शॉर्ट न्यूज़: 13 अप्रैल, 2022
प्रीस्टर्नल केलॉइड चेस्ट
गैंडों की आबादी में वृद्धि
प्रोजेक्ट डॉल्फिन
प्रीस्टर्नल केलॉइड चेस्ट
चर्चा में क्यों
हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने ‘प्रीस्टर्नल केलॉइड चेस्ट’ नामक त्वचा के विकार से पीड़ित युवक को सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation ) में ड्राइवर के तौर पर शामिल होने की याचिका को ख़ारिज कर दिया।
प्रीस्टर्नल केलॉइड चेस्ट और सैन्य सेवा का निर्वहन
- केलॉइड एक दीर्घकालिक और बार-बार होने वाला त्वचा विकार है, जिसकी धीरे-धीरे कुछ वर्षों में फैलने की संभावना होती है।
- केलॉइड्स सैन्य कपड़े और उपकरण पहनने में भी बाधक होते हैं, जिस कारण सशस्त्र बलों में भर्ती के आधारभूत मानकों को पूरा नहीं किया जा सकता।
- इसके अलावा, सैन्य सेवा के दौरान उन्हें गंभीर जलवायु परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है, ये कारक त्वचा विकार के लिये हानिकारक भी हो सकते हैं। फलतः सैन्य कर्तव्यों का पूर्णतः निर्वहन नहीं किया जा सकता।
सीमा सड़क संगठन
बी.आर.ओ. सशस्त्र बलों का एक अभिन्न अंग है। इसे देश के उत्तर व पूर्वोत्तर हिस्सों के अत्यंत दूरस्थ क्षेत्रों में सेना एवं अन्य एजेंसियों के लिये सड़कों और पुलों के निर्माण के लिये तैनात किया गया है।
गैंडों की आबादी में वृद्धि
चर्चा में क्यों
हाल ही में, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व में हुई नवीनतम पशुगणना के अनुसार एक-सींग वाले गैंडों (भारतीय गैंडों) की आबादी में पिछले चार वर्षों में 200 की वृद्धि हुई है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2018 में हुई पिछली पशुगणना में गैंडों की आबादी 2,413 दर्ज की गई थी, जो वर्तमान में बढ़कर 2,613 हो गई है। अनुमानित गैंडों में से 1,823 वयस्क, 365 उप-वयस्क, 279 किशोर और 146 बच्चे थे।
- मार्च माह में असम के दो और गैंडों के आवासों ओरंग नेशनल पार्क एवं पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में भी इसी तरह की पशुगणना संपन्न हुई।
- ओरंग नेशनल पार्क में वर्ष 2018 में 101 की तुलना में 24 गैंडों की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में वर्ष 2018 की तुलना में 5 गैंडे अधिक दर्ज किये गए।
भारतीय गैंडा
- इसे एक सींग वाला बड़ा गैंडा भी कहा जाता है। ये भारतीय उपमहाद्वीप के पूरे उत्तरी भाग में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों के साथ मुख्यतया भारत एवं नेपाल में पाए जाते हैं। भारत में इस प्रजाति का निवास पश्चिम बंगाल तथा असम राज्य के कुछ हिस्सों तक ही सीमित है।
- इस प्रजाति को सींगों के अवैध शिकार, आवासों के विनाश, घटती आनुवंशिक विविधता आदि के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है।
संरक्षण
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : अनुसूची I
- आई.यू.सी.एन. की लाल सूची : सुभेद्य (Vulnerable)
- साइट्स (CITES) : परिशिष्ट I
प्रोजेक्ट डॉल्फिन
चर्चा में क्यों
हाल ही में, जल शक्ति मंत्री ने गंगा पर गठित अधिकार प्राप्त कार्यबल की बैठक में ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ के लिये अनुमोदन प्रक्रिया की धीमी गति का संज्ञान लिया।
प्रमुख बिंदु
- ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ वर्ष 2019 में स्वीकृत एक महत्त्वाकांक्षी अंतर-मंत्रालयी पहल है, जो ‘अर्थ गंगा’ के तहत नियोजित गतिविधियों में से एक है।
- इस परियोजना को वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद् (NGC) की पहली बैठक में सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई थी।
- सरकार ने ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ को ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की तर्ज़ पर लागू करने की योजना की है। विदित है कि ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ ने बाघों की आबादी बढ़ाने में मदद की है। प्रोजेक्ट डॉल्फिन समुद्री और नदी डॉल्फिन के संरक्षण में सहायक सिद्ध होगा।
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है।
गंगा डॉल्फिन
- गंगा नदी प्रणाली जलीय जीवन की एक विशाल विविधता का घर है, जिसमें गंगा डॉल्फिन (वैज्ञानिक नाम: प्लैटनिस्टा गैंगेटिका) भी शामिल है। गंगा डॉल्फिन दुनिया भर में पाई जाने वाली नदी डॉल्फिन की पाँच प्रजातियों में से एक है।
- यह प्रजाति मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है, जो विशेष रूप से गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली-संगू नदी प्रणालियों में विचरण करती है।
- गंगा डॉल्फिन का प्रजनन-काल जनवरी से जून तक रहता है। ये मछलियों व अकशेरूकीय आदि की कई प्रजातियों पर भोजन के लिये निर्भर रहती हैं।
संरक्षण की आवश्यकता
- जलीय जीवन नदी पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य का सूचक है। चूँकि गंगा डॉल्फिन खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर है, प्रजातियों और उनके आवास की रक्षा करने से नदी के जलीय जीवन का संरक्षण सुनिश्चित होगा।
- कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, 19वीं सदी के दौरान दिल्ली में यमुना नदी में भी डॉल्फिन देखी जाती थीं। हालाँकि, बांधों और बैराजों के निर्माण और बढ़ते प्रदूषण के कारण नदियों में जलीय जानवरों और विशेष रूप से डॉल्फिन की आबादी में गिरावट आई है।
- भारत में गंगा की डॉल्फिन की आबादी लगभग 2,500-3,000 हो सकती है, जिसमें से उत्तर प्रदेश में लगभग 1,272 डॉल्फिन और असम में 962 डॉल्फिन हैं।
संरक्षण स्थिति
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण), अधिनियम 1972: अनुसूची-I
- प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN): संकटग्रस्त (Endangered)
- लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES): परिशिष्ट-I; गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Most Endangered)
- प्रवासी प्रजातियों पर सम्मेलन (सी.एम.एस.) : परिशिष्ट-II (प्रवासी प्रजातियाँ, जिन्हें संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है या जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से महत्त्वपूर्ण लाभ होगा)।
अन्य तथ्य
- बिहार में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य स्थापित किया गया है।
- 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- गंगा डॉल्फिन के लिये संरक्षण कार्य योजना वर्ष 2010-2020 के तहत गंगा डॉल्फिन के समक्ष विद्यमान खतरों की पहचान की गई। इसमें नदी यातायात, सिंचाई नहरों और शिकार आदि को डॉल्फ़िन आबादी की कमी के लिये उत्तरदायी माना गया।
- वर्ष 2009 में भारत सरकार ने गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय पशु के रूप में मान्यता दी।