पोशाक है ?
(a) त्रिपुरा
(b) मेघालय
(c) मिजोरम
(d) असम
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