पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) के अंदर स्थित जयगीर ऐसा पहला गांव बन गया है जिसे टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से पूरी तरह से बाहर स्थानांतरित किया गया है।
पलामू टाइगर रिजर्व के बारे में
- परिचय : पलामू टाइगर रिजर्व देश के पहले उन 9 टाइगर रिज़र्व में से एक है जिसे प्रोजेक्ट टाइगर (1973) के प्रथम चरण में अधिसूचित किया गया था।
- यह झारखंड का एकमात्र बाघ अभयारण्य है तथा बेतला नेशनल पार्क का एक हिस्सा है।
- अवस्थिति एवं विस्तार : यह छोटानागपुर पठार पर लातेहार एवं गढ़वा ज़िलों में विस्तारित है।

- क्षेत्रफल : यह वन 1129.93 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है जिसमें से 414.08 वर्ग किमी. को कोर क्षेत्र (महत्वपूर्ण बाघ आवास) और शेष 715.85 वर्ग किमी. को बफर क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है।
- वन प्रकार : मुख्यत: साल वन, मिश्रित पर्णपाती वन एवं बांस
- प्रमुख नदियां : यह क्षेत्र तीन महत्वपूर्ण नदियों- कोयल, बुरहा एवं औरंगा का जलग्रहण क्षेत्र है।
- वर्षा : यह टाइगर रिजर्व वृष्टि-छाया प्रभाव के कारण सूखाग्रस्त क्षेत्र है। औसत वार्षिक वर्षा 1075 मिमी. है।
- अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिमी मानसून से होती है। उत्तरी भाग की तुलना में दक्षिणी भागों में वर्षा अधिक होती है।
- जलभृत : इस रिजर्व में अनेक जलभृत पाए जाते हैं जिन्हें स्थानीय रूप से ‘चुआन’ कहा जाता है। इसके अलावा बरवाडीह के पास ‘तथा’ नामक एक सल्फर युक्त गर्म पानी का झरना भी मौजूद है।
- वन्यजीव : मुख्य प्रजातियाँ में बाघ, हाथी, तेंदुआ, ग्रे वुल्फ, गौर, स्लॉथ बियर, चार सींग वाले मृग, भारतीय रतेल, भारतीय ऊदबिलाव एवं भारतीय पैंगोलिन शामिल हैं।
- वनस्पतियाँ : यहाँ पौधों की कुल 970 प्रजातियों, घास की 17 प्रजातियों और औषधीय पौधों की 56 प्रजातियों की भी पहचान की गई हैं।
क्या आप जानते हैं?
पलामू टाइगर रिजर्व दुनिया का पहला अभयारण्य है जिसमें वर्ष 1932 में पलामू के तत्कालीन डी.एफ.ओ. जे.डब्ल्यू. निकोलसन की देखरेख में पगमार्क गणना के रूप में बाघों की गणना की गई थी।
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