(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय व बाधाएँ) |
संदर्भ
27 जून, 2025 को भारत ने बांग्लादेश से जूट एवं संबंधित उत्पादों के आयात पर स्थलीय व समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की और अब केवल न्हावाशेवा बंदरगाह (मुंबई) से ही इन संबंधित उत्पादों का आयात किया जा सकता है।
जूट के बारे में
- परिचय : यह एक प्राकृतिक रेशा है जो कोरकोरस (Corchorus) प्रजाति के पौधों से प्राप्त होता है। इसे ‘सुनहरा रेशा’ (Golden Fibre) कहा जाता है क्योंकि यह चमकदार एवं आर्थिक रूप से मूल्यवान है।
- प्रजातियाँ : मुख्यत: दो कोरकोरस कैप्सुलैरिस (सफेद जूट) एवं कोरकोरस ओलिटोरियस (टोसा जूट)
- टोसा जूट अधिक मजबूत व रेशमी होता है किंतु इसकी खेती कठिन है।
- कृषि के लिए आवश्यक दशाएँ
- जलवायु : गर्म एवं नम (25-35°C तापमान, 70-90% सापेक्ष आर्द्रता)
- मृदा : जलोढ़, हल्की बलुई या दोमट मृदा
- वर्षा : 160-200 सेमी. वार्षिक वर्षा
- बुवाई : फरवरी-मार्च, कटाई: जुलाई-अगस्त (120 दिन की परिपक्वता अवधि)
- उपयोग
- बोरे, रस्सियाँ, तिरपाल, दरी, कालीन, टाट, निम्नकोटि के कपड़े एवं कागज
- विविध उत्पाद: जूट जियोटेक्सटाइल, फाइल फोल्डर, माउस पैड, शॉपिंग बैग, सजावटी सामान
- ऑटोमोबाइल, फर्नीचर एवं पल्प-पेपर उद्योगों में उपयोग
- पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने के जाल एवं हथियार उद्योग में उपयोग
- पर्यावरणीय लाभ
- जैव-निम्नीकरणीय (Biodegradable) और पर्यावरण हितैषी होता है।
- एक हेक्टेयर जूट 15 टन CO2 अवशोषित करता है और 11 टन O2 उत्सर्जित करता है।
- जियोटेक्सटाइल के रूप में मृदा कटाव नियंत्रण और कृषि में उपयोग।
भारतीय जूट उद्योग की वर्तमान स्थिति
- श्रमबल : भारतीय जूट उद्योग में लगभग 4 लाख श्रमिक और 40 लाख किसान परिवार कार्यरत हैं।
- उत्पादन : वैश्विक स्तर पर जूट उत्पाद के लगभग 75% हिस्से के साथ भारत वैश्विक स्तर पर जूट उत्पाद बनाने वाला अग्रणी देश है।
- घरेलू बाजार में इसकी व्यापक मांग के कारण जूट की अधिकांश खपत घरेलू स्तर पर होती है जिसमें औसत घरेलू खपत कुल उत्पादन का 90% है।
- प्रमुख उत्पादक राज्य : पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, उड़ीसा एवं आंध्र प्रदेश
- प्रमुख निर्यात गंतव्य : भारत मुख्यत: अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, मिस्र, जर्मनी, इटली, जापान, सऊदी अरब व तुर्की को जूट एवं जूट उत्पादों का निर्यात करता है।
- वित्त वर्ष 24 के दौरान अमेरिका 652.92 करोड़ रुपए मूल्य के जूट उत्पादों का अग्रणी आयातक था, जिसकी हिस्सेदारी 23% रही।
प्रमुख सरकारी पहलें
- ICARE (Improved Cultivation and Retting Exercise) योजना : इस योजना का उद्देश्य किसानों को जूट की बेहतर कृषि तकनीकों, उच्च गुणवत्ता वाले बीज एवं वैज्ञानिक अपलगन/रेटिंग (Retting) पद्धतियों से जोड़ना है।
- जूट विविधीकरण योजना : यह योजना पारंपरिक बोरे-बस्तों से हटकर जूट से बने फर्नीचर, जूते, बैग, गिफ्ट आइटम्स आदि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए है।
- संयंत्र एवं मशीनरी अधिग्रहण के लिए पूंजी सब्सिडी योजना (CSAPM) : इस योजना के तहत जूट विविधीकृत उत्पाद निर्माण के लिए मशीनरी खरीद पर सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- इसे ‘राष्ट्रीय जूट विकास कार्यक्रम (NJDP)’ के अंतर्गत 15वें वित्त आयोग (2021-26) के दौरान लागू किया गया है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 जनवरी, 2025 को विपणन सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट के लिए 5,650 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी है जो विगत एम.एस.पी. से 6% या 315 रुपए अधिक है।
बांग्लादेश से जूट आयात पर प्रतिबंध के कारण
- घरेलू उद्योग को संरक्षण : यह निर्णय मई 2025 में बांग्लादेश से रेडीमेड गारमेंट्स एवं अन्य उत्पादों पर लगाए गए स्थलीय बंदरगाह प्रतिबंधों के बाद लिया गया है। यह कदम भारत के घरेलू जूट उद्योग को संरक्षण प्रदान करने और बांग्लादेश की सब्सिडी आधारित आयात नीतियों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए उठाया गया है।
