शॉर्ट न्यूज़: 19 अगस्त, 2022
ई-चालान कारोबार सीमा में कमी
भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि
ई-चालान कारोबार सीमा में कमी
चर्चा में क्यों
हाल ही में, माल एवं सेवा कर (GST) परिषद् ने ई-चालान कारोबार की सीमा को 20 करोड़ से घटाकर 10 करोड़ रुपए करने का निर्णय लिया है।
हालिया निर्णय
- 1 अक्टूबर, 2022 से 10 करोड़ रुपए या उससे अधिक के वार्षिक टर्नओवर वाले कारोबारियों को बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के लिये ई-चालान जनरेट करना होगा।
- केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs : CBIC) ने 1 अगस्त को यह अधिसूचना जारी कर दी है।
ई-चालान
- ई-चालान प्रणाली जी.एस.टी. पंजीकृत व्यक्तियों के लिये चालान पंजीकरण पोर्टल (Invoice Registration Portal : IRP) पर सभी बी2बी चालान अपलोड करने के लिये है।
- आई.आर.पी. उपयोगकर्ता को एक अद्वितीय चालान संदर्भ संख्या (Invoice Reference Number : IRN), डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित ई-चालान और क्यू.आर. कोड प्रदान करता है।
- ई-चालान प्रक्रिया का पालन करने के बाद खरीदार को अधिसूचित आपूर्तिकर्ता द्वारा जारी चालान की प्रति को सामान्यत: 'ई-चालान' कहा जाता है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र इकाइयां, बीमा, बैंकिंग (एन.बी.एफ.सी. सहित), माल परिवहन एजेंसियां (माल ढुलाई में सड़क मार्ग से माल परिवहन), यात्री परिवहन सेवाएं और मल्टीप्लेक्स सिनेमा में प्रवेश ई-चालान प्रणाली से मुक्त हैं।
- गौरतलब है कि जी.एस.टी. चालान केवल वैध आई.आर.एन. के साथ ही मान्य होता है।
जी.एस.टी. के तहत ई-चालान की शुरुआत
- सितंबर 2019 में जी.एस.टी. परिषद की बैठक के दौरान ई-चालान मानक को मंजूरी दी गई थी। अक्टूबर 2020 से 500 करोड़ रुपए से अधिक कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये बी2बी लेनदेन के लिये ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया था।
- इस सीमा को धीरे-धीरे घटाकर कर 20 करोड़ रुपए से अधिक कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि सी.बी.आई.सी. ई-चालान जनरेट करने के लिये टर्नओवर सीमा को 5 करोड़ रुपए तक लाने की योजना बना रहा है।
ई-चालान कारोबारी सीमा में कमी के निहितार्थ
- अधिकारियों के पास वास्तविक समय में डाटा तक पहुंच के कारण करदाताओं में भ्रष्टाचार को कम करने और धोखाधड़ी को रोकने में मददगार।
- रिटर्न का पूर्व-निपटान करने, सुलह की समस्याओं को कम करने और कर-अपवंचन को रोकने में सहायक।
- बेमेल त्रुटियों को हल करना और कर चोरी की जांच करना।
- नियमों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करना।
भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि
चर्चा में क्यों
जुलाई 2022 में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 31.02 बिलियन डॉलर हो गया है, जो विगत वर्ष जुलाई में दर्ज किये गए 10.63 अरब डॉलर से तीन गुना अधिक है।
क्या होता है व्यापार घाटा
- व्यापार घाटा या नकारात्मक व्यापार संतुलन (BOT) निर्यात और आयात के बीच का अंतर होता है। जब आयात पर खर्च किया गया धन किसी देश में निर्यात पर खर्च किये गए धन से अधिक हो जाता है, तो यह अंतर व्यापार घाटा कहलाता है।
- इसकी गणना विभिन्न वस्तुओं व सेवाओं द्वारा तथा अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन से भी की जाती है। व्यापार घाटे के विपरीत व्यापार अधिशेष होता है।
व्यापार घाटा के कारण
व्यापार घाटा के रूप में कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जब कुछ वस्तुओं का उत्पादन घरेलू स्तर पर नहीं किया जाता है, तो ऐसे में उसका आयात करना पड़ता है, जिससे व्यापार में असंतुलन पैदा हो सकता है। साथ ही, कमजोर मुद्रा भी एक कारक है, जिससे व्यापार महँगा हो जाता है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- व्यापार घाटा बढ़ने से देश के सकल घरेलू उत्पाद में कमी आती है।
- उच्च व्यापार घाटा स्थानीय मुद्रा के मूल्य को कम कर सकता है।
- निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात से रोज़गार क्षेत्र प्रभावित होता है, जो बेरोजगारी में वृद्धि का कारण बनता है।
- उदाहरणस्वरुप, यदि मोबाइल का आयात अधिक किया जाता है, तो स्थानीय स्तर पर उत्पादन में गिरावट आती है, जिससे रोजगार सृजन में कमी आती हैं।