शॉर्ट न्यूज़: 22 जनवरी, 2022
टोंगा में ज्वालामुखी विस्फोट
नया परमाणु रिएक्टर
इस्लामिक सहयोग संगठन में ईरान का प्रतिनिधित्त्व
टोंगा में ज्वालामुखी विस्फोट
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, प्रशांत महासागर में स्थित टोंगा द्वीप के पास समुद्र के भीतर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ। इसके कारण कुछ देशों ने सुनामी की चेतावनी जारी कर दी।
टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट
- समुद्र की सतह पर पानी के नीचे होने वाले इस ज्वालामुखी विस्फोट से टोंगा द्वीप समूह के दो छोटे निर्जन द्वीप, ‘हुंगा-हापाई’ और 'हुंगा-टोंगा’ प्रभावित हुए। विदित है कि टोंगा द्वीप आस्ट्रेलिया महाद्वीप में स्थित है जहाँ टोंगन समुदाय निवास करता है।
- पिछले कुछ दशकों में हुंगा-टोंगा और हुंगा-हापाई द्वीप लगातार ज्वालामुखी सक्रिय क्षेत्र है।
प्रभाव
अमेरिकी भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, यह ज्वालामुखीय विस्फोट 5.8 तीव्रता के भूकंप के बराबर है। भूकंप के बजाय ज्वालामुखियों द्वारा उत्पन्न सुनामी अपेक्षाकृत असामान्य होती हैं। इससे संचार बाधित होने के साथ-साथ राख और धुएँ से जल दूषित हो गया है।
नया परमाणु रिएक्टर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, रूस ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Kudankulam Nuclear Power Plant: KNPP) में 6वें रिएक्टर का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- निर्माण कार्य रूस की परमाणु इंजीनियरिंग कंपनी एटमैश (Atommash) द्वारा किया जा रहा है, जबकि रूसी कंपनी रोसाटॉम (Rosatom) कुडनकुलम संयंत्र के निर्माण के लिये प्रौद्योगिकी प्रदान कर रही है।
- इसमें प्रत्येक में 1,000 मेगावाट क्षमता की 6 इकाइयाँ शामिल हैं। के.एन.पी.पी. भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा केंद्र है।
- उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच संपन्न 21वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के पश्चात् इस रिएक्टर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है।
- भारत और रूस ने बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना में सफल सहयोग का उल्लेख किया और तीसरे देशों में भी इसी तरह के सहयोग का पता लगाने की इच्छा व्यक्त की है।
इस्लामिक सहयोग संगठन में ईरान का प्रतिनिधित्त्व
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओ.आई.सी.) में ईरान का प्रतिनिधित्त्व करने के लिये ईरान के तीन राजनयिक सऊदी अरब पहुँचे।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि वर्ष 2016 के बाद सऊदी अरब में ईरान के किसी राजनयिक का आगमन हुआ है।
- ईरानी कट्टरपंथियों द्वारा सऊदी राजनयिकों पर कथित तौर पर हमला किये जाने के बाद सऊदी अरब ने इसके साथ राजनयिक संबंध समाप्त कर दिये थे।
- इस शुरुआत से दोनों देशों के संबंधों में सुधार तथा राजनयिकों की आवागमन प्रक्रिया फिर से संचालित हो सकेगी।
इस्लामिक सहयोग संगठन
- इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की स्थापना वर्ष 1969 में रबात (मोरक्को) में हुई थी। इसका मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दा में है। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- वर्तमान में इस्लामिक सहयोग संगठन में 57 सदस्य देश हैं। इसमें शामिल होने के लिये किसी भी देश का मुस्लिम बाहुल्य होना ज़रूरी होता है।