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इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर पर सेबी का निर्णय

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India: SEBI) उच्च मूल्य अस्थिरता की अवधि के दौरान इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर अनुबंधों पर अतिरिक्त मार्जिन आवश्यकताएँ लागू करने पर विचार कर रहा है।

क्या हैं इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर 

इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर वित्तीय अनुबंध हैं जो प्रतिभागियों को भविष्य में पूर्व निर्धारित मूल्य पर बिजली खरीदने या बेचने की अनुमति देते हैं। ये बिजली क्षेत्र में मूल्य उतार-चढ़ाव के विरुद्ध बचाव में मदद करते हैं।

अतिरिक्त मार्जिन आवश्यकता

अतिरिक्त मार्जिन (Additional Margin) आवश्यकता वह अतिरिक्त राशि होती है जो बाजार नियामक (जैसे- सेबी) ट्रेडर्स या निवेशकों से वसूलता है, ताकि बाज़ार में अत्यधिक अस्थिरता (Volatility) को रोका जा सके। यह मार्जिन प्राय: Initial Margin (प्रारंभिक मार्जिन) के अतिरिक्त लिया जाता है। इसका उद्देश्य सट्टा गतिविधियों पर नियंत्रण तथा बाजार की स्थिरता बनाए रखना है।

अतिरिक्त मार्जिन आवश्यकता लागू करने के कारण 

  • मांग-आपूर्ति असंतुलन, मौसम और ईंधन की कीमतों जैसे कारकों के कारण बिजली की कीमतें अत्यधिक अस्थिर होती हैं।
  • वायदा अनुबंध अत्यधिक उतार-चढ़ाव अवधि के दौरान बाजार सहभागियों को उच्च वित्तीय जोखिमों के प्रति उजागर कर सकते हैं।
  • अतिरिक्त मार्जिन आवश्यकता अत्यधिक सट्टेबाजी और प्रणालीगत जोखिम को रोकने के लिए एक जोखिम प्रबंधन उपकरण के रूप में कार्य करेगा।

महत्त्व

  • बिजली क्षेत्र में बाजार स्थिरता को बढ़ावा
  • खुदरा निवेशकों एवं छोटी फर्मों को अत्यधिक नुकसान से बचाव
  • जिम्मेदार व्यापारिक प्रथाओं को प्रोत्साहन
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