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महिला जननांग विकृति की समस्या

(प्रारम्भिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, अधिकारों संबंधी मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सामाजिक न्याय और महिलाओं संबंधी मुद्दे)

संदर्भ

दक्षिणी केन्या के मासाई समुदाय के बीच ‘महिला जननांग विकृति’ (Female Genital Mutilation: FGM) को लेकर एक गंभीर बहस छिड़ गई है।  

महिला जननांग विकृति (एफ.जी.एम.) प्रथा

  • महिला जननांगों को विकृत या ख़तना करने सम्बंधी प्रथा केन्या, सूडान और अन्य अफ्रीकी देशों सहित एशिया एवं मध्य-पूर्व के साथ गहरे रूप से जुडी हुई है। एफ.जी.एम. में गैर-चिकित्सकीय कारणों से महिला जननांगों (Female Genitalia) को आंशिक या पूर्ण रूप से हटाना शामिल है।
  • इसे पारम्परिक रूप से महिलाओं की यौन इच्छा पर अंकुश लगाने की रूढ़िवादी प्रथा के रूप में देखा जाता है। प्रचलित प्रथा के अनुसार, इसे वैवाहिक जीवन से पूर्व महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

वर्तमान वस्तुस्थिति

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, कई अफ्रीकी देशों में लगभग 20 करोड़ से अधिक महिलाएँ इस क्रूर सामाजिक रूढ़ि से प्रभावित हैं। यह प्रथा केन्या, सूडान, मिस्र, नाइजीरिया, जिबूती व सेनेगल सहित एशिया के कुछ देशों में भी प्रचलित है।
  • वर्ष 2014 की संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि 15-49 आयु वर्ग की लगभग 87% सूडानी महिलाएँ एवं बालिकाएँ इस प्रथा की शिकार हो चुकी हैं। 
    • हालाँकि, यह प्राय: शैशवावस्था से लेकर 15 वर्ष की आयु तक की छोटी बच्चियों पर की जाती है। 
  • इनमें से अधिकांश महिलाओं को ‘इन्फीबुलेशंस’ (Infibulations) नामक अत्यधिक पीड़ादायक प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। इस प्रक्रिया में योनि मुख को संकीर्ण करने हेतु लेबिया (Labia) को हटाना और उसको पुन: व्यवस्थित करना शामिल है।
  • यह प्रथा न केवल प्रत्येक बालिका के अधिकारों का उल्लंघन है बल्कि स्वास्थ्य के लिये हानिकारक भी है। इससे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य गम्भीर रूप से प्रभावित होता है। हालाँकि, इसकी क्षतिपूर्ति व नकारात्मक प्रभाव को कम करने हेतु सर्ज़री सहित कई अन्य प्रकार के अनुसंधान जारी हैं।
    • हालाँकि, क्षतिपूर्ति और नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए की जाने वाली सर्ज़री के प्रभावों को लेकर डब्ल्यू.एच.ओ. असहमत है।

आंकड़ें बनाम वास्तविकता 

  • सरकारी पक्ष: वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार, केन्या में FGM प्रभावित किशोरियों की संख्या 1998 के 29% से घटकर अब मात्र 9% रह गई है। 
  • स्थानीय वास्तविकता: नारोक काउंटी के एंटासेकेरा गांव की एक स्थानीय नर्स के अनुसार, आधिकारिक रूप से 2011 में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग 80% लड़कियां आज भी इस अमानवीय कृत्य का शिकार हो रही हैं।

महिला जननांग विकृति (FGM) संबंधी समस्या 

  • महिला जननांग विकृति (FGM) गंभीर, दीर्घकालिक जटिलताओं के साथ मृत्यु का कारण भी बन सकती है। तत्काल स्वास्थ्य जोखिमों में रक्तस्राव, सदमा, संक्रमण, एच.आई.वी. संचरण और गंभीर दर्द शामिल हैं। 
  • मनोवैज्ञानिक प्रभावों में एक लड़की का अपने अभिभावकों पर अविश्वास से लेकर लंबे समय तक चिंता एवं अवसाद की भावनाएँ शामिल हो सकती हैं।
  • वयस्क होने पर महिला जननांग विकृति (FGM) से पीड़ित बालिकाओं में बांझपन, प्रसव के दौरान या प्रसवोत्तर रक्तस्राव, मृत जन्म और नवजात शिशु की मृत्यु होने की संभावना बनी रहती है। 
  • कुछ समाजों में इसे संस्कार के रूप में देखा जाता है जबकि अन्य समाज इसका उपयोग महिला की कामुकता को दबाने या उसकी पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए करते हैं।

महिला जननांग विकृति (FGM) का प्रचलन

  • वैश्विक प्रयासों ने महिला जननांग विकृति (FGM) को समाप्त करने की दिशा में हो रही प्रगति को गति दी है। वर्तमान में किसी बालिका के साथ FGM होने की संभावना 30 वर्ष पहले की तुलना में लगभग एक-तिहाई कम है। 
  • फिर भी, जनसंख्या वृद्धि के बावजूद इन उपलब्धियों को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। अनुमान है कि 2030 तक लगभग 27 मिलियन अतिरिक्त लड़कियां इस अत्याचार का शिकार हो सकती हैं। 

महिला जननांग विकृति को रोकने के लिए यूनिसेफ के प्रयास

  • महिला जननांग विकृति (FGM) को समाप्त करने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है जिसमें संपूर्ण समुदाय, जैसे– युवा, माता-पिता, धार्मिक नेता, नागरिक समाज संगठन, कार्यकर्ता, चिकित्सा कर्मी, शिक्षक और नीति निर्माता शामिल हो। 
  • यूनिसेफ एवं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) संयुक्त रूप से महिला जननांग विकृति (FGM) को समाप्त करने के लिए विश्व के सबसे बड़े कार्यक्रम का नेतृत्व करते हैं। वर्ष 2008 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम-
    • समुदायों के साथ साझेदारी में एफ.जी.एम. से होने वाले नुकसानों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। 
    • सामाजिक मानदंडों को सामूहिक रूप से इसके त्याग की दिशा में बदलने का कार्य करता है। 
    • राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर सरकारों के साथ मिलकर एफ.जी.एम. को समाप्त करने और इसे गैरकानूनी घोषित करने पर केंद्रित नीतियों के विकास में भी सहयोग करता है।
    • एफ.जी.एम. से बचे लोगों के लिए चिकित्सा एवं मनोवैज्ञानिक देखभाल तक पहुँच प्रदान करता है। 

यूनिसेफ के कार्यों का प्रभाव 

  • महिला जननांग विकृति उन्मूलन हेतु संयुक्त राष्ट्र जनित विकृति प्राधिकरण के संयुक्त कार्यक्रम की स्थापना के बाद से 13 देशों ने एफ.जी.एम. पर प्रतिबंध लगाने वाले राष्ट्रीय कानून पारित किए हैं। 
  • इस कार्यक्रम ने 70 लाख से अधिक बालिकाओं एवं महिलाओं को एफ.जी.एम. से संबंधित रोकथाम, सुरक्षा व उपचार सेवाएँ प्राप्त करने में भी सहायता की है। 15 देशों के समुदायों में लगभग 48 करोड़ लोगों ने अब इस प्रथा को छोड़ने की सार्वजनिक घोषणा की है। 
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