New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June.

बिहार जाति आधारित गणना की रिपोर्ट

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-1 और 2

संदर्भ-

  • 2 अक्टूबर,2023 को बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं।

मुख्य बिंदु-

  • बिहार विधानमंडल ने 18 फरवरी 2019 को राज्य में जाति आधारित जनगणना (सर्वे) कराने का प्रस्ताव पारित किया था।
  • इसके बाद 2 जून, 2022 को बिहार मंत्री परिषद ने जाति आधारित जनगणना कराने का फ़ैसला किया. ये दो चरणों में होनी थी। पहले चरण में ये मकान के जरिए होनी थी।
  • इसके तहत 7 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 तक मकानों का नंबरीकरण किया गया और लिस्ट बनाई गई।
  • दूसरे चरण में राज्य के सभी व्यक्तियों की जनगणना का काम 15 अप्रैल 2023 को शुरू किया गया।
  • 5 अगस्त 2023 को सारे आंकड़े बनाकर मोबाइल ऐप के जरिए जमा किया गया।

सर्वे के आंकड़े-

  • रिपोर्ट के मुताबिक अति पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं।
  • इस जातिगत सर्वे से बिहार में आबादी का धार्मिक आधार भी पता चला है।
  • सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में हिंदू 107192958 (कुल आबादी का 81.9%)।
  • मुसलमानों 23149925 (कुल आबादी 17.7%)।
  • ईसाई 0.05 प्रतिशत।
  • बौद्ध 0.08 प्रतिशत।
  • जैन 0.009 प्रतिशत।
  • 2146 लोग कोई धर्म नहीं मानते।

बिहार में टॉप 12 जातियों का डेटा-

1. यादव-    14.26 प्रतिशत
2. दुसाध-    5.31 प्रतिशत
3. रविदास-  5.2 प्रतिशत
4. कोइरी-   4.2 प्रतिशत
5. ब्राह्मण-   3.65 प्रतिशत
6. राजपूत-  3.45 प्रतिशत
7. मुसहर-   3.08 प्रतिशत
8. कुर्मी-     2.87 प्रतिशत
9. भूमिहार-  2.86 प्रतिशत
10. मल्लाह- 2.60 प्रतिशत
11. बनिया-  2.31 प्रतिशत
12. कायस्थ- 0.60 प्रतिशत

जातिगत जनगणना का इतिहास-

  • वर्ष 1931 तक भारत में जातिगत जनगणना होती थी।
  • वर्ष 1941 में जनगणना के समय जाति आधारित डेटा जुटाया ज़रूर गया था, लेकिन प्रकाशित नहीं किया गया।
  • साल 1951 से 2011 तक की जनगणना में हर बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का डेटा दिया गया, लेकिन ओबीसी और दूसरी जातियों का नहीं।
  • 2011 में SECC यानी सोशियो इकोनॉमिक कास्ट सेंसस आधारित डेटा जुटाया था। इसकी जिम्मेदारी ग्रामीण विकास मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय को सौंपी गई।
  • 2016 में जाति को छोड़ कर SECC के सभी आँकड़े प्रकाशित हुए। लेकिन जातिगत आँकड़े प्रकाशित नहीं हुए. जाति का डेटा सामाजिक कल्याण मंत्रालय को सौंप दिया गया, जिसके बाद एक एक्सपर्ट ग्रुप बना, लेकिन उसके बाद आँकड़ों का क्या हुआ, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- भारत में अंतिम बार जातिगत जनगणना कब की गई थी?

  1. 1921
  2. 1931
  3. 1971
  4. 1991

उत्तर- (b)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना हाशिए पर पहुँच गई जातियों के सशक्तिकरण में योगदान देगी। समीक्षा करें ।

    « »
    • SUN
    • MON
    • TUE
    • WED
    • THU
    • FRI
    • SAT
    Have any Query?

    Our support team will be happy to assist you!

    OR