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शॉर्ट न्यूज़: 24 जनवरी, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 24 जनवरी, 2022


इंडोनेशिया द्वारा राजधानी में परिवर्तन

वर्नाक्यूलर इनोवेशन प्रोग्राम

एन.एस.ई. प्राइम

सुशासन की ओर बढ़ते कदम

दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन


इंडोनेशिया द्वारा राजधानी में परिवर्तन

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, इंडोनेशियाई संसद ने देश की राजधानी को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पारित किया है। 

प्रमुख बिंदु

  • इंडोनेशिया ने अपनी वर्तमान राजधानी जकार्ता को बोर्नियो द्वीप के पूर्वी हिस्से में स्थित पूर्वी कालीमंतन प्रांत में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। विदित है कि वर्ष 1949 में इंडोनेशिया की स्वतंत्रता के बाद से ही जकार्ता इसकी राजधानी है।
  • नई राजधानी को ‘नुसंतारा’ नाम दिया गया है। जावा भाषा में ‘नुसंतारा’ का अर्थ ‘द्वीपसमूह’ होता है। यहाँ घने जंगल तथा ओरंगुटान कपि (Orangutans Apes) पाए जाते है।
  • राजधानी स्थानांतरण का प्रारंभिक चरण वर्ष 2022 से 2024 के मध्य शुरू होगा। नया शहर ‘राज्य राजधानी प्राधिकरण’ नामक एक निकाय द्वारा शासित होगा।
  • उल्लेखनीय है कि बोर्नियो द्वीप को इंडोनेशियाई के अतिरिक्त मलेशिया और ब्रुनेई देश भी साझा करते हैं।

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राजधानी परिवर्तन का कारण 

  • इंडोनेशिया ने बाढ़, समुद्री जलस्तर में वृद्धि, प्रदूषण तथा बढ़ती जनसंख्या के कारण राजधानी में परिवर्तन का निर्णय लिया है। 
  • इंडोनेशिया से पूर्व म्यांमार (रंगून/यांगून से नायपीदॉ), ब्राज़ील (रियो डी जनेरियो से ब्रासीलिया), नाइजीरिया (लागोस से ​​अबुजा) तथा कज़ाकिस्तान (अलमाटी से अस्ताना/नूर-सुल्तान) जैसे देश भी अपनी राजधानी परिवर्तित कर चुके हैं।

वर्नाक्यूलर इनोवेशन प्रोग्राम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, देश भर में नवोन्मेषकों और उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिये नीति आयोग ने अटल इनोवेशन मिशन (ए.आई.एम.) के तहत ‘वर्नाक्यूलर इनोवेशन प्रोग्राम’ की शुरुआत की है। 

क्या है वर्नाक्यूलर इनोवेशन प्रोग्राम?

  • यह कार्यक्रम देश के नवोन्मेषकों और उद्यमियों को आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में नवाचार पारितंत्र तक पहुँच प्रदान करेगा।
  • इस कार्यक्रम के तहत अटल इनोवेशन मिशन 22 अनुसूचित भाषाओं में वर्नाक्यूलर टास्क फ़ोर्स को प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इस टास्क फ़ोर्स में स्थानीय भाषा के शिक्षक, विषय-विशेषज्ञ तथा तकनीकी लेखक शामिल होंगे।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के सहयोग से अटल इनोवेशन मिशन के द्वारा ‘ट्रेन-द-ट्रेनर’ प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। यह वर्नाक्यूलर टास्क फ़ोर्स को डिजाइन और इनोवेशन में प्रशिक्षण प्रदान करेगा। 

लाभ 

  • यह कार्यक्रम विभिन्न भाषाई समुदायों की डिज़ाइन और इनोवेशन क्षमताओं को मजबूत करेगा, जिससे स्थानीय उद्यमियों एवं कारीगरों को ए.आई.एम. द्वारा विकसित तकनीकी सामग्री को अपनाने में मदद मिलेगी।
  • यह स्थानीय स्तर पर डिज़ाइन विशेषज्ञों और नवाचार पेशेवरों के एक मजबूत नेटवर्क के निर्माण में सहायता करेगा।
  • यह युवाओं में संज्ञानात्मक एवं डिजाइन से संबंधित सोच को मजबूत करेगा।
  • यह पहल भाषा की बाधाओं को दूर करने और देश के दूरस्थ क्षेत्रों में नवोन्मेषकों को सशक्त बनाने में सहायक होगा।

एन.एस.ई. प्राइम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने एक नई कार्पोरेट गवर्नेंस पहल ‘एन.एस.ई. प्राइम’ (NSE-Prime) की शुरुआत की है।

क्या है एन.एस.ई. प्राइम ?

