New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

गांवों का विस्तार: शहरों की तुलना में बढ़ती जैव विविधता हानि

(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन - पेपर III और I)

चर्चा में क्यों ?

बीजिंग स्थित चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज विश्वविद्यालय के शोधकर्ता झिताओ लियू और उनके सहयोगियों ने उच्च-रिज़ॉल्यूशन भूमि उपयोग और जैव विविधता डेटा का उपयोग करते हुए 2000–2020 के बीच शहरी और ग्रामीण बस्तियों के प्रभावों की तुलना की।

शहरीकरण बनाम ग्रामीण विस्तार: क्या कहता है अध्ययन ?

  • वैश्विक भूमि उपयोग आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, वर्ष 2000 से 2020 के बीच जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विकास और निर्मित भूमि की बढ़ती मांग के कारण शहरी भूमि में लगभग 25 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई।
  • चूंकि शहरी विकास अक्सर बड़े और चर्चित प्रोजेक्ट्स के रूप में सामने आता है, इसलिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और जैव विविधता नियोजन का अधिकांश फोकस शहरों पर ही रहा।
  • लेकिन अध्ययन बताता है कि प्रकृति को सबसे अधिक नुकसान शांत, बिखरे और कम दिखने वाले ग्रामीण विस्तार से हो रहा है।

ग्रामीण बस्तियाँ: जैव विविधता पर बड़ा खतरा:

  • ग्रामीण बस्तियों से जुड़ा जैव विविधता नुकसान शहरी विस्तार की तुलना में 3.5 गुना अधिक पाया गया।
  • दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में ग्रामीण विस्तार से होने वाला कुल नुकसान शहरी विकास के बराबर या उससे अधिक था।

ग्रामीण बस्तियाँ अधिक नुकसान क्यों करती हैं ?

  • 2020 तक शहरी बस्तियाँ लगभग 62.9 मिलियन हेक्टेयर में फैली थीं। 
  • जबकि ग्रामीण बस्तियाँ 82.8 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में फैल चुकी थीं। 
  • अंतर केवल घनत्व का नहीं, बल्कि विस्तार के तरीके और स्थान का है।

शहरी बनाम ग्रामीण विकास:

  • शहरी विकास अपेक्षाकृत सघन होता है
  • ग्रामीण विकास कम घनत्व वाला, बिखरा हुआ और दूर-दूर तक फैला होता है
  • इसमें फार्महाउस, रिसॉर्ट, द्वितीयक आवास, सड़कें, बिजली-पानी की लाइनें और अन्य अवसंरचनाएँ शामिल होती हैं, जो प्राकृतिक भूभाग को खंडित कर देती हैं।

जैव विविधता के हॉटस्पॉट सबसे ज्यादा प्रभावित:

  • 2000–2020 के बीच ग्रामीण विस्तार शहरी विकास की तुलना में 2.3 गुना अधिक प्राकृतिक भूमि पर हुआ
  • प्रमुख जैव विविधता क्षेत्र (Key Biodiversity Areas -KBA) में ग्रामीण विस्तार की गति शहरी क्षेत्रों से 3.7 गुना अधिक थी
  • इसका अर्थ है कि जैव विविधता से समृद्ध परिदृश्य छोटे-छोटे, क्रमिक और बिखरे विकास के कारण तेजी से नष्ट हो रहे हैं।

अप्रत्यक्ष प्रभाव:  

  • अध्ययन केवल इमारतों से बदली गई भूमि तक सीमित नहीं है। 
  • इसमें पर्यावास विखंडन , शोर और प्रकाश प्रदूषण,चराई, जलाऊ लकड़ी संग्रह शिकार और बढ़ती मानव पहुँच शामिल है। 
  • शोध के अनुसार बस्तियों से प्रभावित पारिस्थितिक क्षेत्र, सीधे निर्मित भूमि से 30 गुना अधिक बड़ा होता है। 
  • ग्रामीण बस्तियाँ बिखरी होने के कारण ये प्रभाव बहुत बड़े भूभाग में फैल जाते हैं। 

एशिया और भारत मे प्रभाव:

  • वैश्विक जैव विविधता नुकसान में एशिया का योगदान 50% से अधिक है। 
  • इसके बाद अफ्रीका का स्थान आता है। 
  • भारत और चीन मिलकर वैश्विक बस्ती विस्तार का लगभग एक-तिहाई हिस्सा योगदान करते हैं। 
  • इसके प्रमुख कारण- बड़ी ग्रामीण आबादी, घना बस्ती नेटवर्क, बढ़ती आय और जैव विविधता-समृद्ध पारिस्थितिक तंत्रों से निकटता है। 

भारत के लिए क्या मायने ?

  • भारत की अधिकांश जैव विविधता शहरों के बाहर स्थित है:
    • पश्चिमी घाट
    • हिमालय
    • मध्य भारतीय वन
    • तटीय आर्द्रभूमियाँ
  • जमीनी उदाहरण:
    • पश्चिमी घाट: गांवों का विस्तार वन्यजीव गलियारों को बाधित कर रहा है। 
    • मध्य भारत: बाघ अभ्यारण्यों के आसपास ग्रामीण बस्तियाँ बढ़ रही हैं। 
    • हिमालय: सड़क और पर्यटन आधारित निर्माण से नाजुक पारिस्थितिकी पर दबाव। 
    • तटीय क्षेत्र: मैंग्रोव और आर्द्रभूमियों पर अतिक्रमण। 
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भूमि का छोटा सा रूपांतरण भी असमान रूप से बड़ा जैव विविधता नुकसान कर सकता है।

कृषि और रसायन दबाव कारण:

  • गहन कृषि, नकदी फसलों की ओर झुकाव, और रसायनों का बढ़ता उपयोग ग्रामीण जैव विविधता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार:
    • कीटनाशक और उर्वरक मिट्टी के सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर रहे हैं
    • कभी सामान्य प्रजातियाँ अब कई क्षेत्रों से गायब हो चुकी हैं
    • खेत जैविक रूप से बंजर होते जा रहे हैं
    • आक्रामक पौधों का प्रसार बढ़ रहा है

नीतिगत खामी और आगे का रास्ता:

  • वर्तमान पर्यावरण नीतियाँ मुख्य रूप से शहरों उद्योगों बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं पर केंद्रित हैं, जबकि ग्रामीण विस्तार कम विनियमित बना हुआ है।
  • अध्ययन बताता है कि यदि विकास को अधिक सघन बनाया जाए तो भविष्य में जैव विविधता नुकसान को 8-14% तक कम किया जा सकता है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सघन विकास से प्रकृति को बड़ा लाभ हो सकता है। 

निष्कर्ष

यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि जैव विविधता संरक्षण केवल शहरों तक सीमित नहीं रह सकता। ग्रामीण विस्तार, यदि अनियंत्रित रहा, तो प्रकृति के लिए सबसे बड़ा और सबसे अनदेखा खतरा बन सकता है।

प्रश्न. वर्ष 2000 से 2020 के बीच वैश्विक शहरी भूमि में कितनी वृद्धि हुई ?

(a) लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर

(b) लगभग 25 मिलियन हेक्टेयर

(c) लगभग 50 मिलियन हेक्टेयर

(d) लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR