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बायोलम्पीवैक्सिन

  • 14 मई, 2025 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पशुओं में होने वाले लंपी स्किन डिज़ीज़ (LSD) के लिए बायोलम्पीवैक्सिन (Biolumpivaxin) नामक एक नवीन पशु-टीके का शुभारंभ किया।
  • यह पहल न केवल लंपी स्किन डिज़ीज़ (LSD) के नियंत्रण की दिशा में एक अग्रणी कदम है, बल्कि राज्य के पशुधन विकास लक्ष्य (20% वृद्धि) और डेयरी उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

बायोलम्पीवैक्सिन के बारे में 

  • विकास एवं परीक्षण: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सहयोग से बायोटेक की सहायक कंपनी बायोवेट द्वारा विकसित। 
    • फरवरी 2025 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा इसे मंजूरी दी गई थी।
  • प्रमुख विशेषताएँ : यह विश्व का पहला DIVA (Differentiating Infected from Vaccinated Animals) मार्कर टीका है, जो संक्रमित पशुओं को टीकाकृत पशुओं से वैज्ञानिक रूप से अलग पहचान की सुविधा देता है।
    • इसे वर्ष में एक बार गाय और भैंसों को सभी उम्रों में दिया जा सकता है।
    • इससे 3–4 सप्ताह में पूर्ण प्रतिरक्षा विकसित होती है। 

लंपी स्किन डिज़ीज़ (LSD) 

  • क्या है LSD एक वायरल संक्रामक रोग है जो  मुख्यतः गाय और भैंस जैसे मवेशियों को प्रभावित करता है।
    • इससे शरीर के पूरे हिस्से में त्वचा की गांठों का बनना, बुखार, लिम्फ नोड्स में सूजन, दूध की मात्रा में कमी और चलने-फिरने में कठिनाई होती हैं।
  • संक्रमण : एल.एस.डी. वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से वेक्टर के काटने से होता है, जिसमें मच्छर, टिक और अन्य काटने वाले कीड़े मुख्य हैं।
  • प्रभाव : इस रोग से संक्रमित पशु आर्थिक रूप से भारी क्षति का सामना करते हैं, जिससे किसानों और देश की डेयरी उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
  • पहला मामला : इसका पहला मामला वर्ष 1929 में जाम्बिया (अफ्रीका) में दर्ज किया गया। 
    • यह FAO द्वारा सूचीबद्ध एक Transboundary Animal Disease (TAD) है। 
  • भारत में स्थिति : पहला मामला वर्ष 2019 में दर्ज किया गया। 
    • 2022 में भीषण प्रकोप : राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में लाखों मवेशी संक्रमित तथा 1 लाख से अधिक पशुओं की मृत्यु की पुष्टि हुई।
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