(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता) |
संदर्भ
शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढाँचा (National Institutional Ranking Framework: NIRF) उन संस्थानों पर दंड लगाएगा जिनके शोध पत्र साहित्यिक चोरी, फर्जी डाटा या अनैतिक प्रथाओं जैसे मुद्दों के कारण वापस लिए गए हैं।
एन.आई.आर.एफ़. के हालिया निर्देश
- एन.आई.आर.एफ. उच्च शिक्षण संस्थानों को पिछले तीन कैलेंडर वर्षों में पत्रिकाओं (जर्नल) से वापस लिए गए शोधपत्रों और उनके संबंधित उद्धरणों के लिए ऋणात्मक अंक प्रदान करेगा।
- यह पहली बार है जब एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग की गणना करते समय ऋणात्मक अंक प्रदान किया जाएगा।
- जिन संस्थानों के शोध पत्र वापस लिए गए हैं, वर्ष 2025 की रैंकिंग में उन्हें ‘शोध एवं व्यावसायिक अभ्यास’ श्रेणी में कम अंकों की कटौती जैसे मामूली दंड का सामना करना पड़ेगा।
- इसके बाद वर्ष 2026 के बाद कठोर दंड आरोपित किए जाएँगे। इसमें अंकों में भारी कमी को शामिल किया किया गया है जिससे समग्र रैंकिंग प्रभावित होगी।
- यदि शोध-पत्रों की वापसी संख्या में कमी नहीं आती है तो संस्थानों को कुछ वर्षों के लिए काली सूची में भी डाला जा सकता है।
- यह उन परिस्थितियों में लागू होगा जब पत्रिकाओं द्वारा शोध पत्र नैतिक उल्लंघनों के कारण वापस लिए जाते हैं, न कि ईमानदार त्रुटियों (Honest Mistake) के कारण।
उद्देश्य
- भारतीय शोध परिणामों की विश्वसनीयता बढ़ाना
- संस्थानों को नैतिक प्रकाशन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना
महत्त्व
- भारत में शोध पत्रों को वापस लेने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।
- भारतीय शिक्षा जगत में शोध की गुणवत्ता को लेकर वैश्विक चिंताओं का समाधान।
- यह संस्थानों को संकाय की अधिक सख्ती से निगरानी और मार्गदर्शन करने के लिए बाध्य करेगा।
एन.आई.आर.एफ. के बारे में
- इसे शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 में शुरू किया गया था।
- यह शिक्षण, शोध, स्नातक परिणाम आदि जैसे मानदंडों के आधार पर उच्च शिक्षा संस्थानों को रैंकिंग प्रदान करता है।
- एन.आई.आर.एफ. द्वारा संस्थानों की रैंकिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले महत्त्वपूर्ण मानदंडों में से एक ‘शोध एवं व्यावसायिक अभ्यास’ है।
- इस श्रेणी के अंतर्गत किसी दिए गए वर्ष में प्रकाशनों की भारित संख्या तथा प्रकाशनों की गुणवत्ता जैसे मानदंडों के आधार पर अंक दिए जाते हैं।