- सब्सिडी एवं डंपिंग : बांग्लादेश से सस्ते, सब्सिडी प्राप्त जूट उत्पादों (विशेषकर यार्न, फाइबर एवं बैग) की डंपिंग भारतीय जूट उद्योग को नुकसान पहुंचा रही है।
- भारत ने पहले बांग्लादेशी जूट पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी (ADD) लगाई थी किंतु बांग्लादेश की निरंतर सब्सिडी के कारण आयात कम नहीं हुआ।
- किसानों एवं श्रमिकों पर प्रभाव : सस्ते आयात के कारण भारतीय जूट की कीमतें कृत्रिम रूप से कम हो रही हैं, जिससे किसानों की आय और मिलों की क्षमता का उपयोग प्रभावित हो रहा है तथा परिणामस्वरूप बेरोजगारी बढ़ रही है।
- असंतुलित व्यापार : भारत ने बांग्लादेश को ड्यूटी-मुक्त बाजार पहुंच प्रदान की थी किंतु बांग्लादेश ने भारतीय निर्यात पर प्रतिबंध व उच्च ट्रांजिट शुल्क (1.25 रुपए प्रति टन प्रति किमी.) लगाकर व्यापार असंतुलन को बढ़ावा दिया है।
प्रतिबंध के प्रभाव
- भारतीय जूट उद्योग को लाभ : प्रतिबंध से भारतीय जूट मिलों एवं किसानों को बेहतर बाजार पहुंच व मूल्य प्राप्त होंगे।
- इससे पश्चिम बंगाल और अन्य पूर्वी राज्यों में जूट उद्योग की स्थिति मजबूत होगी।
- रोजगार एवं आजीविका : सस्ते आयात की समाप्ति से श्रमिकों के लिए रोजगार एवं आय की संभावनाएँ बढ़ेंगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
- क्षेत्रीय असमानता : पूर्वोत्तर राज्यों में आयात प्रतिबंध से स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा किंतु बांग्लादेश से निर्भरता के कारण अल्पकालिक आपूर्ति बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- भारत-बांग्लादेश संबंध : यह प्रतिबंध बांग्लादेश की भारत-विरोधी नीतियों और चीन के साथ बढ़ती निकटता की प्रतिक्रिया में देखा जा रहा है।
- बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस के विवादास्पद बयानों (जैसे- पूर्वोत्तर भारत को ‘स्थलरुद्ध’ और बांग्लादेश को ‘हिंद महासागर का संरक्षक’ बताना) से तनाव में वृद्धि हुई है।
- क्षेत्रीय व्यापार गतिशीलता : भारत का यह कदम बांग्लादेश को अपनी व्यापार नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव डाल सकता है।
- साथ ही, यह आत्मनिर्भर भारत और क्षेत्रीय व्यापार संतुलन को बढ़ावा देने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश से जूट आयात पर भारत का प्रतिबंध एक रणनीतिक कदम है, जो घरेलू जूट उद्योग की सुरक्षा, ग्रामीण आजीविका को संरक्षण और व्यापारिक संतुलन को बहाल करने के लिए उठाया गया है। यह नीति आत्मनिर्भर भारत के व्यापक लक्ष्य को दर्शाती है और बांग्लादेश की अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ एक दृढ़ जवाब है।
राष्ट्रीय जूट बोर्ड के बारे में
- परिचय : यह बोर्ड वस्त्र मंत्रालय द्वारा तैयार राष्ट्रीय जूट बोर्ड अधिनियम, 2008 के तहत संचालित संस्था है, जिसे 12 फरवरी, 2009 को संसद द्वारा अधिनियमित किया गया।
- कोलकाता में स्थित यह बोर्ड भारतीय जूट उद्योग को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने और इसके नए व अभिनव उपयोगों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
- उद्देश्य : बोर्ड का उद्देश्य जूट के संगठित एवं अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों को सशक्त बनाना है ताकि वे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकें और भारतीय जूट उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ा सकें।
विजन और मिशन
- वैश्विक नेतृत्व : भारत को जूट उद्योग में विश्व का अग्रणी बनाना।
- उत्कृष्टता एवं गुणवत्ता : जूट उद्योग को उत्कृष्टता की ओर ले जाना, ताकि यह लोगों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए किफायती कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले जूट उत्पादों का उत्पादन कर सके।
- नीतिगत समर्थन : संगठित एवं अनौपचारिक दोनों जूट क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने वाली नीतियों तथा कार्यक्रमों का निर्माण व कार्यान्वयन करना।
- नवाचार एवं अनुसंधान : जूट के नए व अभिनव उपयोगों की खोज के लिए अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों को संचालित करना।
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