(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन व कार्य; विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य एवं उत्तरदायित्व) |
संदर्भ
- बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले निर्वाचन आयोग (ECI) ने ‘विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision: SIR)’ के तहत 1 अगस्त, 2025 को मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया। इस मसौदे में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए, जो पहले जनवरी 2025 में तैयार की गई मतदाता सूची में शामिल थे।
- सर्वोच्च न्यायालय ने 14 अगस्त, 2025 को एक अंतरिम आदेश में ECI को हटाए गए मतदाताओं के नाम और कारण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया जिसे ECI ने प्रकाशित कर दिया है।
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बारे में
- विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध करने की एक विशेष प्रक्रिया है।
- यह सामान्य पुनरीक्षण से अधिक गहन प्रक्रिया होती है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची में त्रुटियों, जैसे- मृत, स्थानांतरित या दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं को हटाना है।
- बिहार में SIR को 24 जून, 2025 को शुरू करने का आदेश दिया गया था, ताकि विधानसभा चुनावों के लिए सटीक मतदाता सूची तैयार की जा सके।
उद्देश्य
- मतदाता सूची की शुद्धता : मृत, प्रवासी या दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं को हटाकर सूची को सटीक बनाना
- निष्पक्षता सुनिश्चित करना : साफ एवं विश्वसनीय मतदाता सूची के माध्यम से निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना
- विश्वास बढ़ाना : मतदाताओं में यह विश्वास पैदा करना कि उनकी मतदाता सूची में उपस्थिति संरक्षित है।
- कानूनी अनुपालन : संवैधानिक एवं वैधानिक दायित्वों को पूरा करना, जो प्रत्येक वयस्क को मतदान का अधिकार प्रदान करते हैं।
प्रक्रिया
- घर-घर सत्यापन : बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) मतदाताओं के विवरण की जांच के लिए घर-घर जाते हैं।
- नाम हटाना : बिहार में मृत (22 लाख), स्थायी रूप से स्थानांतरित (36 लाख) या दोहरे पंजीकरण (7 लाख) वाले मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।
- मसौदा सूची का प्रकाशन : संशोधित मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की जाती है, जिस पर आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं।
- आपत्तियों का समाधान : प्रभावित मतदाता अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं और ECI द्वारा उनकी समीक्षा की जाती है।
- अंतिम सूची : आपत्तियों के समाधान के बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाती है।
सर्वोच्च न्यायालय का हालिया आदेश
14 अगस्त, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें निम्नलिखित निर्देश दिए गए:
- ECI को 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की बूथ-वार सूची प्रकाशित करने का आदेश दिया, जिसमें प्रत्येक हटाए गए नाम के लिए कारण (मृत्यु, प्रवास, अनट्रेसेबिलिटी या दोहरा पंजीकरण) स्पष्ट हो।
- इस सूची को जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEOs) की वेबसाइटों पर और बूथ लेवल ऑफिसर (BLO), ब्लॉक डेवलपमेंट/पंचायत कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना।
- सूची को EPIC (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) नंबर के आधार पर खोजने योग्य बनाना।
- स्थानीय और अंग्रेजी समाचार पत्रों, रेडियो, टीवी एवं अधिकृत सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करना।
- प्रभावित मतदाताओं को आधार कार्ड के साथ आपत्ति दर्ज करने की अनुमति देना, जिसे पहचान और निवास के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
- ECI को अगली सुनवाई में अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश।
आदेश का महत्व
- पारदर्शिता : मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि उनके नाम क्यों हटाए गए, जिससे गलत सूचनाओं और संदेहों को कम किया जा सकता है।
- लोकतांत्रिक अधिकार : यह आदेश मतदाता सूची में शामिल होने का संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से उन प्रवासी श्रमिकों के लिए जो अनजाने में हटा दिए गए।
- आधार का उपयोग : पहली बार SIR प्रक्रिया में आधार को पहचान और निवास के प्रमाण के रूप में औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया।
- भविष्य के लिए मिसाल : यह आदेश अन्य राज्यों में SIR प्रक्रियाओं के लिए एक मिसाल कायम करेगा।
आलोचना
- पारदर्शिता की कमी : ECI ने शुरू में हटाए गए मतदाताओं के नाम और कारण सार्वजनिक करने से इनकार किया, जिसे गैर-पारदर्शी माना गया।
- बड़े पैमाने पर निष्कासन : 65 लाख मतदाताओं (लगभग 10% मतदाता आधार) को हटाने से हाशिए पर स्थित समुदायों के मताधिकार से वंचित होने का खतरा पैदा हुआ।
- राजनीतिक आरोप : कुछ विपक्षी दलों (जैसे- राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस) का आरोप है कि कुछ जाति एवं सामाजिक-आर्थिक समूहों को लक्षित किया गया।
- सत्यापन में त्रुटियां : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने दावा किया कि क्षेत्रीय सत्यापन में कमियाँ और पुराने डाटा का उपयोग हुआ।
चुनौतियाँ
- जागरूकता की कमी : ग्रामीण एवं निरक्षर मतदाताओं को सूची तक पहुंचने और आपत्तियां दर्ज करने में कठिनाई हो सकती है।
- संसाधनों की कमी : जिला एवं बूथ स्तर पर पर्याप्त कर्मचारी और तकनीकी संसाधनों की कमी है।
- समय की कमी : न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा (18 अगस्त) के भीतर प्रकाशित सूची में त्रुटि की संभावना है।
- राजनीतिक दबाव : बिहार में तीव्र राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण ECI पर निष्पक्षता के दबाव हैं।
आगे की राह
- जागरूकता अभियान : मतदाताओं को उनके अधिकारों और आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करना
- तकनीकी उन्नति : EPIC-आधारित खोज को अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना और डिजिटल पहुंच बढ़ाना
- स्थानीय सहायता : BLO एवं DEO को प्रशिक्षित करना ताकि वे प्रभावित मतदाताओं की सहायता कर सकें।
- निगरानी और जवाबदेही : ECI को नियमित अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए और स्वतंत्र ऑडिट की व्यवस्था करनी चाहिए।
- समावेशी नीतियां : हाशिए पर स्थित समुदायों को लक्षित होने से बचाने के लिए सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत करना।
निष्कर्ष
सर्वोच्च न्यायालय का आदेश बिहार में मतदाता सूची की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ECI को इस अवसर का उपयोग मतदाताओं के विश्वास को मजबूत करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाने के लिए करना चाहिए।