  • यह एक ऐसा ढाँचा है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों के लिये कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों को निर्धारित करता है। एन.एस.ई. में सूचीबद्ध कंपनियाँ इसे स्वैच्छिक रूप से अपना सकती है। 
  • एन.एस.ई. प्राइम का हिस्सा बनने वाली सूचीबद्ध कंपनियों को निरंतर आधार पर पूर्व-निर्धारित मानदंडों का पालन करना होगा जिसकी निगरानी एन.एस.ई. द्वारा की जाएगी।

लाभ

  • यह पहल निवेशकों को कॉरपोरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों को अपनाने वाली कंपनियों की पहचान करने में सक्षम बनाएगी।
  • यह पहल सूचीबद्ध कंपनियों में निवेशकों की गुणवत्ता को व्यापक बनाने एवं भारतीय पूँजी बाजार में निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने में सहायक होगी।
  • बेहतर कॉरपोरेट गवर्नेंस मानकों एवं पारदर्शिता में वृद्धि से कंपनियों को मजबूत और टिकाऊ व्यवसाय स्थापित करने में मदद मिलेगी। 

सुशासन की ओर बढ़ते कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत सरकार के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र और हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के बीच सुशासन के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। 

मुख्य बिंदु

  • यह ज्ञापन न केवल सुशासन के सिद्धांतों बल्कि ग्रामीण समुदायों को सेवाएँ प्रदान करने में सार्वजनिक धन के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी सुनिश्चित करेगा।
  • पंचायत स्तर पर ई-गवर्नेंस का लाभ उठाना, सुशासन मॉडल का दस्तावेजीकरण, दूसरों के बीच संरचना का सरलीकरण और ग्रामीण शासन की सर्वोत्तम प्रथाओं सहित कई प्रमुख पारस्परिक क्षेत्रों को कार्रवाई योग्य बिंदुओं के रूप में पहचाना गया।

उद्देश्य

  • सभी कार्यक्रमों और योजनाओं में बेहतर सुशासन तंत्र के लिये इन दोनों राष्ट्रीय संस्थाओं को तैयार करके विभिन्न सहयोगात्मक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • दोनों संस्थानों के मध्य ज्ञान का आदान-प्रदान करना और पंचायती राज संस्थानों सहित सरकार के सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण करना।
  • समावेशी सुशासन को बढ़ावा देना, स्थानीय संस्थानों को मज़बूत करना और सरकारी कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन।
  • पंचायत स्तर पर ग्रामीण शासन की सूचीकरण के बेंचमार्क की पहचान करना।

दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, विश्व आर्थिक मंच के पाँच दिवसीय ‘दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु

  • इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टेट ऑफ दी वर्ल्ड’ (विश्व की स्थिति) विषय पर संबोधित किया और ‘P3 (प्रो प्लैनेट पीपल) आंदोलन’ की शुरुआत की। उन्होंने वर्तमान समय को भारत में निवेश के लिये सर्वाधिक उपयुक्त माना है।
  • भारत ने कोविड-19 के दौरान ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ अवधारणा का पालन करते हुए आवश्यक दवाओं और वैक्सीन की आपूर्ति पूरे विश्व में की है। वर्तमान में भारत तीसरा सबसे बड़ा फार्मा उत्पादक है।

निवेश के लिये अनुकूल समय

  • आत्मनिर्भरता के साथ भारत का ध्यान प्रक्रियाओं को सरल बनाने और निवेश एवं उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर है। विश्व आपूर्ति श्रृंखला में भारत एक भरोसेमंद साझीदार बनने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • भारत यूनिकॉर्न (Unicorn) की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और देश में पिछले 6 महीनों में दस हजार से अधिक स्टार्ट-अप पंजीकृत हुए हैं।
  • भारत वर्तमान के साथ-साथ अगले 25 वर्षों के लिये लक्ष्य को ध्यान में रखकर नीतियाँ बना रहा है, जिसमें वृद्धि दर, कल्याण और आरोग्य को उच्चतम स्तर तक पहुँचाने का लक्ष्य है। इस अवधि में विकास प्रक्रिया हरित, स्वच्छ एवं सतत होगी।

भारत की चिंताएँ

  • ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’ की संस्कृति और उपभोक्तावाद ने जलवायु चुनौतियों को अधिक गंभीर बना दिया है। अत: सतत अर्थव्यवस्था के त्वरित विकास की आवश्यकता है।
  • आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, मुद्रास्फीति, जलवायु परिवर्तन तथा क्रिप्टो-करेंसी जैसे मुद्दों पर किसी एक देश द्वारा लिये गये फैसले इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे।

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