प्रारंभिक परीक्षा: प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना, मेक इन इंडिया कार्यक्रम, डीआरडीओ मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ:
रक्षा राज्य मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दिया कि प्रौद्योगिकी विकास निधि के तहत 70 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई है, जिसकी कुल लागत 291.25 करोड़ रुपये है। इस योजना के अंतर्गत 16 रक्षा प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक विकसित किया जा चुका है।

प्रौद्योगिकी विकास निधि:
- यह रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक प्रमुख कार्यक्रम है।
- इस कार्यक्रम की शुरुआत 2016 में की गई थी।
- इसे डीआरडीओ द्वारा 'मेक इन इंडिया' पहल के अंतर्गत क्रियान्वितन किया जा रहा है।

मेक इन इंडिया कार्यक्रम:
- इस कार्यक्रम की शुरुआत 25 सितम्बर, 2014 को की गई।
- उद्देश्य:
- भारत को महत्वपूर्ण निवेश, निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदलना
- उद्यमशीलता को बढ़ावा देना
- निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना निर्माण, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना
- सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना
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प्रौद्योगिकी विकास निधि कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य-
- भारतीय उद्योगों के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु अकादमिक एवं वैज्ञानिक संस्थानों को सहायता अनुदान प्रदान करना। (जो वर्तमान समय में भारतीय रक्षा उद्योग को उपलब्ध नहीं हैं)
- निजी उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्टअप के साथ जुड़ना ताकि सैन्य प्रौद्योगिकी की विकास संस्कृति को बढ़ावा मिल सके
- देश में पहली बार विकसित की जा रही विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान, डिजाइन और विकास पर ध्यान केंद्रित करना
- निजी संस्थाओं के साथ सशस्त्र बलों, अनुसंधान संगठनों, शिक्षाविदों और अर्हता/प्रमाणन एजेंसियों के बीच समन्वय का कार्य करना
- भविष्य की प्रौद्योगिकियों का समर्थन करना
- देश में रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना
- रक्षा प्रौद्योगिकी में 'आत्मनिर्भरता' प्राप्त करना
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ):
- डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का अनुसंधान एवं विकास विंग है।
- इसका लक्ष्य अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ भारत को सशक्त बनाना और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
- संगठन का गठन 1958 में भारतीय सेना के तत्कालीन तकनीकी विकास प्रतिष्ठान और रक्षा विज्ञान संगठन के साथ तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय के एकीकरण से किया गया था।
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प्रौद्योगिकी विकास निधि के लिए उद्योगों की पात्रता:
- एमएसएमई/स्टार्टअप भारत में पंजीकृत हो चाहिए।
- उद्योग का स्वामित्व और नियंत्रण भारतीय नागरिक के पास होना चाहिए।
- उद्योग में विदेशी निवेश 49% से अधिक न हो।
प्रश्न:- ‘प्रौद्योगिकी विकास निधि’ के सम्बन्ध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- इस कार्यक्रम में वही उद्योग पात्र होंगे, जिनमें विदेशी निवेश 49% से कम न हो।
- इसे डीआरडीओ द्वारा 'मेक इन इंडिया' पहल के अंतर्गत क्रियान्वितन किया जा रहा है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न 1 और ना ही 2
उत्तर- (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:
‘प्रौद्योगिकी विकास निधि’ योजना से देश में रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण करने में गतिशीलता आई है। विश्लेषण कीजिए।
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