New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Gandhi Jayanti Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Gandhi Jayanti Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

श्री अरबिंदो घोष: महान दार्शनिक

15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री अरबिंदो घोष की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्री अरबिंदो : जीवन परिचय

जन्म एवं प्रारंभिक जीवन

  • जन्म : 15 अगस्त, 1872 को कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में 
  • पिता : कृष्णधन घोष (प्रसिद्ध चिकित्सक)
  • माता : स्वर्णलता देवी
  • शिक्षा के लिए इन्हें बचपन में ही इंग्लैंड भेजा गया। वहीं से उन्होंने गहन पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त की।
  • कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के बाद भारत लौटे।

प्रारंभिक करियर

  • भारत लौटकर उन्होंने बड़ौदा कॉलेज में अध्यापन कार्य किया।
  • इस दौरान उन्होंने संस्कृत और भारतीय शास्त्रों का गहन अध्ययन किया।
  • यहीं से उनका झुकाव भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ा।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

  • श्री अरबिंदो ने अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से युवाओं को जागृत किया।
  • वे क्रांतिकारी विचारधारा से जुड़े और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध गुप्त आंदोलन में सक्रिय रहे।
  • ‘वंदे मातरम्’ पत्रिका और ‘कर्मयोगिन’ साप्ताहिक के माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता का संदेश फैलाया।
  • ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कई बार गिरफ्तार किया किंतु वे अपने विचारों से पीछे नहीं हटे।

आध्यात्मिक जीवन की ओर परिवर्तन

  • वर्ष 1908 में अलीपुर षड्यंत्र केस में जेलवास के दौरान उन्होंने ध्यान एवं योग की साधना प्रारंभ की।
  • जेल के अनुभव ने उनके जीवन को आध्यात्मिक मोड़ दिया।
  • वर्ष 1910 में वे पांडिचेरी (अब पुडुचेरी) चले गए और सार्वजनिक राजनीतिक गतिविधियों से दूर होकर पूर्णतः आध्यात्मिक जीवन में लीन हो गए।

आध्यात्म एवं दर्शन

श्री अरबिंदो का दर्शन भारतीय अध्यात्म और आधुनिक विचार का अद्वितीय संगम था।

  • इंटीग्रल योग (पूर्ण योग)
    • उन्होंने योग का एक नया रूप प्रस्तुत किया जिसे इंटीग्रल योग कहा जाता है।
    • इसका उद्देश्य केवल व्यक्तिगत मुक्ति नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता का रूपांतरण है।
  • सुपरमाइंड का सिद्धांत
    • उनके अनुसार मनुष्य के विकास की अगली अवस्था सुपरमाइंड (अधिमानस) है।
    • यह चेतना का वह स्तर है जहाँ व्यक्ति दिव्य ज्ञान और शक्ति से जुड़ जाता है।
  • आत्मा एवं ब्रह्म का एकत्व
    • वे अद्वैत वेदांत से प्रभावित थे।
    • उनके अनुसार आत्मा और ब्रह्म में कोई भेद नहीं है और दोनों का अनुभव योग व साधना से किया जा सकता है।
  • राष्ट्रीयता और अध्यात्म का मेल
    • वे मानते थे कि भारत का पुनर्जागरण केवल राजनीतिक स्वतंत्रता से नहीं होगा, बल्कि उसे आध्यात्मिक उत्थान से जोड़ना होगा।

प्रमुख कृतियाँ

  • लाइफ डिवाइन
  • सावित्री (महाकाव्य)
  • एस्सेज ऑन द गीता
  • द सिन्थेसिस ऑफ योगा
  • ह्यूमन साइकिल

निधन एवं विरासत

  • निधन : 5 दिसंबर, 1950 को पांडिचेरी में
  • उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए अरबिंदो आश्रम और बाद में ऑरोविले (Auroville) की स्थापना की।
  • वे आज भी एक महान दार्शनिक, योगी, कवि एवं राष्ट्रवादी के रूप में स्मरण किए जाते हैं।

निष्कर्ष

श्री अरबिंदो केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं थे, बल्कि उन्होंने भारतीय अध्यात्म को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दी। उनके इंटीग्रल योग, सुपरमाइंड सिद्धांत और आध्यात्मिक दृष्टि ने यह दिखाया कि मानव जीवन केवल भौतिक सुख तक सीमित नहीं है, बल्कि उसका लक्ष्य दिव्यता की ओर अग्रसर होना है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्ची स्वतंत्रता राजनीतिक आज़ादी के साथ-साथ आध्यात्मिक उत्थान में भी निहित है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X