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श्वेत श्रेणी उद्योग (White Category Industries)

  • उद्योगों को सामान्यतः उनके प्रदूषण स्तर और पर्यावरण पर प्रभाव के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
  • यह वर्गीकरण नियामक निकायों को निगरानी प्राथमिकता तय करने, पर्यावरणीय मानदंड लागू करने और सतत औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • इन्हीं में से एक श्रेणी “श्वेत श्रेणी उद्योग” है, जो सबसे स्वच्छ और न्यूनतम प्रदूषण करने वाले उद्योगों को दर्शाती है।

श्वेत श्रेणी उद्योग क्या हैं? 

  • श्वेत श्रेणी उद्योग वे औद्योगिक या व्यावसायिक गतिविधियाँ हैं, जिनका पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं होता या बहुत ही नगण्य प्रभाव होता है।
    ये उद्योग हवा, पानी और भूमि प्रदूषण के मामले में शून्य या अत्यंत कम प्रदूषण करते हैं।
  • इनका पर्यावरणीय प्रभाव न्यूनतम होने के कारण, इन पर कठोर प्रदूषण नियंत्रण नियमों की आवश्यकता नहीं होती।

प्रदूषण के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण

उद्योगों को प्रदूषण स्तर के आधार पर मुख्यतः चार श्रेणियों में बाँटा गया है:

  • लाल श्रेणी (Red Category): अत्यधिक प्रदूषण करने वाले उद्योग (जैसे रासायनिक संयंत्र, ताप विद्युत स्टेशन, टेनरी)।
  • नारंगी श्रेणी (Orange Category): मध्यम स्तर का प्रदूषण करने वाले उद्योग (जैसे छोटे फाउंड्री, डाई निर्माण इकाइयाँ)।
  • हरित श्रेणी (Green Category): कम प्रदूषण करने वाले उद्योग (जैसे नियंत्रित उत्सर्जन वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ)।
  • श्वेत श्रेणी (White Category): शून्य या नगण्य प्रदूषण करने वाले उद्योग (जैसे सेवा क्षेत्र व लघु निर्माण इकाइयाँ)।

श्वेत श्रेणी उद्योगों की विशेषताएँ

  • न्यूनतम या शून्य उत्सर्जन: इनसे हानिकारक गैसें या अपशिष्ट नहीं निकलते।
  • कोई खतरनाक अपशिष्ट नहीं: इनसे किसी प्रकार का जहरीला या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाला कचरा उत्पन्न नहीं होता।
  • पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रियाएँ: स्वच्छ तकनीक व इको-फ्रेंडली कच्चे माल का उपयोग।
  • रसायनों का सीमित उपयोग: जहरीले रसायनों का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं किया जाता।
  • कम जल उपयोग: पानी की खपत तथा अपशिष्ट जल का सृजन बेहद कम होता है।

श्वेत श्रेणी उद्योगों के उदाहरण

  • आईटी सेवाएँ: सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, आईटी परामर्श, डेटा सेंटर।
  • शैक्षणिक संस्थान: स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर।
  • खुदरा व थोक व्यापार: दुकानें, मॉल, शोरूम।
  • हस्तशिल्प और कारीगरी: परंपरागत हस्तकला जिसमें रासायनिक उपयोग नहीं होता।
  • प्रिंटिंग सेवाएँ: विषैले रसायन रहित स्याही से छपाई।
  • सिलाई एवं परिधान निर्माण: बिना रासायनिक प्रोसेस के।
  • सेवा क्षेत्र: बैंकिंग, वित्त, परामर्श, कार्यालय आधारित व्यवसाय।
  • मरम्मत सेवाएँ: इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन मरम्मत (जहाँ रासायनिक अपशिष्ट उत्पन्न नहीं होता)।

श्वेत श्रेणी उद्योगों का महत्व

  • पर्यावरण संरक्षण: यह उद्योग विकास को बिना पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बढ़ावा देते हैं।
  • नियामकीय सुगमता: इन्हें कठोर पर्यावरणीय स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती, जिससे समय और लागत की बचत होती है।
  • आर्थिक विकास: यह उद्योग विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करते हैं।
  • स्वच्छ तकनीकों का प्रचार: यह उद्योग हरित तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • प्रदूषणकारी उद्योगों पर फोकस: नियामक एजेंसियाँ अपने संसाधनों को लाल व नारंगी श्रेणी के निगरानी पर केंद्रित कर सकती हैं।

नियामकीय पक्ष

  • श्वेत श्रेणी उद्योगों को कई राज्यों में पूर्व पर्यावरणीय स्वीकृति (Environmental Clearance) की आवश्यकता नहीं होती।
  • इन पर निगरानी और रिपोर्टिंग की प्रक्रिया बेहद सरल या न्यूनतम होती है।
  • ये उद्यमिता को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि पर्यावरणीय अनुमतियों में देरी या उच्च लागत की बाधा नहीं होती।

सतत विकास पर प्रभाव

श्वेत श्रेणी उद्योग निम्नलिखित तरीकों से सतत औद्योगिक विकास में योगदान करते हैं:

  • कुल पर्यावरणीय बोझ को घटाते हैं।
  • स्वच्छ व्यापार मॉडल को बढ़ावा देते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति कार्रवाई में सहायक होते हैं।
  • रोजगार प्रदान करते हैं, वह भी न्यूनतम पारिस्थितिक हानि के साथ।

चुनौतियाँ और विचारणीय बिंदु

  • निगरानी: यद्यपि ये उद्योग कम प्रदूषण करते हैं, फिर भी यह सुनिश्चित करने हेतु समय-समय पर निरीक्षण आवश्यक है कि वे पर्यावरणीय मानदंडों का पालन कर रहे हैं।
  • उद्योगों का विस्तार: कुछ उद्योग शुरू में श्वेत श्रेणी के होते हैं, लेकिन विस्तार के साथ उनका पुनर्वर्गीकरण आवश्यक हो सकता है।
  • जागरूकता: उद्यमियों को श्वेत श्रेणी की स्थिति बनाए रखने हेतु सर्वोत्तम व्यवहारों की जानकारी देना आवश्यक है।
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